भारतीय फैशन और साहित्य दोनों ही सृजनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम- मनोज कुमार

भारतीय फैशन और साहित्य दोनों ही सृजनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम- मनोज कुमार
जोधपुर। वैश्विक बाजार में भारतीय फैशन के लिए बड़ी संभावनाएं हैं, हम सभी को पारंपरिक पोशाकों को सुर्खियों में लाने की आवश्यकता है ताकि विश्व को भारत की अनूठी सांस्कृतिक पहचान की जानकारी मिल सके, यह कहना था लिट्रेचर एक्टिविस्ट मनोज कुमार का, वे सोमवार (10 मार्च, 2025) को राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (NIFT) में फैशन एवं साहित्य विषय पर आयोजित संवाद सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि फैशन एवं साहित्य दोनों ही हमारी संस्कृति और समाज के प्रतिबिंब हैं। वे हमारे मूल्यों, विश्वासों और जीवनशैली को दर्शाते हैं। दोनों ही एक दूसरे से प्रभावित हो सकते हैं और एक दूसरे को प्रेरित भी कर सकते हैं। इस तरह दोनों सृजनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम हैं और हमें अपने विचारों, भावनाओं एवं अनुभवों को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करते हैं। लिखने की शुरुआत कैसे करें, एक छात्र के इस प्रश्न के उत्तर में मनोज कुमार ने कहा कि कई बार युवा सोचने के बाद भी लिख नहीं पाते हैं, ऐसा होता है, क्योंकि लिखने के लिए नियमित पढ़ना आवश्यक है, चाहे आप हर दिन 5 मिनट ही स्वाध्याय करें। श्रीनाथजी के शृंगार का उल्लेख करते हुए मनोज कुमार ने छात्रों को नियमित रूप से भगवान को पहनाई जाने वाली पोशाक के रंग, आभूषण की डिजाइन के बारे में अपने विचार रखे। इस दौरान चिंतक डॉ. विपिन चंद्र, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. मनीष शुक्ला सहित बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।
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