मतांतरित ईसाइयों व मुसलमानों को जनजाति सूची से बाहर किया जाए – विश्व हिन्दू परिषद
- धूम-धाम से मनाएंगे गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व, देशव्यापी कार्यक्रमों की घोषणा
जूनागढ़ (गुजरात)। विश्व हिन्दू परिषद ने मांग की है कि मतांतरित ईसाइयों व मुसलमानों को जनजातियों की सूची से बाहर किया जाए। विश्व हिन्दू परिषद के प्रन्यासी मण्डल ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके सरकार से मांग की कि वह संविधान में आवश्यक संशोधन कर मतांरित जनजातीय लोगों को जनजातियों की सूची से बाहर करे ताकि वास्तविक जनजातियों को उनके अधिकार मिल सकें। अनेक न्यायालयों के साथ सर्वोच्च न्यायालय भी इस बारे में अपनी व्यवस्था दे चुके हैं। जनजातीय बंधु-भगिनियों को उनके संवैधानिक अधिकारों से कब तक वंचित रखा जाएगा।
विहिप अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि भारत में हिन्दू समाज हमेशा से नगरों, ग्राम या वनों में रहता रहा है। भले ही उनकी आध्यात्मिक परंपरा के अनुसार पूजा पद्धति में विविधता रही हो। लेकिन, उनका अंतर्मन सदैव एक रहा है। भारत को कमजोर करने के लिए गरीब अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों को लालच व दबाव से मतांतरित करने का प्रयास किया जाता है। अब, जब मतांतरित होने वाले लोग ईसाई मिशनरियों के प्रलोभन और दबाव को समझ गए हैं तो, छल और कपट का आवरण ओढ़ कर यह षड्यंत्र हो रहा है। इस काम में लगे मिशनरियों के रास्ते में जो आता है, वे उसे भी हटाने में संकोच नहीं करते। उड़ीसा में स्वामी लक्ष्मणानंद जी और त्रिपुरा में स्वामी शांति काली जी जैसे पूज्य संतों की निर्मम हत्या चर्च द्वारा उत्पन्न वातावरण के कारण ही हुई है। फिर भी, अनुसूचित जातियों के नाम नहीं बदलते हुए भी धर्मांतरण बड़ी तीव्रता के साथ किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि अनुसूचित जनजातियों के मतांतरित लोगों की संख्या केवल 18 प्रतिशत है, पर आरक्षण का 80 प्रतिशत लाभ यही वर्ग ले जाता है। संविधान में जरूरी संशोधन के बाद आरक्षण के लाभ जनजातियों के योग्य लोगों को प्राप्त हो सकेंगे। लेकिन, मतांरित होने के बाद भी वे दोनों प्रकार के लाभ उठा रहे हैं। केरल बनाम मोहन के मामले में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय देते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि यदि जनजाति का कोई व्यक्ति अपना मूल धर्म त्याग कर दूसरा धर्म अपना लेता है और अपनी परंपराएं, रीति रिवाज, पूजा पद्धति, एवं संस्कारों को छोड़ देता है तो, वह जनजाति नहीं माना जाएगा।
ईसाइयों के बढ़ते षड्यंत्र और उनकी व्यापकता को देखते हुए विश्व हिन्दू परिषद केंद्र सरकार से यह मांग करती है कि संविधान में आवश्यक संशोधन करके मतांतरित जनजातीय लोगों को जनजातियों की सूची से बाहर करना चाहिए ताकि वास्तविक जनजातियों को उनके अपने अधिकार मिल सकें।
वर्तमान वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश वर्ष है। श्री गुरू तेग बहादुर जी का प्रकाश 1 अप्रैल 1621 को श्री अमृतसर साहिब में श्री गुरु हरगोविंद जी के घर माता नानकी जी की कोख से हुआ था। उस समय औरंगजेब का अत्याचार पराकाष्ठा पर था। वह अनैतिक तरीके से लोगों का बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कर रहा था। वह इतना क्रूर था कि इस्लाम को बढ़ाने के लिए निर्दयता पूर्वक खून की नदियां बहा रहा था। ऐसे समय में गुरु तेग बहादुर जी ने अपने सर्वोच्च बलिदान से धर्म की रक्षा की थी। उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब की क्रूर कोशिशों के बावजूद इस्लाम नहीं अपनाया। इसीलिए, उन्हें ‘हिन्द की चादर-गुरु तेग बहादुर‘ कहा गया। वह तिलक जंजू के राखा भी कहलाते हैं।
विश्व हिन्दू परिषद देशभर की अपनी समितियों और कार्यकर्ताओं से आह्वान करती है कि वे इस प्रकाश वर्ष में श्री गुरु तेग बहादुर जी का स्मरण कर सभी स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करें, जिससे सम्पूर्ण देश श्री गुरु महाराज के दिखाए सद्मार्ग पर चले और धर्म की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे।