बेनकाब हुआ न्यूजक्लिक
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने मंगलवार को पूरे दिन पूछताछ के बाद रात को न्यूजक्लिक के संस्थापक (फाउंडर) प्रबीर पुरकायस्थ और एक अन्य पत्रकार अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया। न्यूजक्लिक पर चीन के पक्ष में प्रायोजित खबरें चलाने के लिए चीनी कंपनियों से फंड लेने का आरोप है।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अधिकारियों ने न्यूज़क्लिक कार्यालय को सील कर दिया है। पत्रकार उर्मिलेश, औनिंद्यो चक्रवर्ती, अभिसार शर्मा, परंजय गुहा ठाकुरता सहित इतिहासकार सोहेल हाशमी से पूछताछ में कई खुलासे हो सकते हैं।
इससे पहले अभिसार शर्मा ने पूर्व में हुई कार्रवाई पर कहा था कि मैं न्यूज क्लिक में काम करता हूं, मैं न्यूजक्लिक का बस एक कर्मचारी हूं। न्यूज क्लिक को कहां से फंड मिलता है, न्यूज़ क्लिक क्या करता है, इससे मेरा लेना-देना कैसे हो सकता है? देखें तो इस उत्तर के आधार पर तो हर वह आतंकवादी बेगुनाह है, जो किसी संदिग्ध आतंकवादी संगठन का एक कर्मचारी भर है।
जानकारी के अनुसार स्पेशल सेल पुलिस स्टेशन में पूछताछ में पुलिस ने उन्हें 25 प्रश्नों की सूची दी थी, जिसमें विभिन्न विषयों– जैसे उनकी अंतर्राष्ट्रीय यात्राएं, दिल्ली के शाहीनबाग में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के विरुद्ध प्रदर्शन व किसान आंदोलन में भागीदारी आदि सम्मिलित थे। यह सम्पूर्ण कार्रवाई फॉरेन फंडिंग के प्रकरण में UAPA के अंतर्गत की गई है।
इससे पहले 5 अगस्त 2023 को न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि न्यूजक्लिक को एक अमेरिकी अरबपति नोवेल रॉय सिंघम ने फाइनेंस किया था। वे चीनी प्रोपेगैंडा को बढ़ावा देने के लिए भारत सहित विश्वभर में संस्थाओं को फंडिंग करते हैं।
इस रिपोर्ट के आधार पर 17 अगस्त को न्यूजक्लिक के विरोध में केस दर्ज किया गया था। इनके विरुद्ध IPC की धारा 153 (ए) (धर्म, जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के साथ-साथ यूएपीए की कई धाराएं (13, 16, 17, 18 और 22) भी लगाई गई हैं।
धारा 16- आतंकी मामलों से जुड़ी, धारा 17- आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग जुटाना, धारा 18- षड्यंत्र की सजा, धारा 22 सी- कंपनियों द्वारा किए गए अपराध की सजा है।
चीनी एजेंडे पर नाचने वाले इन पत्रकारों के अलावा टाइम्स, एचटी ओर एक्सप्रेस समूह के चीनी कनेक्शन की भी जांच होनी चाहिए। पिछले दिनों इन्होंने चीन के वैभव को प्रदर्शित करते हुए चार चार पेज प्रकाशित किये थे। प्रश्न यह है कि ये मीडिया घराने भारत के दुश्मन देश चीन की नीतियों और वहां की उपलब्धियों को किस कीमत पर भारत में प्रचारित कर रहे हैं? ये भी चीन से पैसे तो नहीं ले रहे?