पंचांग 6 अप्रैल 2022
सुविचार
आयुषः क्षण एकोऽपि न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः। स चेन्निरर्थकं नीतः का नु हानिस्ततोऽधिका॥
भावार्थ
जीवन का एक क्षण भी कोटि स्वर्ण मुद्रा देने पर नहीं मिल सकता, वह यदि वृथा नष्ट हो जाए तो इससे अधिक हानि क्या होगी?
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।