पाठ्येत्तर गतिविधि या मजहबी ब्रेनवॉश, क्या चल रहा है स्कूलों में?
पाठ्येत्तर गतिविधि या मजहबी ब्रेनवॉश, क्या चल रहा है स्कूलों में?
अनेक प्रकार के इस्लामिक जिहादों के बाद आजकल स्कूलों में एक नया जिहाद आए दिन देखने को मिल रहा है, वह है मानसिक जिहाद। स्कूलों में बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाए जाने के नाम पर भांति-भांति की गतिविधियां चलाई जा रही हैं, जो वास्तव में बच्चों का मजहबी ब्रेन वॉश कर रही हैं।
ताजी घटना उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के झूंसी की है। यहॉं के एक CBSE स्कूल (न्याय नगर पब्लिक स्कूल) में छोटे–छोटे बच्चों को ईद के अवसर पर इस्लामिक ड्रेस में ईद की मुबारकवाद देते हुए बीस सेकेंड का वीडियो बनाकर देने के लिए कहा गया। प्रिंसिपल बुशरा मुस्तफा ने इसके आदेश जारी किए। इस गतिविधि के लिए अंक भी निर्धारित थे। लड़कों को कुरता पायजामा व इस्लामिक टोपी में, तो लड़कियों को सलवार कुरता व हिजाब/दुपट्टा पहनकर वीडियो बनाना था। यह गतिविधि ईद वाले दिन के लिए निर्धारित की गई थी। लेकिन जब अभिभावकों को इसका पता चला तो विरोध शुरू हो गया। अभिभावक स्कूल पहुंचे, प्रिंसिपल से बात की तो प्रिंसिपल बुशरा मुस्तफा ने दो टूक कहा कि स्कूल में 15 अगस्त, 26 जनवरी आदि अवसरों पर भी अनेक प्रकार की गतिविधियां होती हैं, ऐसे में इस गतिविधि को किसी संकुचित दायरे में न देखें तो बेहतर होगा। जो अभिभावक सहमत नहीं हैं, वे अपने बच्चे को विद्यालय से हटा सकते हैं। ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होते हैं।
अभिभावकों का कहना था कि बच्चा यदि इस गतिविधि का हिस्सा नहीं बनेगा तो उसे इसके अंक नहीं मिलेंगे, ऐसे निर्देश तो बच्चे को गतिविधि के लिए मजबूर करने वाले हैं।
विश्व हिन्दू परिषद ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हनन और मानसिक मतांतरण बताया, साथ ही इस मामले में स्कूल प्रिंसिपल बुशरा मुस्तफा के विरुद्ध प्रयागराज के कीडगंड थाने में आईपीसी की धारा295-ए, 153-ए और 67 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कराई। आरोप है कि स्कूल प्रिंसिपल ने सांप्रदायिक सोच का होने के चलते अपने पद का दुरुपयोग किया और सोचे समझे षड्यंत्र के अंतर्गत हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएँ आहत करने, शिक्षा संस्थानों का माहौल खराब करने, बच्चों के बीच धार्मिक भेदभाव पैदा करने और छोटे छोटे बच्चों के मन में साम्प्रदायिकता का जहर घोलने का काम किया है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि 3 मई को ईद के साथ ही परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया भी थी, लेकिन इससे जुड़ी कोई गतिविधि बच्चों को नहीं दी गई।
गंगा समग्र के प्रांत संगठन मंत्री अम्बरीश ने कहा कि स्कूल द्वारा इस तरह का निर्देश जारी करना गलत है। यह अपराध की श्रेणी में आता है। दीपावली, दशहरा, होली जैसे पर्वों पर होने वाले आयोजनों की तुलना इससे नहीं की जा सकती। श्रीराम और कृष्ण हमारी संस्कृति में रचे बसे हैं। हमारे आदर्श पुरुष हैं। बच्चा बच्चा उनका अनुसरण करता है। विद्यालय के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।
इससे पहले जुलाई में गुरुग्राम व मुरादाबाद के दिल्ली ग्लोबल पब्लिक स्कूल ने बच्चों के लिए इस्लामिक शिक्षा पर एक समरकैंप आयोजित किया था। लेकिन विरोध के चलते विद्यालय प्रबंधन को वह समरकैंप रद्द करना पड़ा था।