पंचांग 5 सितम्बर 2020
पंचांग 5 सितम्बर 2020
विशेष – तृतीया श्राद्ध
सुविचार
दृष्टान्तो नैव दृष्टस्त्रिभुवनजठरे सद्गुरोर्ज्ञानदातुः स्पर्शश्चेत्तत्र कलप्यः स नयति यदहो स्वहृतामश्मसारम्।
न स्पर्शत्वं तथापि श्रितचरगुणयुगे सद्गुरुः स्वीयशिष्ये स्वीयं साम्यं विधते भवति निरुपमस्तेवालौकिकोऽपि॥
भावार्थ :
तीनों लोकों- स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल में ज्ञान देने वाले गुरु के लिए कोई उपमा नहीं दिखाई देती। गुरु को पारसमणि के जैसा मानते हैं, तो वह ठीक नहीं है, कारण पारसमणि केवल लोहे को सोना बनाती है, पर स्वयं जैसा नहीं बनाती। सद्गुरु तो अपने चरणों का आश्रय लेने वाले शिष्य को अपने जैसा बना देता है; इस लिए गुरु के लिए कोई उपमा नहीं है, गुरु तो अलौकिक है।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।