महाकुंभ के बहाने सनातन का अपमान

महाकुंभ के बहाने सनातन का अपमान

मृत्युंजय दीक्षित 

महाकुंभ के बहाने सनातन का अपमानमहाकुंभ के बहाने सनातन का अपमान

प्रयागराज में दिव्य-भव्य महाकुंभ के आयोजन की तैयारियों के समय से ही इंडी गठबंधन के सभी दलों के नेता किसी न किसी बहाने इसकी आलोचना कर रहे थे। अब वे इसके सफल संचालन पर जैसे बौखला गए हैं और इसे विफल करार देने का हर सम्भव प्रयास कर प्रयास कर रहे हैं। अपने वक्तव्यों से महाकुम्भ मेले की आड़ में सनातन धर्म और हिन्दू आस्था का अपमान कर रहे हैं। खड़गे के बयान, क्या कुम्भ में नहाने से गरीबी दूर होगी, से शुरू हुआ यह अपमान अब महाकुम्भ को मृत्युकुम्भ कहने तक जा पहुंचा है। बिहार के चारा घोटाले के मुख्य आरोपी न्यायपालिका की दया से जमानत पर बाहर घूम रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने महाकुंभ को फालतू का कुंभ कहा और फिर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी सीमाओं को पार करते हुए महाकुंभ को मृत्युकुम्भ कह डाला, जिससे संपूर्ण हिंदू समाज आक्रोशित है। 

मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में अंधे हो चुके इन सभी दलों के नेताओं को यह महाकुम्भ इसलिए रास नहीं आ रहा है क्योंकि यह अब तक का सर्वाधिक सफल महाकुम्भ बनने जा रहा है। इस महाकुम्भ से सनातन हिंदू समाज की एकता का जो ज्वार उभरा है, उससे मुस्लिम परस्त दलों को अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिस प्रकार से महाकुम्भ को मृत्युकुम्भ कहा है, उससे स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि उन्हें अब 2026 में राज्य के विधानसभा चुनावों में संभावित हिन्दू एकता से भय लगने लगा है।

इंडी गठबंधन के कई दलों के प्रमुख नेता जहाँ महाकुम्भ की आलोचना कर रहे हैं, वहीं उन्हीं दलों के बहुत से नेता वीवीआईपी टीट्रमेंट के साथ गंगा नदी में पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, डीके शिवकुमार, अजय राय, सचिन पायलट ये सभी माँ गंगा में डुबकी लगा चुके हैं। 

यूपी में समाजवादी पार्टी ने तो महाकुंभ के विरुद्ध एक नियमित अभियान ही चला दिया है। सपा के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर कह रहे हैं कि हम विरोधी दल हैं, हमारा तो काम ही सरकार से व्यवस्थाओं पर प्रश्न करना है। तो सरकार से प्रश्न करो ना, सनातन पर क्यों कर रहे हो? सपा के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी महाकुम्भ के विरुद्ध खूब दुष्प्रचार किया जा रहा है। महाकुंभ -2025 पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए सपा सांसद अफजाल अंसारी पर मुकदमा तक दर्ज हुआ है क्योंकि उन्होंने कहा था कि संगम पर भीड़ देखकर लगता है कि स्वर्ग हाउसफुल हो जाएगा। 

उत्तर प्रदेश विधान सभा सत्र में बोलते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुम्भ को फालतू कुंभ और मृत्युकुम्भ बताने वालों को सटीक और कड़ा उत्तर दिया।मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि सनातन का आयोजन भव्यता से करना अगर अपराध है तो यह अपराध मेरी सरकार ने किया है, आगे भी करेगी। मुख्यमंत्री ने अपने बयान में सपा पर हमलावार होते हुए कहा कि सोशल मीडिया हैंडल देखें तो वहां की भाषा उनके संस्कारों को प्रदर्शित करती है। यह भाषा किसी सभ्य समाज की नहीं हो सकती। ये लोग अकबर का किला जानते थे, लेकिन अक्षयवट और सरस्वती कूप नहीं जानते थे, ये इनके सामान्य ज्ञान का स्तर है। मुख्यमंत्री ने कहा, सनातन धर्म के इतने बड़े आयोजन में कोई भूखा नहीं रहा, महाकुम्भ में जो आया वो भूखा नहीं गया। 

मुख्यमंत्री ने संगम जल की गुणवत्ता पर उठाये जा रहे सभी प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि संगम का पानी न केवल नहाने अपितु आचमन के लिए भी उपयुक्त है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि संगम व महाकुंभ को बदनाम करने के लिए लगातार झूठा अभियान चलाया जा रहा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि संगम और उसके आसपास के सभी पाइप और नलों को टेप कर दिया गया है। पानी को शुद्ध करने के बाद ही छोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पानी की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए लगातार निगरानी कर रहा है। आज की रिपोर्ट के अनुसार, संगम के पास बीओडी की मात्रा 3 से कम है और घुलित ऑक्सीजन 8-9 के आसपास है। इसका तात्पर्य यह है कि संगम का पानी न केवल नहाने के लिए अपितु आचमन के लिए भी उपयुक्त है। 

हिंदू विरोधी इंडी गठबंधन के नेताओं की हिंदू आस्था पर आघात करने की आदत बन चुकी है। यह सभी दल हीन भावना से ग्रसित हो चुके हैं। इन्हें हिंदू समाज का उत्थान, हिंदू समाज का वैभव पसंद नहीं आ रहा है, जाग्रत, एकता से युक्त, एकरस हिंदू समाज इनको पसंद नही आ रहा है। इन सभी दलों को मां गंगा की अविरल धारा में अपनी राजनीति समाप्त होती नजर आ रहा है। जिस कारण ये सभी एक स्वर में महाकुंभ को मृत्युकुंभ बताने लग गये हैं। 

वास्तविकता यह है कि समरसता के इस समागम में सनातन संस्कृति साकार हो रही है, आम हिंदूजन पहली डुबकी शुचिता की, दूसरी भक्ति की और तीसरी ज्ञान की लगा रहे हैं। यह महाकुंभ- 2025 और संगम एकता, प्रेम, त्याग तपस्या का प्रतीक बन चुका है। यह महाकुंभ श्रद्धा और विश्वास का समागम बन चुका है। आज संपूर्ण वैश्विक जगत महाकुंभ 2025 के आयोजन को अद्वितीय, अकल्पनीय बताकर व्यवस्थाओं की सराहना कर रहा है। महाकुंभ में सनातन की हर धारा दृश्यमान है। 

महाकुंभ की यात्रा अंतर्मन की यात्रा है। यहां आने वाला हर श्रद्धालु निष्कपट भाव से एकरस होकर एक विचार के साथ पवित्र संगम की डुबकी लगा रहा है और विरोधी दलों के नेता उन सभी श्रद्धालुओं की सेवा और सत्कार करने के बजाय उन सभी की आस्था का घोर अपमान कर रहे हैं। दूर दराज से आ रहे श्रद्धालुओं के चेहरे पर कोई शिकन नहीं है अपितु उनके मन में एक संकल्प है ओैर वह अपने संकल्प की सिद्धि के लिए पूर्ण अनुशासन, धैर्य, संयम के साथ आगे बढ़ते जाते हैं।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *