बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास करते कुछ राज्य
प्रहलाद सबनानी
बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास करते कुछ राज्य
भारत को यदि 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है तो निश्चित ही इसका रास्ता विभिन्न राज्यों के विकास के मार्ग से होकर जाता है। यह हर्ष का विषय है कि भारत के कुछ राज्य अपनी अर्थव्यवस्था को एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की ओर ले जाने के गम्भीर प्रयास करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इन राज्यों में शामिल हैं उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक एवं तमिलनाडु। इन राज्यों की वर्तमान में (वर्ष 2021-22) सकल राज्य घरेलू उत्पाद का स्तर, वर्तमान में वास्तविक वार्षिक विकास दर एवं आगे आने वाले समय में आवश्यक विकास दर की स्थिति पर विचार करने पर ध्यान में आता है कि इनमें से कुछ राज्यों को अपने लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करने होंगे।
उत्तरप्रदेश ने अपनी अर्थव्यवस्था को वर्ष 2027 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2021-22 में प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 29,400 करोड़ अमेरिकी डॉलर था एवं विकास दर लगभग 13 प्रतिशत थी। परंतु राज्य को एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए अब वर्ष 2027 तक आवश्यक विकास दर 34.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष हासिल करनी होगी। इतनी भारी भरकम विकास दर हासिल करने के लिए राज्य को विशेष प्रयास करने होंगे। उत्तरप्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 23 प्रतिशत, उद्योग क्षेत्र का योगदान 27 प्रतिशत एवं सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत है। उत्तरप्रदेश की जनसंख्या 22 करोड़ है, अतः राज्य में आर्थिक विकास के साथ उत्पादों की भारी भरकम मांग उत्पन्न की जा सकती है एवं राज्य की अर्थव्यवस्था खपत आधारित अर्थव्यवस्था बन सकती है। इससे प्रदेश में औद्योगिक विकास की प्रबल सम्भावनाएं मौजूद हैं। हालांकि हाल ही के समय में उत्तरप्रदेश विकास के पथ पर चल पड़ा है। राज्य के पश्चिमी एवं पूर्वी क्षेत्रों में सड़क मार्ग की उपलब्धता में अतुलनीय सुधार किया जा रहा है। नए नए सड़क मार्ग के कोरिडोर एवं एक्सप्रेस रास्तों का निर्माण किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों का निर्माण हो रहा है। इन समस्त सुविधाओं के बढ़ने से राज्य में भारी भरकम निवेश आकर्षित हो रहा है एवं रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं। अब उत्तरप्रदेश के नागरिक रोजगार प्राप्त करने के उद्देश्य से अन्य राज्यों की ओर कम प्रस्थान कर रहे हैं। दिनांक 10 फरवरी 2023 को उत्तरप्रदेश ने एक निवेश सम्मेलन 2023 का आयोजन किया था। इस वैश्विक निवेश सम्मेलन में भारतीय कम्पनियों के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भी भाग लिया था। उत्तरप्रदेश सरकार ने इस सम्मेलन में 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश की राशि के प्रस्ताव प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। परंतु, आश्चर्यजनक रूप से इस वैश्विक निवेश सम्मेलन में 33 लाख करोड़ रुपए के 18,643 निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इससे प्रदेश में 92.5 लाख रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे। प्रदेश कुछ वर्ष पूर्व तक बीमारू राज्य की श्रेणी में शामिल था, परंतु अब देश में सबसे तेज गति से आर्थिक विकास करने वाले राज्यों की श्रेणी में शामिल हो गया है। अतः अब आशा की जा रही है कि उत्तरप्रदेश वर्ष 2027 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।
इसी प्रकार महाराष्ट्र राज्य ने भी अपने राज्य की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2030 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2021-22 में महाराष्ट्र राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 43,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर था एवं वास्तविक विकास दर लगभग 10 प्रतिशत रही है। अब आने वाले वर्षों में, वर्ष 2030 तक महाराष्ट्र राज्य को अपनी अर्थव्यवस्था को औसतन 12.5 प्रतिशत की दर से प्रतिवर्ष आगे बढ़ाना होगा। वैसे भी महाराष्ट्र औद्योगिक विकास के मामले में भारत के अग्रणी राज्यों में रहा है। मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। महाराष्ट्र ने भी 120,000 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त किये हैं। निवेश के इन प्रस्तावों पर तेजी से कार्य चल रहा है। अतः राज्य द्वारा वर्ष 2030 तक एक लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर लिया जाएगा, ऐसी आशा की जा रही है।
गुजरात राज्य ने अपने राज्य की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2027 तक 50,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर की बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2021-22 में गुजरात राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 28,800 करोड़ अमेरिकी डॉलर था एवं वास्तविक विकास दर लगभग 13 प्रतिशत की रही है। अब गुजरात को उक्त लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वर्ष 2027 तक प्रतिवर्ष औसतन 16.1 प्रतिशत की विकास दर हासिल करनी होगी। यह विकास दर आसानी से प्राप्त की जा सकती है। गुजरात ने भी 163,000 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त किए हैं। इन प्रस्तावों के अंतर्गत राज्य में तेज गति से निवेश हो भी रहा है। गुजरात भारत के विकसित राज्यों में शामिल है एवं गुजरात में आर्थिक विकास की दर पिछले लम्बे समय से उत्साहजनक बनी हुई है। गुजरात के पास देश में सबसे बड़ी समुद्री सीमा है, जिससे अन्य देशों के साथ उत्पादों का आयात एवं निर्यात आसानी से हो सकता है। पूर्व के वर्षों में हासिल की गई आर्थिक विकास दर को देखते हुए यह आशा की जा रही है कि गुजरात राज्य वर्ष 2027 तक 50,000 करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा।
कर्नाटक ने अपनी अर्थव्यवस्था को वर्ष 2027 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2021-22 में कर्नाटक का सकल घरेलू उत्पाद 24,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर था एवं वास्तविक विकास दर लगभग 13 प्रतिशत की रही है। अब कर्नाटक को वर्ष 2027 तक प्रतिवर्ष औसतन 32 प्रतिशत की विकास दर हासिल करना होगा, तभी वह एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था वर्ष 2027 तक बन सकेगा। कर्नाटक की राजधानी बैंगलुरु को भारत की सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की राजधानी कहा जाता है एवं कर्नाटक में स्थापित इस क्षेत्र की कम्पनियों ने भारत का नाम पूरे विश्व में चमकाया किया है। कर्नाटक को उक्त लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अति गम्भीर प्रयास करने होंगे।
तमिलनाडु ने अपने राज्य की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2030 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2021-22 में तमिलनाडु का सकल घरेलू राज्य उत्पाद 32,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर था एवं वास्तविक विकास दर लगभग 11 प्रतिशत की रही है। अब राज्य को अपनी अर्थव्यवस्था को वर्ष 2030 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का बनाने का लिए प्रतिवर्ष औसतन 19 प्रतिशत की विकास दर हासिल करनी होगी। यह कुछ कठिन लक्ष्य दिखाई देता है, परंतु तमिलनाडु राज्य में जिस गति से विदेशी निवेश हो रहा है और उत्पादों के निर्यात में हो रही उच्च वृद्धि दर के चलते आशा की जानी चाहिए कि राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रयास करने से उक्त लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है।
उक्त समस्त राज्यों में निगमित अभिशासन (कॉरपोरेट गवरनेंस) उच्च स्तरीय है, आधारभूत सुविधाओं का द्रुत गति से विस्तार हो रहा है, कानून व्यवस्था नियंत्रण में है, ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ के मामले में इन राज्यों की स्थिति में अतुलनीय सुधार हुआ है। केंद्र सरकार एवं उक्त समस्त राज्य सरकारों के आपस में सम्बंध बहुत सौहार्दपूर्ण हैं एवं सहकारी संघवाद का उत्कृष्ट नमूना दिखाई दे रहा है। केंद्र सरकार के सहयोग से इन समस्त राज्यों के बीच अपने अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी दिखाई देती है, जिसके चलते ये समस्त राज्य अपने अपने राज्यों में निवेश, विदेशी निवेश सहित, को आकर्षित करने के लिए, विशेष निवेश सम्मेलनों का आयोजन कर, अपने लिए निर्धारित किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। लगातार हो रही नई औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के कारण इन राज्यों में रोजगार के लाखों नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। सस्ते एवं कुशल श्रमिकों की इन राज्यों सहित पूरे देश में पर्याप्त उपलब्धता है। इन राज्यों में स्थानीय स्तर पर शासन संचालन भी कुशल तरीके से चलाया जा रहा है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि उक्त राज्य अपने लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में यदि सफल होते हैं तो भारत को 5 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था बनाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। और फिर, देश के कुछ राज्यों को तो विकास का इंजन बनना ही होगा।