पश्चिम बंगाल : चुनाव बाद की हिंसक घटनाएं देश के लोकतंत्र के लिए चिंताजनक

पश्चिम बंगाल : चुनाव बाद की हिंसक घटनाएं देश के लोकतंत्र के लिए चिंताजनक

पश्चिम बंगाल : चुनाव बाद की हिंसक घटनाएं देश के लोकतंत्र के लिए चिंताजनक

सीकर। पश्चिम बंगाल में मार्च एवं अप्रैल 2021 में 8 चरणों में मतदान होने के पश्चात 2 मई 2021 को मतगणना हुई। जैसे ही शुरुआती रुझानों में तृणमूल कांग्रेस ने बढ़त लेना प्रारंभ किया, राज्य भर में पार्टी के सदस्यों और समर्थकों ने विपक्षी दलों विशेषकर भाजपा के कार्यकर्ताओं पर हमला करना और उनके दफ्तरों को जलाना शुरू कर दिया। कई दिनों तक राज्य के लगभग 148 विधानसभा क्षेत्रों और उनके दूरदराज के क्षेत्रों में भाजपा के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई। उनके घर जला दिए गए। परिवार जनों को मारने और महिलाओं के साथ बलात्कार की धमकियां दी गईं। उसी दिन देर रात तक आए अंतिम परिणामों में तृणमूल कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए बहुमत तो मिल गया, किंतु स्वयं ममता बनर्जी नंदीग्राम से भाजपा के शुभेंदु अधिकारी से हार गईं। इस हार का बदला लेने के लिए टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने शुभेंदु अधिकारी पर जानलेवा हमला कर दिया।

शेखावाटी विचार मंच सीकर द्वारा सीकर विभाग के प्रबुद्ध जनों की ऑनलाइन संगोष्ठी में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य  सुनील पद गोस्वामी ने अपने उद्बोधन में उक्त विचार रखे। उन्होंने कहा कि हिंसा की इस प्रकार की यह अकेली घटना नहीं है, बल्कि इनकी संख्या हजारों में है। पश्चिम बंगाल भाजपा ने पीड़ितों से संपर्क कर ऐसी कुल 6983 घटनाओं की जानकारी एकत्र की। इनमें महिलाएं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी एवं सामान्य परिवारों के लोग हिंसा के शिकार हुए। पीड़ितों से संपर्क के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार, इन हजारों हिंसक घटनाओं की भयावहता ध्यान में आती है। इनमें महिलाओं से बलात्कार, बेरहमी से हत्याएं एवं बहुतायत में संपत्तियों को लूटने एवं आग लगाने जैसे कृत्य सम्मिलित हैं।

इन हिंसक घटनाओं में हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं पर भी जान बूझकर आघात किया गया। नंदीग्राम में भगवान श्री राम के एक चित्र को जला दिया गया। असामाजिक तत्वों द्वारा अंजाम दिए गए ऐसे कृत्यों के विरुद्ध प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। पुलिस द्वारा उनके सामने ही हिंसक घटनाएं होने के बावजूद भी मामले दर्ज नहीं किए गए। अनेक पीड़ित परिवार तो डर के कारण शिकायत भी नहीं कर सके। उन्हें डर था कि यदि उन्होंने शिकायत की तो उन्हें जान से मार दिया जाएगा।

सुनील पद गोस्वामी ने बताया कि तीसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी ने भी उनके लिए कोई राहत अथवा न्याय दिलाने की पेशकश नहीं की और ऐसा न करने के पीछे एकमात्र ठोस वजह है यह है कि सभी 6983 घटनाओं के पीछे अपराधी टीएमसी के कार्यकर्ता और समर्थक ही हैं। अनेक जिलों में टीएमसी के गुंडों द्वारा भाजपा समर्थकों को जान से मारने की धमकी देने के कारण वे अपने परिवार सहित घर बार छोड़कर रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में लगभग 191 रिलीफ कैंप बनाए गए हैं, जहां 6779 पीड़ित लोग रह रहे हैं। इन कैंपों में पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं हैं। अनेक परिवार राज्य के बाहर सुरक्षित स्थानों पर पलायन भी कर चुके हैं। लगभग हर जगह टीएमसी के गुंडे पुलिस के सामने ही लूटपाट, आगजनी एवं मारपीट कर रहे थे, लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। सोशल मीडिया पर भी ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो चुके हैं।

कोलकाता हाई कोर्ट महिला आयोग मानवाधिकार आयोग एवं अनुसूचित जाति जनजाति आयोग ने भी इन घटनाओं का संज्ञान लेकर राज्य सरकार को कार्यवाही करने को कहा है। कोलकाता उच्च न्यायालय ने सरकार से इन घटनाओं एवं कानून व्यवस्था पर हलफनामा दायर करने को कहा है। उच्चतम न्यायालय ने भी पश्चिम बंगाल की हिंसक घटनाओं पर संज्ञान लिया है। 18 मई को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्रालय ने भी राज्यपाल को फोन कर उनसे राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति का जायजा लिया था। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हिंसा ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया। उन्हें भी अपने दौरे के दौरान टीएमसी कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों का विरोध झेलना पड़ा था।

सुनील पद गोस्वामी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की चुनाव बाद की हिंसक घटनाएं देश के लोकतंत्र के लिए चिंताजनक हैं। इसके लिए समाज को जागृत होकर ऐसी घटनाओं का मुकाबला करने की आवश्यकता है।

संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक  ग्यारसी लाल, जिला संघचालक चितरंजन सिंह राठौड़, नगर संघचालक डॉ. एनएम गोयल, विभाग प्रचारक उत्कर्ष, विभाग कार्यवाह प्रीतम सिंह, सह विभाग कार्यवाह सुभाष सोनगरा, जन प्रतिनिधि स्वामी सुमेधानंद, भाजपा जिला अध्यक्ष इंदिरा चौधरी, भाजपा के अन्य प्रमुख कार्यकर्ता, विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद, भारत विकास परिषद, रुक्टा राष्ट्रीय साहित्य संघ के 22 विविध क्षेत्रों के कार्यकर्ता सहित कुल 273 प्रबुद्ध जन जुड़े हुए थे। कार्यक्रम की भूमिका ग्यारसी लाल ने रखी। संचालन विभाग संपर्क प्रमुख भंवर दान ने किया तथा वक्ताओं का परिचय विभाग प्रचार प्रमुख कैलाश चंद शर्मा ने करवाया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य वक्ता द्वारा प्रबुद्ध जनों के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए। सत्य प्रकाश चौधरी ने जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम का संचालन किया। शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।

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