पश्चिम बंगाल में प्रजातंत्र आखिरी सांसें ले रहा है- राज्यपाल धनखड़
उदयपुर, 15 जून। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि बंगाल राजनीतिक हिंसा की प्रयोगशाला बन गया है। आज का दृश्य भविष्य की तस्वीर के प्रति गंभीर चिंता करने को मजबूर करता है। हिंसा का आधार यह है कि आपने अपनी मर्जी से वोट देने की हिमाकत कैसे कर ली। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए घातक है और पूरे देश के नागरिकों को इस पर जागरूकता दिखाने की आवश्यकता है।
राज्यपाल धनखड़ मंगलवार को उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र की ओर से चल रहे वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती समारोह की संवाद शृंखला में बोल रहे थे। ‘राजनीतिक हिंसा से जूझता भारतीय लोकतंत्र’ विषय पर राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि राजनीतिक हिंसा की जड़ें भयानक हैं। यह देश की सुरक्षा को चुनौती है। डेमोग्राफी के परिवर्तन का संकेत है। उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते कि लोग आशा खो बैठें। उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता को सांप सूंघ गया है। मीडिया चुप क्यों है? यहां स्थिति का आंकलन करने कोई पहुंच क्यों नहीं रहा? मानव अधिकार की आवाज क्यों चुप है?
राज्यपाल ने कहा कि स्थिति यह है कि उन्होंने रिपोर्ट मांगी और गृह सचिव ने आज तक रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। जब उन्होंने दौरे का निर्णय किया तो एक पत्र मिला कि राज्यपाल बिना राज्य सरकार की अनुमति के राजभवन से बाहर नहीं निकल सकते। फिर भी वे निकले और पीड़ितों तक पहुंचे। जब वे नंदीग्राम पहुंचे तो उन्हें आगे नहीं जाने की सलाह दी गई, लेकिन वे पहले पैदल फिर मोटरसाइकिल पर आगे बढ़े। वहां पीड़ितों ने कहा, हम संकट में हैं क्योंकि हम हिन्दू हैं। क्या हम धर्म परिवर्तन करने से बच जाएंगे? उनकी जान झंडा परिवर्तन या धर्म परिवर्तन ही बचा सकता है। एक जगह तो महिलाओं ने यह तक कह दिया कि आप आ गए तो और बुरा होगा। राज्यपाल ने कहा कि यह सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। बंगाल में 2 करोड़ 30 लाख लोगों ने प्रतिपक्ष को वोट दिया है, इन लोगों में डर बनाने के लिए यह हिंसा की जा रही है।
राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण कड़ी पश्चिम बंगाल का सरकारी कर्मचारी राजनीति का नौकर बनकर रह गया है। माताएं-बहनें पुलिस के पास जाने से कतरा रही हैं। वे कहती हैं, जो फरियादी बनकर पुलिस थाने जाता है, वह मुजरिम बनकर लौटता है और वह रात उनके लिए अत्याचार की पराकाष्ठा वाली रात हो जाती है। लोग इतने भयभीत हो गए हैं कि अब लाउडस्पीकर पर यह कहने लगे हैं कि हमने भाजपा को वोट देकर गलती कर दी है। राज्यपाल ने कहा कि पहले तो हिंसा से डराया जा रहा है और दूसरा उनका आर्थिक आधार तोड़ा जा रहा है। छोटे बच्चों के सामने हिंसा की जा रही है, ताकि पीढ़ियों तक डर बरकरार रहे। घरों से भगाया जा रहा है, दुकानें तोड़ी जा रही है। बंगाल के कई नागरिक राज्य छोड़कर चले गए हैं। जो लौटकर आ भी रहे हैं तो वे किस स्थिति में आ रहे हैं, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
पश्चिम बंगाल में भारतीय नागरिकों की पहचान की जरूरत के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल अलग स्वतंत्र राष्ट्र की तरह काम करना चाहता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भारतीय संविधान में आस्था कहीं नजर नहीं आ रही है। छह सप्ताह हो गए लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुप हैं। ब्रिक बाय ब्रिक पश्चिम बंगाल की प्रजातांत्रिक व्यवस्था को तार-तार कर दिया गया है। पुलिस थानों को ऐसे निर्देश हैं कि वे मामलों को इस तरह दर्ज करें कि कोई कमीशन जांच के लिए भी आए तो उन्हें यह जवाब मिले कि यह तो आपसी झगड़ा था, इस कारण हत्या हो गई। कोरोना मामले में केन्द्र की टीम को बाहर नहीं निकलने दिया जाता। हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि 40 प्रतिशत पूर्व सैनिक पश्चिम बंगाल वापस नहीं लौटते, वे अन्य राज्यों में बसने चले जाते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में प्रजातंत्र आखिरी सांस ले रहा है। वे अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। किसी पार्टी का क्या एजेंडा है वह जाने, लेकिन हर कार्य देश के कानून के अंतर्गत हो, यह ध्यान रखना राज्यपाल का काम है। लेकिन, देश के प्रत्येक नागरिक को इसके लिए जागरूक होना होगा और पश्चिम बंगाल में प्रजातंत्र के लिए आवाज उठानी होगी। राज्यपाल ने कहा कि आशावादी हैं और भारत के लोकतंत्र पर उन्हें पूरा विश्वास है। आज तक जिसने भी सोचा कि कानून का शिकंजा उस तक नहीं पहुंचेगा वह गलत साबित हुआ है।