ब्रिटेन में बसा है एक हिंदू संसार
श्याम सुन्दर लदरेचा
मौसम परिवर्तन के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ब्रिटेन के प्रवास के दौरान नेशनल हिंदू स्टूडेंट्स फोरम (यूके) के एक कार्यक्रम में रहना हुआ। यह संगठन पिछले 30 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से विदेशी धरती पर सक्रिय विद्यार्थियों का संगठन है जो हिंदू विचारधारा व संस्कृति का पोषण करता आ रहा है। इस संस्था के कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने जो तथ्यात्मक जानकारियां प्रस्तुत कीं, वह मन को बहुत आनंद देने वाली थीं।
भारत पर अंग्रेजी शासन के दौरान भारत के बहुत सारे लोग अंग्रेजों के सहयोग व संरक्षण से अंग्रेजों के उपनिवेश वाले अफ्रीकी देशों में व्यापार करने जा बसे थे। हमारा देश स्वतंत्र हुआ तो उधर उन देशों में भी अंग्रेजी सत्ता कमजोर हो गई थी। ऐसी स्थिति में उन लोगों के सामने राजनीतिक परेशानियां आने लगीं। इन देशों में छितरे हिंदू अलग-अलग समस्याओं से त्रस्त होने लगे थे। वह सब अब नए आशियाने की खोज में थे। उस समय ब्रिटेन (यूके) ने दुनिया के इन हिंदुओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए। यही वह समय था जब सुदूर पश्चिम जैसे गुआना, सुदूर पूर्व जैसे फिजी व कई अफ्रीकी देशों से हजारों हिंदू ब्रिटेन में बसने को आए। इस प्रकार भारत के बाहर हिंदुओं को एक नया घर मिला।
आज वह पूरे सम्मान के साथ निवास, व्यापार अथवा कारोबार कर उस भूमि को अपना सर्वोत्तम दे रहे हैं।
एक बेहद दुःखद पड़ाव 1972 में युगांडा के शासक ईदी अमीन के समय आया, जिसने 90 दिन में युगांडा से एशियाई मूल के लोगों को भाग जाने की चेतावनी दी थी। कहते हैं उस समय हिंदुस्तानी मूल के 80 हजार लोग जान बचाने युगांडा से निर्वासित हुए, जिनमें से 27,200 हिंदुओं ने ब्रिटेन में शरण पाई थी।
अपनी मेहनत से खड़ी की गई जीविका व कमाई को छोड़कर वापस शून्य पर आ खड़े हुए विविध देशों में बसे ये हिंदू अपने इस नये देश में फिर शून्य से उबरने के प्रयास में लग गये।
1960 में हिंदुओं को हिंदुस्तान से बाहर अपना पहला मन्दिर उत्तरी इंग्लैंड की भूमि पर बनाने का सुख मिला। उस समय तक इस देश में हिंदुओं की संख्या लगभग 30 हजार पहुँच गई थी। लगभग उसी समय विश्व प्रसिद्ध बीटल्स बैंड के प्रमुख सदस्य श्री जॉर्ज हैरिसन ने लंदन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सैकड़ों बीघा भूमि खरीदकर अपने गुरु भक्ति वेदान्त प्रमुख को समर्पित की। हैरिसन ब्रिटेन के प्रभावी लोगों में से थे, जिन्होंने हिंदू जीवन पद्धति को अंगीकार किया था। उनके द्वारा प्रदत्त बेशकीमती भूमि पर भक्ति वेदान्त का सबसे बड़ा केंद्र खड़ा है। यहाँ भक्ति वेदान्त (इस्कॉन) का मुख्यालय है ।
समय के साथ हिंदुओं का प्रभाव आकार लेने लगा। 1989 में भारत से बाहर पहली बार विराट हिंदू सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में एक लाख बीस हजार से ज्यादा हिंदू तथा 300 के लगभग हिंदू संस्थान एक साथ एकत्रित हुए। इस कार्यक्रम में विश्वभर के हिंदू नेता ही नहीं अपितु भारत से लता मंगेशकर, बाबा रामदेव, स्वामी चिन्मयानंद, मुरारी बापू, रमेश भाई ओझा जैसी हिंदू विभूतियों ने भाग लिया था। 1991 के आते-आते ब्रिटेन में हिंदू संख्या 3 लाख 97 हजार तक पहुंच गई।
परंतु 1992 के अंत व 1993 के आरम्भ में हिंदुओं के मंदिरों व व्यापारिक केन्द्रों पर ब्रिटेन में हमले हुए, जिनमें हिंदू समाज को 2 मिलियन पौंड का नुकसान हुआ। इसका सामूहिक व प्रभावी विरोध वहां हिदुओं के बैनर तले हुआ। परिणामस्वरूप हिंदुओं तथा उनके मंदिर व व्यापार को ब्रिटेन की सरकार ने अतिरिक्त संरक्षण की व्यवस्था की। उन्हीं दिनों भारत के बाहर सबसे बड़े हिंदू मंदिर स्वामीनारायण सम्प्रदाय के मंदिर का उदघाटन हुआ व लंदन में पहला हिंदू प्राइवेट स्कूल स्थापित हुआ। 2001 तक आते आते इस देश में हिंदू संख्या 5,58,810 पहुंच गई व 2011 तक 8,35,394 हो गई थी।
हिंदुओं ने इस देश को अपने पसीने से सींचने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। आज इस विकसित देश के ग्राफ में इन हिंदुओं में 15 प्रतिशत स्वास्थ्य संबंधी सेक्टर में, लगभग 5 हजार हिंदू ब्रिटेन की प्रशासनिक सेवा में, 2500 के लगभग ब्रिटेन की सेना में व लगभग 50 हजार हिंदू मेडिकल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। यही नहीं, ग्रेट ब्रिटेन का राजनीतिक आभा-मंडल भी हिंदुओं के योगदान से झिलमिल है। 2005 में शेलेष वारा नार्थवेस्ट कैम्ब्रिज शायर से पहले हिंदू सांसद चुने गए। 2010 में प्रीति पटेल हाउस ऑफ कॉमन्स में चुनी गई पहली हिंदू महिला हैं, जिन्हें 2016 में कैबिनेट में स्थान प्राप्त हुआ। 2017 में एक साथ 8 हिंदू सांसद (5 कंजर्वेटर व 3 लेबर पार्टी से) चुनकर ब्रिटेन की राज-व्यवस्था का हिस्सा बने। आलोक शर्मा ब्रिटेन के वाणिज्य, ऊर्जा व उद्योग के प्रभारी मंत्री रहे, जिन्हें इस बार के सर्वाधिक चर्चित विश्व पर्यावरण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, ग्लास्गो के सम्मानीय अध्यक्ष का महत्वपूर्ण दायित्व मिला। आज हाउस ऑफ कॉमन्स में 15 तो हाउस ऑफ लॉर्ड्स में 23 पियर्स भारतीय मूल के हैं। वर्तमान में ब्रिटेन के वित्त मंत्री ॠषि सुनक भी भारतीय मूल के हैं।
आज पूरे ग्रेट ब्रिटेन में हिंदू जनसंख्या 12 लाख के लगभग है। यह वहां की जनसंख्या का लगभग 2 प्रतिशत है। वहां हिन्दू सर्वाधिक पर-कैपिटा टैक्स देने वालों में शामिल हैं।
लंदन के इन यादगार पलों में, मैं वहां संघ के विदेश विभाग में प्रचारक श्री चंद्रकांत को नहीं भूल सकता, जिन्होंने मेरे अलावा संघ के पूर्व प्रचारक श्री भागीरथ तथा स्वदेशी जागरण के राष्ट्रीय सदस्य व किसान संघ के श्री रामधन चौधरी को पूरा समय प्रदान कर पूरे प्रवास को व्यवस्थित करने व महत्वपूर्ण जानकारी देने में अतुलनीय सहयोग किया, जिनके बिना यह 15 दिवसीय यात्रा इतनी यादगार व ज्ञानवर्धक नहीं हो पाती।
(लेखक, पर्यावरण परिवर्तन कार्यकर्ता एवं एडवोकेट हैं तथा राजस्थान उच्च न्यायालय में अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे हैं)