महाराणा प्रताप हारे नहीं थे, नई पीढ़ी को सही इतिहास बताए जाने की आवश्यकता है – पटेल

महाराणा प्रताप हारे नहीं थे, नई पीढ़ी को सही इतिहास बताए जाने की आवश्यकता है - पटेल
महाराणा प्रताप हारे नहीं थे, नई पीढ़ी को सही इतिहास बताए जाने की आवश्यकता है - पटेल
  • योगायोग के समग्र दर्शन हैं महाराणा प्रताप
  • उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र में 9 दिवसीय महाराणा प्रताप जयंती समारोह का समापन
उदयपुर, 21 जून। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जीवन योगायोग का समग्र दर्शन है। योग न केवल शारीरिक रूप से शक्ति प्रदान करता है, बल्कि आत्मबल को भी वज्र सा मजबूत करता है। महाराणा प्रताप इन दोनों के धनी थे। उन्होंने समाज के हर वर्ग को मातृभूमि के प्रति समर्पण के लिए प्रेरित किया, यह उनके आत्मबल से ही संभव हुआ।
यह बात केन्द्र सरकार में संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने रविवार को प्रताप गौरव केन्द्र की ओर से चल रहे 9 दिवसीय महाराणा प्रताप जयंती समारोह के समापन पर कही। ‘राष्ट्र का पावन तीर्थ’ विषय पर आयोजित इस ऑनलाइन समापन समारोह में केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की संकल्प शक्ति, इच्छा शक्ति और आत्मबल इतना प्रभावशील था कि उनका अनन्य सखा चेतक अश्व भी मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण की चेतना को आत्मसात कर चुका था। यही कारण है कि आज चेतक के बिना महाराणा प्रताप का नाम अधूरा सा लगता है। उन्होंने असाध्य को साध्य किया। यह प्रताप का ही सामर्थ्य था कि किसानी करने वाले समाजों को उन्होंने योद्धा बना दिया।
राज्यमंत्री पटेल ने कहा कि देश के गौरवशाली और शौर्यपूर्ण इतिहास को ज्ञानियों से जितना नुकसान नहीं पहुंचा, उतना अल्पज्ञानियों के अहंकार से नुकसान पहुंचा है। लम्बे समय तक अकबर को महान बताया जाता रहा। हल्दीघाटी युद्ध के परिणाम पर भी विवाद किया जाता रहा। जबकि, यह साबित है कि अकबर जीता नहीं, महाराणा प्रताप हारे नहीं। इतिहास के ऐसे ही भ्रमित कर दिए गए तथ्यों को सटीक रूप में नई पीढ़ी को बताने की महती आवश्यकता है। नई पीढ़ी जानेगी तभी उसकी अंतर्चेतना में देश के प्रति गर्व और समर्पण की भावना का संचार होगा। उन्होंने कहा कि उदयपुर का प्रताप गौरव केन्द्र नई पीढ़ी के मार्गदर्शन के ऊर्जा केन्द्र की तरह है।  मनुष्य हो या धातु, जितना तपता है उतना ही निखरता है। सुविधायुक्त जीवन जीने वाली पीढ़ी इतिहास पुरुषों की तपस्या को केवल पुस्तकों के पन्नों को पलटने भर से नहीं समझ पाएगी। उसे इस तरह के केन्द्रों से ही महापुरुषों के संघर्ष की अनुभूति प्राप्त हो सकेगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र के निरंतर विकास के साथ देश के हर कोने से युवा पीढ़ी यहां पहुंचे, सभी को मिलकर यह प्रयास करना होगा। नई पीढ़ी जितना अपने इतिहास को सही रूप में जानेगी-समझेगी, उतना ही देश का भविष्य मजबूत होगा।
राज्यमंत्री पटेल ने कहा कि संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय ने इसी दृष्टिकोण के साथ इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को धरोहर के साथ जोड़ा है। योग अपने आप में हमारी धरोहर है और देश के ऐतिहासिक धरोहर स्थलों पर योग दिवस पर विशेष कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है, ताकि युवा पीढ़ी इन दोनों प्राचीन धरोहरों से रू-ब-रू हो सके। उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे अपने देश के गौरवमयी इतिहास को गहराई से समझें और महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लें।
इससे पूर्व, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्रीवर्धन ने प्रताप गौरव केन्द्र की स्थापना के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए कहा कि महापुरुषों के गौरवशाली अतीत के बारे में जानेंगे तभी हम उनका अनुसरण कर पाएंगे। इसी के मद्देनजर यहां महापुरुषों, वीरांगनाओं के प्रेरणा देने वाले दृश्यों का अंकन किया गया है। इस केन्द्र के विकास में समाज, सरकार सभी का सहयोग रहा है और अब भी निरंतर सहयोग की अपेक्षा है।
समापन समारोह में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष डॉ. बीएल चौधरी ने 9 दिवसीय कार्यक्रम के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं के परिणामों की घोषणा की। महामंत्री डॉ. परमेन्द्र दशोरा ने 9 दिवसीय आयोजनों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। समिति के कार्यकर्ता अशोक पुरोहित ने ‘सिरमौर है हमारा, राणा प्रताप प्यारा’ काव्यगीत प्रस्तुत किया।
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