महिला सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं, संघ की समन्वय बैठक संपन्न
महिला सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं, संघ की समन्वय बैठक संपन्न
पालक्काड, 3 सितंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने कहा है कि महिला सुरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। पालक्काड में आयोजित तीन दिवसीय संघ समन्वय बैठक के दौरान इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की गई। अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने 2 सितंबर, 2024 को 32 आरएसएस-प्रेरित संगठनों की समन्वय बैठक के समापन दिवस पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि चर्चा विशेष रूप से बंगाल में एक युवा महिला डॉक्टर से जुड़े बलात्कार और हत्या के मामले के संदर्भ में थी।
आंबेकर ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में त्वरित और समयबद्ध न्याय की आवश्यकता है। कानूनी व्यवस्था और सरकार को सतर्क और सक्रिय होना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो कानून को मजबूत किया जाना चाहिए। बैठक में कानूनी ढांचे को मजबूत करने, समाज में जागरूकता बढ़ाने, पारिवारिक स्तर पर और शिक्षा के माध्यम से मूल्यों को बढ़ावा देने, आत्मरक्षा कार्यक्रमों और डिजिटल सामग्री से संबंधित मुद्दों, विशेषकर ओटीटी प्लेटफार्मों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि समाज की प्रगति में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। पिछले वर्ष, महिलाओं को सशक्त बनाने और सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से, आरएसएस से प्रेरित संगठनों में काम करने वाली महिलाओं ने सभी राज्यों में जिला केंद्रों पर सामूहिक रूप से महिला सम्मेलन आयोजित किए। 472 सम्मेलनों में लगभग 6,00,000 महिलाओं ने भाग लिया। बैठक में इन सम्मेलनों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जो राष्ट्रीय जीवन में महिलाओं की उन्नति में एक मील का पत्थर है। बैठक में अहिल्याबाई त्रि-शताब्दी वर्ष समारोह से संबंधित गतिविधियों की भी समीक्षा की गई। सुनील आंबेकर ने बताया कि रानी दुर्गावती के 500 वर्ष के जन्म शताब्दी समारोह को मनाने का भी निर्णय लिया गया। जाति जनगणना और आरक्षण पर प्रश्नों का उत्तर देते हुए सुनील आंबेकर ने स्पष्ट किया कि आरएसएस ने हमेशा संवैधानिक आरक्षण के प्रावधानों का समर्थन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जाति जनगणना सहित डेटा का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों का कल्याण सुनिश्चित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि जाति जनगणना के मुद्दे का प्रयोग केवल चुनावी लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए। बैठक में बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के प्रचलित मुद्दे पर भी चर्चा हुई। विभिन्न संगठनों ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। बैठक में, इस मुद्दे की अंतरराष्ट्रीय प्रकृति को देखते हुए भारत सरकार से इस मामले को कूटनीतिक रूप से आगे बढ़ाने की अपेक्षा भी जताई गई। गुजरात के कच्छ में सीमा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों और तमिलनाडु में कन्वर्जन के प्रयासों पर चिंता प्रकट करते हुए इस पर भी चर्चा की गई। आंबेकर ने बताया कि संघ शताब्दी वर्ष के संबंध में, सामाजिक परिवर्तन के लिए पांच सूत्री कार्य योजना तैयार की गई है। संघ से प्रेरित सभी संगठन पंच-परिवर्तन-सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, जीवन के हर क्षेत्र में स्व-स्वत्व की स्थापना और नागरिक कर्तव्यों को विकसित करने के मुद्दों से संबंधित कुछ जमीनी गतिविधियां करेंगे। योजना का उद्देश्य एक सर्व-समावेशी पहल होना है, जो समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। पत्रकारों के एक प्रश्न के उत्तर में सुनील आंबेकर ने कहा कि आरएसएस अन्य विविध क्षेत्र संगठनों के साथ मिलकर ‘राष्ट्र प्रथम’ को मूल सिद्धांत के रूप में लेकर काम करता है। यदि किसी मुद्दे पर अलग-अलग राय होती है, तो उसे राष्ट्र हित के आधार पर सुलझाया जाता है। मणिपुर मुद्दे पर उन्होंने कहा कि आरएसएस सरसंघचालक पहले ही अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं। संगठन का रुख यह है कि सरकारी तंत्र को हिंसा नियंत्रित कर शांति बहाल करनी चाहिए। हम उस संबंध में हुई प्रगति पर दृष्टि रख रहे हैं और आशा है कि जल्द ही स्थायी शांति स्थापित होगी। वक्फ बोर्ड के कामकाज को लेकर कुछ मुस्लिम संगठनों द्वारा कई शिकायतें मिली हैं। ऐसे में कानून की समीक्षा करने में कोई बुराई नहीं है। संयुक्त संसदीय समिति द्वारा इस मुद्दे पर विचार करना एक स्वागत योग्य कदम है, विभिन्न संगठन इस संबंध में अपना प्रतिनिधित्व दे सकते हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उत्तर केरल प्रांत संघचालक एडवोकेट के.के. बलराम, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी और नरेंद्र कुमार भी उपस्थित थे। पालक्काड के अहिल्या परिसर में तीन दिवसीय समन्वय बैठक का समापन सरसंघचालक मोहन भागवत के समापन भाषण के साथ हुआ।