महिलाएँ राष्ट्र निर्माण के लिए भूमिका निभाने आगे आएंः डॉ. नीलप्रभा

महिलाएँ राष्ट्र निर्माण के लिए भूमिका निभाने आगे आएंः डॉ. नीलप्रभा

महिलाएँ राष्ट्र निर्माण के लिए भूमिका निभाने आगे आएंः डॉ. नीलप्रभामहिलाएँ राष्ट्र निर्माण के लिए भूमिका निभाने आगे आएंः डॉ. नीलप्रभा

राष्ट्र सेविका समिति राजसमंद विभाग, चित्तौड़ प्रांत का प्रारंभिक शिक्षा वर्ग 1 जून सांयकाल 5 बजे से 6 जून प्रातः 8 बजे तक चला। वर्ग का उद्घाटन वर्गाधिकारी विद्या और प्रांत की सहकार्यवाहिका सुशीला ने अष्टभुजा देवी के सामने दीप प्रज्जवलन और माल्यार्पण कर किया। वर्ग में 113 सेविकाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। 5 प्रबंधिकाओं द्वारा सभी प्रकार की व्यवस्थाओं का उचित प्रबंध किया गया। 6 शिक्षिकाओं ने प्रातः 4:45 से रात्रि 10 बजे तक विभिन्न सत्रों में शारीरिक और बौद्धिक क्षमता विकास के लिए प्रशिक्षण दिया। जिसमें व्यायामयोग, आचार पद्धति, गणसमता, योगासन, नियुद्ध, दंड, खेल, श्लोक, गीत एवं समिति की प्रार्थना आदि सिखाया गया।

समिति कार्य परिचय, सर्वश्रेष्ठ भारतीय संस्कृति, स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव एवं राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका, इन विषयों पर क्रमशः सुशीला, विनीता, दर्शना और डॉ. नीलप्रभा का सानिध्य मिला। आत्मरक्षा कैसे करें, नई शाखा कैसे प्रारंभ करें, नित्य शाखा से व्यक्ति निर्माण एवं स्वास्थ्य जैसे विषयों पर चर्चा हुई। हमारे उत्सव, भारत का मानचित्र, प्रातः स्मरणीय महिलाएं और पर्यावरण जैसे विषयों पर कार्यशाला हुई। रात्रि कार्यक्रम में राजस्थानी वीरांगनाओं के जीवन चरित्र की प्रस्तुति, भजन, अंत्याक्षरी, एक मिनट के खेल हुए।

5 जून को समापन कार्यक्रम में मुख्यवक्ता डॉ. नीलप्रभा ने भारत में महिलाओं की गौरवमयी स्थिति से अवगत करवाया। उन्होंने कहा देश के निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसे समझते हुए महिलाओं को आगे आकर अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। महिला को जीवन गढ़ने वाला माना जाता है। इसके अनेक प्रमाण इतिहास और वर्तमान में भी मिल रहे हैं। स्त्री को यदि पुरुष का सकारात्मक सहयोग मिले तो वह अपने जीवन के साथ दूसरों का जीवन भी संवार सकती है। पौराणिक काल में जितने ज्ञानी ऋषि हुए हैं उतनी ही विदुषी महिलाएं भी हुई हैं। महिलाओं में कार्य करने वाले इस विश्व के सबसे बड़े संगठन में महिला को आत्मनिर्भर बनने से लेकर वर्तमान में हिन्दू महिलाओं के प्रति चल रहे लव जिहाद, पश्चिमी देशों की नकल करना, पश्चिमी संस्कृति को महान बताना और भारतीय मूल्यों को कमतर आंकना जैसे अनेक सामाजिक षड्यंत्र भारत की मूल परिवार व्यवस्था को तोड़ने के लिए चल रहे हैं। इन सभी समस्याओं का उपाय महिला सशक्तिकरण से होगा। महिला को तन, मन और बुद्धि सभी प्रकार से सशक्त होना होगा। वह तभी देश के सम्पूर्ण विकास में भागीदार बन सकेगी।

राजसमंद विभाग कार्यवाहिका शांता ने वृत निवेदन और आभार व्यक्त किया। 6 जून प्रातः दीक्षांत समारोह हुआ। जिसमें सेविकाओं को रक्षा सूत्र बांधकर और कुमकुम तिलक लगाकर अपने अपने स्थानों के लिए नई ऊर्जा और क्षमता के साथ समिति कार्य विस्तार की योजना कर परम पवित्र भगवा ध्वज के समक्ष प्रार्थना के बाद विदा किया गया।

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