मदरसा सर्वेक्षण पर अनावश्यक राजनीति क्यों?

मदरसा सर्वेक्षण पर अनावश्यक राजनीति क्यों?

मृत्युंजय दीक्षित

मदरसा सर्वेक्षण पर अनावश्यक राजनीति क्यों?मदरसा सर्वेक्षण पर अनावश्यक राजनीति क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार मदरसों में शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मदरसों का सर्वे करा रही है। इस सर्वे का विरोध करने के नाम पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दल व संगठन एक बार फिर जीवंत हो उठे हैं। प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य मदरसों को मुख्यधारा में लाना है। सरकार छात्रों व अध्यापकों को शिक्षा के आधुनिक तरीकों से जोड़ने की कवायद कर रही है। मदरसा सर्वे के 12 बिंदु तय किये गये हैं, जिनमें मदरसों की गवर्निंग कैसी होती है? इन्हें पैसे कहां से आते हैं? पाठयक्रम क्या है आदि सवालों का उत्तर देने हैं।

मदरसों के सर्वे के लिए जो फॉर्म बनाया गया है, उसमें मदरसे को संचालित करने वाली संस्था का नाम, स्थापना का वर्ष, मदरसा निजी भवन में चल रहा है या किराए के भवन में चल रहा है? क्या मदरसे का भवन छात्रों के लिए उपयुक्त है आदि प्रश्न पूछे गए हैं। इस फॉर्म में पेयजल, फर्नीचर, शौचालय आदि सुविधाओं आदि के बारे में भी बताना होगा। मदरसे में शिक्षकों की संख्या का विवरण भी देना है। मदरसों की आय का स्रोत भी बताना होगा। क्या इन मदरसों में पढ़ रहे छात्र कहीं और नामांकित हैं? जैसे सवालों के उत्तर देने हैं। क्या किसी गैर सरकारी संस्था या समूह से मदरसे की संबद्धता है? अगर हां तो इस संबंध में पूरा विवरण देना होगा। अंतिम कॉलम टिप्पणी का रखा गया है, इसमें सर्वेकर्ता अनेक बिन्दुओं पर अपनी टिप्पणी लिख सकते हैं।

मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दल, संगठन तथा नेता इस सर्वे का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। मुस्लिम नेताओं व मौलवियों की धमकियों के बावजूद मुख्यमंत्री के आदेशानुसार प्रदेश भर में मदरसों का सर्वे अभी तक शांतिपूर्वक चल रहा है। कुछ मौलाना लगातार उत्तेजक भाषण देकर मुस्लिम समाज को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना रशीदी ने कहा कि वह मदरसों से अपील करते हैं कि नोटिस लेकर आने वाली सर्वे टीम का स्वागत चप्पल-जूतें से करें।

मदरसों का सर्वे कराने के मुददे पर एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी और जमीयत उलेमा- ए- हिंद के मौलाना सैयद अरशद मदनी लगातार आग उगल रहे हैं। सांसद असदुद्दीन ओवैसी जो कि स्वयं एक बहुत महंगे स्कूल में पढ़े लिखे हैं और उनके परिवार के सभी बच्चे भी मदरसों की शिक्षा से दूर हैं, वह भी मुस्लिम समाज के सबसे बड़े हितैशी बनने की चाहत में मुस्लिम समाज को मदरसों के सर्वे के विरुद्ध भड़का रहे हैं और इसे छोटा एनआरसी बता रहे हैं। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिरों और सरकारी स्कूलों के सर्वे की भी मांग उठा रहे हैं।

मदरसों के सर्वे का विरोध प्रदेश के वह सभी राजनैतिक दल कर रहे हैं, जिनका बड़ा आधार मुस्लिम वोट बैंक रहा है। समाजवादी और बहुजन समाजवादी पार्टी दोनों बयानबाज़ी में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं। पार्टी के मुस्लिम सांसद और विधायक भी विरोध के नाम पर मुस्लिम समाज को भड़काने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं तथा अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। बसपा नेत्री मायावती ने कहा कि, “भारतीय जनता पार्टी के शासन में मुस्लिम समाज का दमन किया जा रहा है। मदरसों की जांच के नाम पर भाजपा की मदरसों पर नजर है।“ मायावती का कहना है कि पहले कांग्रेस के शासनकाल में इस तरह की संकीर्ण राजनीति के कारण इस समुदाय को तुष्टिकरण की राजनीति का शिकार होना पड़ा और अब यह क्रम भाजपा की सरकारों में भी जारी है। मायावती का कहना है कि मुस्लिम समाज के शोषित, उपेक्षित व दंगा पीड़ित होने आदि की शिकायतें कांग्रेस के जमाने में आम रही हैं फिर भी बीजेपी द्वारा तुष्टिकरण के नाम पर संकीर्ण राजनीति करके सत्ता में आ जाने के बाद अब इनके दमन व आतंकित करने का खेल अनवरत जारी है। जबकि वास्तविकता क्या है, यह पूरा प्रदेश व देश जानता है।

मुंबई के इस्लामिक संगठन रजा अकादमी के प्रमुख मौलाना सईद नूरी ने भी सर्वे पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर सरकार सभी मदरसों को मान्यता देना चाहती है तो ठीक है लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार मदरसों का भला नहीं करना चाहती। वह तो मदरसों की आड़ में वातावरण को सांप्रदायिक बनाना चाहती है। देवबंद के मौलाना मसूद मदनी का कहना है कि सरकार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के नाम पर गरीब मुसलमानों के बच्चों को पढ़ने से रोकना चाहती है। एक प्रकार से सभी मुस्लिम नेता व संगठन सर्वे का कड़ा विरोध कर रहे हैं।

अच्छी बात ये है कि सेक्युलर नेताओं व मौलनाओं के विरोध के बाद भी मदरसों के सर्वे का काम शांतिपूर्वक चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में ही मदरसों के आधुनिकीकरण की पहल की थी। उन्होंने 2017 में एक पोर्टल बनाया था, जिसमें सभी मदरसों को रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया था। अब तक 16,513 मदरसों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, जिनमें से 558 मदरसों को सरकारी अनुदान मिल रहा है। योगी सरकार ने मदरसों के पाठयक्रम में एनसीईआरटी की पुस्तकों को शामिल किया है। मदरसे के छात्रों के लिए एक लर्निंग एप लांच किया है तथा मदरसों में परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए वेब कैम लगवाए हैं। हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत अभी हाल ही में कई मदरसों में तिरंगा फहराया गया।

मदरसों के छात्रों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए राज्य सरकार ने पाठयक्रम में आधुनिक विषयों गणित, अंग्रेजी, विज्ञान, हिंदी आदि को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है और मदरसों में पढ़ने वाले सभी छात्र सरकार की नीति से बहुत प्रसन्न हैं।

सर्वे के विरोध के बीच सभी मुस्लिम नेताओं को यह भी पता करना चाहिए कि जिन मदरसों में आधुनिक पाठयक्रम पढ़ाया जा रहा है क्या वहां पर पवित्र कुरान और धर्म की शिक्षा देना बंद कर दिया गया है? अब मुस्लिम कट्टरपंथियों के बहकावे में आकर कई छात्र यह मांग करने लग गये हैं कि मदरसों में आधुनिक शिक्षा तो सही कदम है, लेकिन मदरसों में दीनी तालीम से छेड़छाड़ न की जाये क्योंकि हम सभी छात्र यहां पर दीनी तालीम लेने आते हैं।

मुस्लिम संगठनों का सर्वे को लेकर डर स्वाभाविक है क्योंकि इससे मदरसों की सच्चाई सामने आ जाएगी। प्रदेश व देश के कई हिस्सों में अवैध मदरसे चल रहे हैं, जिनमें से कई में देश विरोधी गतिविधियां चल रही हैं, कई लोग पकड़े भी गये हैं। असम में अवैध मदरसों पर कार्यवाही के दौरान तीन मदरसों से 37 कुख्यात आतंकी पकड़े गये हैं, जिनका सम्बन्ध कुख्यात आतंकी संगठन अल कायदा और बांग्लादेशी संगठन अंसारूल्लह बांग्ला से बताया जा रहा है। मदरसे चलाने की आड़ में ये लोग देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे। उत्तराखंड सरकार ने भी मदरसों का सच जानने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर सर्वे कराने का निर्णय लिया है।

उत्तर प्रदेश में अवैध मदरसों की फसल लहलहा रही है। श्रावस्ती जिले में 62 किमी सीमा नो मैंस लैंड से मिलती है। इस सीमा पर अवैध रूप से गांव बस गये हैं और अवैध मदरसे भी संचालित हो रहे हैं, लेकिन खुफिया एजेंसियों व सुरक्षा बलों के अफसर कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। अमेठी में चारागाह की जमीन पर बना अवैध मदरसा बुलडोजर से ध्वस्त किया गया है। अनेक मदरसों में अवैध गतिविधियां चलती रहती हैं, जिनका समय- समय पर खुलासा होता रहता है। नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों मे अवैध मदरसों की बाढ़ आ गई। जहां पर पता चला है कि मदरसों में छात्र तो भारतीय हैं, लेकिन उनको पढ़ाने वाले शिक्षक नेपाल से आते हैं, जिनका कोई विवरण नहीं मिला।

मदरसों में आज भी औरंगजेब के समय की कट्टर तालीम दी जा रही है। प्रदेश के कई मदरसें में आतंकवादी पकड़े गये हैं। मदरसों के कई मौलाना दुराचार जैसी वारदातों में संलिप्त पाये गये हैं।

अभी हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि ओवैसी सहित सभी मुस्लिम नेता झूठ बोल रहे हैं। यूपी सरकार को बच्चों की स्थिति के बारे में पूछने और उन्हें शिक्षा प्रणाली में फिर से शामिल करने का पूरा अधिकार है। आयोग की रिपोर्ट से पता चलता है कि 1.10 करोड़ से अधिक बच्चे गैर मान्यता प्राप्त और गैर मानचित्रित मदरसों में पढ़ रहे हैं। प्रियांक कानूनगो का कहना है कि ओवैसी जैसे नेता झूठ बोलकर अल्पसंख्यक समाज को गुमराह कर रहे हैं। आयोग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि मदरसों और शिक्षा का संचालन करने के लिए 10 हजार करोड़ का फंड आया, लेकिन वह कहां गया और कहां खर्च हुआ कुछ पता नहीं है, जबकि मदरसों के छात्रों व अध्यापकों को किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल रही और न ही छात्रों की संख्या बढ़ी है।

हाल ही में लखनऊ व उसके आसपास के कई मदरसों में आपराधिक गतिविधियों का खुलासा हुआ था, जिसके कारण भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सक्रिय हुए और उन्होंने सर्वे कराने का यह कदम उठाया। प्रियांक कानूनगो का कहना है कि सभी मुख्यमंत्रियों को बच्चों के अधिकारों के लिए अपने -अपने राज्यों में सर्वे कराना चाहिए। अनुच्छेद -30 कर तर्क लागू नहीं होगा क्योंकि सरकार उन बच्चों के अधिकारों की संरक्षक है जो स्कूल से बाहर हैं। स्कूल न जाने वाले बच्चों के विषय में जाने के लिए हमें मदरसों के अंदर जाना ही होगा।

प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष बासित अली ने कहा कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में बाल अधिकारों का हनन हो रहा है। चंदे से यहां के मौलाना मौज उड़ा रहे हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि इनका सर्वे हो। अली का कहना है कि कई जगहों पर गैर मान्यता प्राप्त मदरसे ऐसी गलियों में चल रहे हैं कि वहॉं आग लग जाये तो फायर ब्रिगेड की गाड़िया जा ही नहीं सकतीं। मिड-डे-मील योजना का लाभ नहीं मिल रहा। प्रदेश सरकार में मत्स्य पालन विभाग के मंत्री संजय निषाद बड़ा हमला बोलते हुए कह रहे हैं कि मदरसों से आतंकियों और अपराधिययों के लिंक मिलते हैं। मदरसों में उन्माद करना ही पढ़ाया जाता है। अब मदरसों की हालत सुधारकर बच्चों को बेहतर ज्ञान दिलाया जायेगा। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद अंसारी का कहना है कि मदरसों के सर्वे से किसी को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। यह केवल इसलिए हो रहा है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को भी सभी प्रकार की सरकारी सुविधाएं मिल सकें।

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