सवाल चुनाव परिणाम का नहीं बल्कि बंगाल को पाकिस्तान बनने से रोकने का है
कंचन
किसी जमाने में नक्सलवाद की शुरुआत नक्सलबाड़ी गांव में हुई थी। आज इस गॉंव से लेकर गंगासागर तक, कोलकाता में दक्षिणेश्वर से लेकर शहर के व्यस्ततम बड़ा बाजार तक एक ही चर्चा है कि इस बार बड़ा बदलाव होगा। आठ चरणों में हुए पश्चिम बंगाल चुनाव की पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है। लॉर्ड कर्जन के दुर्भावनापूर्ण बंगाल विभाजन के बाद से लेकर अब तक बंगाल को वहां के राजनीतिक दलों ने हिंसा के अलावा कुछ नहीं दिया है। वामपंथी रक्त रंजित कार्यकाल के बाद से तृणमूल की घोटालेबाज और सिंडीकेट राज की सरकार से आम बंगाली कभी उबर नहीं पाया। चुनावी प्रवास में सैकड़ों लोगों से बात हुई। हर किसी का कहना है कि बंगाल को पाकिस्तान बनने से रोकना है। बंगाल की आबादी के आंकड़ों का मंथन करने के बाद डरावनी तस्वीर देश के सामने आई थी। 30 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी और उस पर तुष्टीकरण की राजनीति से आम बंगाली परेशान है। कोलकाता के दमदम विमान पत्तन से निकलते ही टैक्सी चालक अरिंदम दास ने बताया कि साहब यहां बॉर्डर की तरफ जाकर देखिएगा आप समझ जाएंगे कि पूर्वी बंगाल ने तो पाकिस्तान से पिंड छुड़ा दिया पर हम पाकिस्तान बनते जा रहे हैं। उनकी पीड़ा के पीछे का सच भयावह था।
अगले दिन कोलकाता के मां फ्लाईओवर के दोनों तरफ पसरे तोपसिया आबादी क्षेत्र में भ्रमण किया तो समझ में आया कि हालात बेहद खतरनाक हैं। वहां जाकर देखेंगे तो पता चलेगा कि कानून की कितनी पालना होती है। अवैध निर्माण के गढ़ बने इस क्षेत्र में सरकारी अधिकारियों की हिम्मत नहीं है कि वे कोई कार्रवाई कर सकें। शहर में बड़ा बाजार क्षेत्र निवासी देवांगना चक्रवर्ती ने कहा कि भारत की संस्कृति पर यहां हमला हो रहा है। इसे बचाने के लिए सत्ता परिवर्तन आवश्यक है।
चुनाव आयोग के कारण बेखौफ वोटिंग
देशभर में कोराना का विकराल रूप सामने आ रहा है। अकेले भारत की यह स्थिति नहीं है बल्कि पूरी दुनिया का यह हाल है। इस बीच ममता बनर्जी की सत्ता का सुख ले रहे देश विरोधी तत्वों ने यह भी उड़ा रखा है कि कोराना के लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है। जबकि बंगाल में दार्जिलिंग से लेकर ठेठ हावड़ा, हुगली, उत्तर 24 परगना और मालदा तक हर कोई चुनाव आयोग की प्रशंसा कर रहा है। कोलकाता पोर्ट क्षेत्र निवासी बिनय बोस ने बताया कि असल में चुनाव आयोग हीरो है। क्योंकि पहली बार लोगों ने बेखौफ होकर वोटिंग का प्रयास किया है। बालीगंज विधानसभा क्षेत्र के बुजुर्ग वोटर नरोत्तम शुक्ला ने बताया कि पिछले 30 साल से बंगाल में रह रहे हैं। यह पहला चुनाव है जब उनकी बिल्डिंग के गेट चुनाव के दिन बंद नहीं थे। हर बार चुनाव के समय कुछ गुंडा तत्व सक्रिय होते थे और वोटिंग के दिन सैकड़ों भवनों के निवासियों को बाहर निकलने से रोका जाता था। पहले वामपंथी और इसके बाद तृणमूल से जुड़े लोग ऐसा करते थे। यह पहली बार है जब खुलकर वोट दे सके।
कईं लोगी के लिए असली आजादी 2 मई को आयेगी