यह उम्मीदों का भारत है
आजादी का अमृत महोत्सव
शिव कुमार व्यास ‘ध्रुवपद’
हमारा देश इस वर्ष स्वतंत्रता की पचहत्तरवीं वर्षगांठ मना रहा है। हमारे प्रधानमंत्री ने लोगों के समक्ष स्वतन्त्रता की हीरक जयन्ती से शताब्दी वर्ष जयन्ती तक का अर्थात् आगामी पच्चीस वर्षों के नए भारत का लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया है और भारत के लोगों को उम्मीदों का आसमान सौंप दिया है।
अमृत महोत्सव से तात्पर्य 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से प्रज्ज्वलित आग में हवि के रूप में अनेकानेक ज्ञात-अज्ञात वीरों का लहू हवन कर, 15 अगस्त 1947 प्राप्त हुई स्वतंत्रता के लोकतान्त्रिक जीवन चरित्र का हीरक जयन्ती महोत्सव है। लाल किले की प्राचीर से सम्बोधन में प्रधानमन्त्री जी ने देशवासियों से इस अमृत काल को सृजन के लिए उपयोग कर भरपूर सामर्थ्य से देश को आत्मनिर्भर की संकल्पना से सिद्धी प्राप्त कर विकसित दुनिया का हिस्सा होने का आह्वान किया।
एनडीए-1 के अन्तिम सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव की बहस का जबाब देते हुए प्रधानमन्त्री जी ने कविता – सूरज आएगा भी तो कहाँ, उसे यहीं रहना होगा, यहीं हमारी साँसों में, हमारी रगों में, हमारे संकल्पों में, हमारे रक्त रंगों में, तुम उदास मत हो, अब मैं किसी भी सूरज को नहीं डूबने दूँगा- को प्रस्तुत कर अपने अठ्ठासी मिनट के इस सम्बोधन में कर्मशीलता के सहज भाव से आधुनिक विश्व की चुनौतियों से अवगत करवाते हुए आन्तरिक सुदृढ़ होने में सहभागिता का सन्देश दिया।
उन्होंने आज के भारत की समस्याओं को गिनाने की अपेक्षा समाधान प्रस्तुत कर युवा शक्ति नारी शक्ति, कृषक शक्ति पर अपने भरोसे का आलम्बन नियत कर लोकतांत्रिक जिम्मेदारी का सजग निर्वहन किया। इसमें युवाओं के रोजगार महिला विशेषकर ग्रामीण उद्यमशील महिलाओं जल जीवन मिशन के अन्तर्गत पच्चीस करोड़ लोगों को पेयजल पहुँचाने ग्राम विकास, इन्टरनेट एवं एन्टरप्रेन्योरशिप की पहुँच, कोरोना से बचाव के लिए फ्री वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन की आत्मनिर्भरता, वैदेशिक एवं सैन्य मामले इत्यादि निर्विवाद रूप से विकसित भारत के विषयों का समावेश कर देश नीति के सूरज को एक नवीन ऊर्जा प्रदान कर, आशा का संचार कर उज्ज्वल भविष्य के लिए आगामी 25 वर्षों के एक नये विजन का रोड मैप प्रदान कर दिया। इस विजन से समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुँच सुनिश्चित करने पर बल दिया। इसके लिए उन्होंने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के साथ सबके प्रयास का भी समावेश किया।
युवाओं के रोजगार सृजन के ज्वलंत मुद्दे पर आगे बढ़ कर प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना बहुआयामी योजना के लिए सौ लाख करोड़ के बजट की घोषणा कर आत्मनिर्भर भारत की नींव को मजबूती प्रदान किया।
प्रधानमंत्री ने जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख से धारा 370 के हटने के पश्चात आतंकवाद की घटनाओं में कमी तथा ढ़ाचा गत क्रमागत उन्नति को देश के समक्ष रखते हुए आश्वासन दिया कि परिसीमन प्रक्रिया पूर्ण होने के साथ ही चुनाव करवाये जा सकते है। वैसे बीडीसी एवं डीडीसी के चुनावों की सफलता भारत सरकार की दृढ़ संकल्प शक्ति को सिद्ध करते हैं। उन्होंने आतंकवाद एवं अलगाववाद जैसी दीमक को दरकिनार कर, आमूलचूल प्रगतिशील परिवर्तनों के साथ आगे बढ़ने की मजबूत राजनैतिक इच्छा शक्ति को भी प्रदर्शित कर दिया।
उन्होंने दुश्मन देशों को वे चाहे एलएसी या एलओसी अथवा आसमान या समुद्र में आतंकवाद एवं विस्तारवाद पर सख्त रुख का सन्देश भी देकर देशवासियों को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त किया। पैंगोग झील के एक छोर पर आईटीबीपी के जवानों ने तिरंगा फहरा कर चीन सहित पूरे विश्व को अपनी अखण्ड संप्रभुता का संदेश दिया है।
गाजीपुर बोर्डर पर धरना दे रहे किसान भाइयों को भी उन्होंने संदेश देने का प्रयास किया। उन्होंने ग्राम्य जन जीवन,उद्योग धन्धों को देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने एवं अस्सी प्रतिशत छोटे किसान जिनके पास दो हेक्टेयर या इससे कम जमीन के मालिक हैं, इनके साथ मंझोले किसानों के कल्याण के संकल्प को भी दुहराया। ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जोड़ कर उनकी आय बढ़ाने की बात स्थानीय उद्यमों के विकास से आत्मनिर्भर बनाने को भी हीरक जयन्ती संकल्पना में शामिल किया। सैनिक स्कूलों में बेटियों के प्रवेश का फैसला भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला हो सकता है।
मेरा राष्ट्र – मेरा पर्व की थीम पर पच्चहतर वर्ष होने के उपलक्ष में देश भर में पच्चहतर सप्ताह में पच्चहतर वन्दे मातरम ट्रेनें चलाने का फैसला सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए क्रांतिकारी कदम होगा।
(लेखक आर्थिक विश्लेषक हैं एवं स्वतंत्र लेखन करते हैं)