चारो धामों समेत उत्तराखंड के 51 मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त होंगे
उत्तराखंड की तीरथ सरकार ने गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ व केदारनाथ समेत 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की घोषणा की है।
इससे पहले त्रिवेंद्र रावत सरकार ने इन मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में लेने के लिए एक एक्ट के माध्यम से चार धाम देवस्थानम बोर्ड बनाया था। जिससे इन मंदिरों का प्रबंधन सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ गया था। लेकिन एक्ट को मंजूरी मिलने के पहले से ही मंदिरों के पुरोहित इस बोर्ड और मंदिरों के सरकारीकरण का विरोध कर रहे थे।
मुख्यमंत्री का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब पूरे देश में हिन्दू मंदिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त कराने की माँग उठ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड के बारे में पुनर्विचार किया जाएगा। वे इन मंदिरों को इस अधिनियम के अधिकार क्षेत्र से बाहर लाने के लिए कदम उठाएँगे। जल्दी ही चारो धामों के तीर्थ पुरोहितों की बैठक बुलाई जाएगी, शंकराचार्यों द्वारा प्राचीन काल से जो व्यवस्था चली आ रही है, उसका पूरी तरह पालन किया जाएगा। उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होगी और न ही किसी के अधिकारों में कटौती होगी। मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए शराब की दुकानों को बंद करने की भी घोषणा की।
हिंदू धर्म के आराधना स्थलों का प्रबंधन करने के लिए एक सामाजिक संस्था का गठन किया जाना चाहिए जो इन सभी मंदिरों तथा सार्वजनिक आश्रमों इत्यादि की देखरेख कर सके, संरक्षण कर सके, मरम्मत करवाए तथा अच्छे से प्रबंधन हो जैसा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी तथा वक्फ बोर्ड द्वारा क्रमशः गुरुद्वारों तथा मस्जिदों की देखरेख की जाती है। मेरे विचार में इसके लिए विश्व हिंदू परिषद को आवश्यक कदम उठाने चाहिए। विश्व हिंदू परिषद को अपने सद्-प्रयासों द्वारा देशभर के सभी हिंदू मंदिरों आश्रमों मठों, अन्य पूजा स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवाकर एक केंद्रीकृत संस्था के अधीन प्रबंधन हेतु लाया जाना चाहिए