मिसाल
एक 8 साल की बेटी ने अपने पिता से कह कर एक ट्रॉली अनाज दान करवा दिया। यह होती है करुणा। एक 95 साल की वृद्धा एक आंख खराब होने के बावजूद लगातार मास्क बना रही हैं, ताकि गरीबों को मुफ्त बांट सकें। एक किसान ने तो अपनी पूरी फसल गरीबों के लिए दान कर दी और एक रिक्शा चालक महिला लोगों को हर सुविधा उपलब्ध करवा रही है।
शुभम वैष्णव
हमारे यहां लोग मिसाल तो इस तरह से देते हैं, मानो मिसाल कोई मुफ्त का माल है। हर बात में मिसाल देना लोगों की आदत नहीं, वरन सबसे बड़ी लत बन गई है। लोग खुद भले ही मिसाल बनकर ना दिखा पाएं पर मिसाल देने से बाज नहीं आते।
परंतु कुछ जुनूनी व्यक्ति जरूर होते हैं जो भले ही किसी की भी मिसाल नहीं देते हों वरन खुद एक मिसाल बन जाते हैं। देखिए एक 8 साल की बेटी ने अपने पिता से कह कर एक ट्रॉली अनाज दान करवा दिया। यह होती है करुणा। एक 95 साल की वृद्धा एक आंख खराब होने के बावजूद लगातार मास्क बना रही हैं, ताकि गरीबों को मुफ्त बांट सकें। एक किसान ने तो अपनी पूरी फसल गरीबों के लिए दान कर दी और एक रिक्शा चालक महिला लोगों को हर सुविधा उपलब्ध करवा रही है।
उदाहरण तो कई हैं जिनके जुनून के आगे बुरा वक्त भी मात खा जाए, परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सरकारी कर्मचारी हैं और उनका कार्य लोगों को राशन उपलब्ध करवाना है, परंतु वे लोग उस राशन को अपने घर में रख रहे हैं। यानी भ्रष्टाचार की एक और नई मिसाल। दूसरी ओर कुछ लोग इतने दानवीर हो गए हैं जो पांच सौ, हजार और दो हजार के नोट सड़कों पर डाल रहे हैं। यह भी मिसाल की एक बानगी है।
कुछ लोग सोचते हैं भला मिसाल भी कोई चीज है। हमारी फेंकोलॉजी के आगे तो आदमी की जुबान भी बेदम हो जाए। कई लोग तो बातों की ऐसी मिसाइल दागते हैं कि बेचारी मिसाल की क्या बिसात जो उनके आसपास भी फटके।
सच तो यही है कि मिसाल बनने से पहले खुद के विचारों को दृढ़ता देनी पड़ती है। स्वयं को कुछ नया करने के लिए तैयार करना पड़ता है। अगर कुछ करने का जुनून हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। जुनून ही तो जीवन है, तभी तो उम्र, कद, पद और उपलब्धता सब कुछ जुनून के आगे बौने साबित हो जाते हैं।
कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ करने का माद्दा सबमें होता है। बस बात कुछ नया सोचने और करने की ही तो है। इतना तो आपको भी पता है कि जुनून से तो लोग मिसाल क्या मिसाइल मैन तक बन जाते हैं। इसलिए सबको मिसाल का ज्ञान देने से ज्यादा मिसाल बनना जरूरी है।