भारतीय इतिहास की भ्रांतियों का निवारण आवश्यक – राज्यपाल आर्लेकर

भारतीय इतिहास की भ्रांतियों का निवारण आवश्यक - राज्यपाल आर्लेकर

भारतीय इतिहास की भ्रांतियों का निवारण आवश्यक - राज्यपाल आर्लेकर

हमीरपुर। प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि इतिहास हमारी सभ्यता, संस्कृति और साहित्य का अभिन्न अंग है, यह तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। इसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते। राज्यपाल हमीरपुर के समीप ठाकुर जगदेव चंद स्मृति शोध संस्थान में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत “भारतीय स्वाधीनता आंदोलन : वृत्तांत, स्मृतियां एवं नेपथ्य-नायक” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद एवं वेबीनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। यह दो दिवसीय परिसंवाद भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद और केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के इतिहास विभाग के सहयोग से आयोजित किया गया था।

राज्यपाल ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी हमारे इतिहास के कई महत्वपूर्ण विषयों को अभी तक स्पर्श ही नहीं किया गया है, ऐसे विषयों पर कई बार हम चर्चा करने से भी डरते हैं। इस दिशा में नेरी में आयोजित यह परिसंवाद निःसंदेह एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक घटनाओं का सही डॉक्युमेंटेशन एवं तथ्यात्मक जानकारी आज की पीढ़ी तक पहुंचाई जानी चाहिए। उन्होंने अपनी समृद्ध संस्कृति और संस्कारों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत के इतिहास के संकलन की आवश्यकता पर भी बल देते हुए राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश आजादी के बाद ही राष्ट्र नहीं बना था, बल्कि यह तो हजारों वर्ष से एक राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश भारतीय इतिहास में कई तरह की भ्रांतियां पैदा हुई हैं, जिनका निवारण करना वर्तमान इतिहासकारों एवं शोधार्थियों की जिम्मेदारी है। आशा व्यक्त की कि नेरी में आयोजित परिसंवाद में व्यापक अमृत-मंथन के बाद कुछ नया निकलकर आएगा जो देश को एक नई दिशा की ओर अग्रसर करेगा। आज हमारा देश जहां अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं गोवा भी अपनी मुक्ति का 60वां वर्ष मना रहा है।

उन्होंने बताया कि भारत की आजादी के 14 वर्षों के उपरांत गोवा पुर्तगाली शासन से मुक्त हुआ था। गोवा की मुक्ति के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अन्य महापुरुषों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने जिला कांगड़ा के राम सिंह का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गोवा में आज भी लोकसंस्कृति जीवंत है।

कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने डॉ. ओम प्रकाश शर्मा द्वारा निर्मित हिमाचल प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित एक लघु वृत्तचित्र, डॉ. शिव भारद्वाज की पुस्तक स्वराज संघर्ष में हिमाचल के नेपथ्य नायक, डॉ. ओम प्रकाश शर्मा की पुस्तक इतिहास लेखन में लोक गाथाओं का योगदान और परिसंवाद की स्मारिका का विमोचन भी किया।

भारत के प्रसिद्ध पुरातत्वविद प्रो. बसंत शिंदे ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर अपना अध्यक्षीय उद्बोधन दिया। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सलाहकार डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे। डॉ. कंवरदीप चंद्र ने परिसंवाद की भूमिका पर प्रकाश डाला। संस्थान के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने राज्यपाल और अन्य सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा संस्थान की उपलब्धियों की जानकारी दी।

संस्थान के निदेशक विजय मोहन पुरी और देशभर के कई विद्वानों ने इस परिसंवाद में ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया।

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