बाबा साहब का समग्र चिंतन समाज के सामने रखने की आवश्यकता – निम्बाराम
बाड़मेर/ बालोतरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि आज बाबा साहब का समग्र चिंतन समाज के सामने रखने की आवश्यकता है। आज हम देखते हैं कि दिल्ली में अनेक घाट बने हुए हैं, जहां देश के बड़े लोगों का अंतिम संस्कार हुआ है। इन घाटों पर जयंती और पुण्यतिथि पर आयोजन करने वाली केवल सत्ताएं है। शासन के पैसों से वहां कार्यक्रम होते हैं। लेकिन मुंबई की चैतन्य भूमि पर चले जाएं। वहां बाबा साहब की जयंती पर अपार जनसमूह आता है, जिनके जीवन का नारा जय भीम बन चुका है। यह आयोजन सरकार नहीं करती है, बल्कि आस्था और श्रद्धा के कारण लोग वहां खिंचे चले आते हैं।
वे बालोतरा में संविधान निर्माता और सामाजिक समरसता के अग्रदूत पूज्य बाबा साहब डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के 130वीं जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र (कमजोर वर्ग के युवाओं के लिए अध्ययन सुविधा) एवं सेवा भारती ई-मित्र सेवा केन्द्र (लागत मूल्य पर ई-मित्र सुविधाएं) का उद्घाटन भी हुआ। कार्यक्रम में रणजीत आश्रम, बालोतरा के पूज्य महंत अमृतराम महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम और जिला संघचालक डॉ. घेवरराम समेत गणमान्य बंधु उपस्थित थे।
निम्बाराम ने कहा कि आज हमारा दुर्भाग्य है कि 70 साल की आजादी के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में छुआछूत और भेदभाव जारी है। यदि हम चाहते हैं कि विघटन ना हो। समाज टूटे नहीं। जय भीम का नारा समाज के सभी वर्गों को सुहाए तो समाज में बड़े कहलाने वालों को पहल करनी पड़ेगी। यह विषमता समाप्त होनी चाहिए। बाबा साहब की जीवनी को हम बारीकी से पढ़ते हैं तो यह हमें महसूस होता है।
उन्होंने कहा कि बाबा साहब के परिवार में गोसाईं जी हुए हैं। गोसाईं जी ने एक दिन भीमाबाई को कहा, भीम के जन्म लेने से पहले हमारी पीढ़ी में तीन सन्यासी हुए हैं। तीनों का आशीर्वाद है कि हमारे घर में ऐसे पुत्र रत्न का जन्म हो, जो हमारी कीर्ति सर्वत्र बढ़ाए। इसलिए मुझे लगता है कि तेरी कोख से पैदा होने वाला पुत्र इसी प्रकार का होगा।
इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने भी बाबा साहब के जीवन पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम के पश्चात सांसी सेवा बस्ती की बालिकाओं को सिलाई मशीनें वितरित की गईं।