राजस्थान में एक के बाद एक पेपर लीक, ठगा अनुभव कर रहा युवा

राजस्थान में एक के बाद एक पेपर लीक, ठगा अनुभव कर रहा युवा

राजस्थान में एक के बाद एक पेपर लीक, ठगा अनुभव कर रहा युवाराजस्थान में एक के बाद एक पेपर लीक, ठगा अनुभव कर रहा युवा

जयपुर। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, सीकर, कोटा जैसे शहरों के कुछ हिस्सों में आजकल आपको युवाओं की एक अलग ही भीड़ दिखेगी। कोई किसी ई-मित्र पर खड़ा अगली भर्ती का फार्म भर रहा है तो कोई फोटो स्टेट की दुकान पर नोट्स की फोटो कॉपी निकलवा रहा है तो कोई प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकें बेचने वालों से मोल भाव कर रहा है। इन्हीं में से कुछ किराए के कमरे के लिए भटकते दिख जाएंगे, तो कुछ ढंग की कोचिंग के लिए। वहीं कुछ चाय की थड़ी पर बैठ कर कॅरियर की चिंता में घुलते नजर आएंगे।

कुल मिला कर बेरोजगारों की एक लम्बी लाइन है, जिसके चलते एक बड़ा बाजार तैयार हो चुका है और इस बाजार में यदि कोई ठगा जा रहा है तो वह है सिर्फ बेरोजगार।…और सबसे दुख की बात यह है कि उसके साथ सबसे बड़ी ठगी कर रही है यहॉं की सरकार। वो सरकार जिसकी जिम्मेदारी है परीक्षाओं को समय पर और सही तरीके से करवाने की….सरकार बेरोजगारों को भर्ती का सपना तो दिखाती है….लेकिन उसका लचर सिस्टम उस सपने को पूरा नहीं होने देता। कभी पेपर लीक तो कभी नकल और इस सब से किसी तरह बच जाएं तो पेपर में खामियों या किसी भी दूसरे कारण से होने वाले कोर्ट केस। बेरोजगार की प्रतीक्षा तो जैसे समाप्त ही नहीं होती। उसे पता भी नहीं चलता कि वो कब ओवरएज हो कर नौकरी की दौड़ से बाहर हो गया और अब संघर्ष का नया रास्ता उसे तय करना है, जिस रास्ते पर शायद वह समय रहते चल लेता…..तो कहीं ना कहीं तो पहुंच ही जाता।

राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने बड़ी-बड़ी भर्ती परीक्षाएं आयोजित की हैं। पटवारी, थर्ड ग्रेड शिक्षक, हाल में कांस्टेबल और ऐसी ही कुछ और भर्ती परीक्षाएं। इनमें पद बहुत ज्यादा नहीं थे, लेकिन परीक्षा देने वालों की संख्या लाखों में थी और यह लाखों की संख्या यह बता रही थी कि प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति क्या है। सामान्य पात्रता वाली परीक्षाओं को छोड दें तो थर्ड ग्रेड टीचर, जिसके लिए बीएड या एसटीसी जैसी विशेष परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है, उसके लिए भी 16.50 लाख परीक्षार्थी थे। हाल में कांस्टेबल परीक्षा के लिए 18.61 लाख परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी। यही हाल पटवारी भर्ती परीक्षा का था।

इन परीक्षाओं के लिए बेरोजगार युवाओं ने सालों तैयारी की और लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा। राज्य की कांग्रेस सरकार की ओर से कराई गई एक बड़ी भर्ती परीक्षा सही ढंग से नहीं हो पाई।

यह हाल रहा है पिछले कुछ वर्षों में हुई परीक्षाओं का :

रीट

26 सितंबर 2021 को राजस्थान की सबसे बड़ी परीक्षा रीट आयोजित की गई। इसमें लगभग 16.5 लाख अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। परीक्षा 10 बजे शुरू होनी थी, लेकिन कुछ लोगों के पास सुबह साढ़े आठ बजे ही पेपर पहुंच गया। इसके अलावा बीकानेर में डेढ़ करोड़ में नक़ल करने का सौदा छात्रों से किया गया था। इस पेपर लीक मामले को आखिर पुलिस की एसओजी ने ही उजागर किया और अब तक 60 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। मामले की आंच सरकार में बैठे लोगों तक पहुंची है।  माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डीपी जारोली को बर्खास्त और सचिव अरविंद सेंगवा को निलंबित करना पड़ा। अंततः 7 फरवरी को लेवल 2 की परीक्षा रद्द करने का फैसला करना पड़ा।

कांस्टेबल भर्ती परीक्षा
कांस्टेबल भर्ती परीक्षा हाल में चार दिन तक हुई थी। इसमें एक चरण की परीक्षा निरस्त करनी पड़ी है और आरोप है कि बाकी पेपर भी लीक हुए थे। इस परीक्षा में 18.60 लाख परीक्षाथी बैठे थे।

ग्राम विकास अधिकारी
ग्राम विकास अधिकारी के 3896 पदों पर भर्ती के लिए 26-27 दिसंबर 2021 को आयोजित इस परीक्षा के लिए लगभग 15 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। दो दिन तक चार चरणों में यह परीक्षा चली। पुलिस ने 27 दिसंबर को तीन लोगों को गिरफ्तार कर पेपर लीक कराने वाले गिरोह का खुलासा किया।

सब-इंस्पेक्टर
राजस्थान लोक सेवा आयोग ने सब-इंस्पेक्टर के 857 पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी। इसके लिए लगभग 8 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा 13, 14 और 15 सितंबर 2021 को आयोजित की गई। अभ्यर्थी परीक्षा देकर बाहर निकले तो पता चला कि परीक्षा केंद्र के अंदर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें परीक्षार्थी नकल करते दिख रहे थे। मामले में पुलिस ने जयपुर से एक टीचर और एक प्रोफेसर समेत 8 लोगों को गिरफ्तार किया। ये लोग 20 लाख रुपए लेकर डमी कैंडिडेट बिठाते थे और परीक्षा पास कराते थे।

नीट
14 सितंबर 2021 को पूरे देश में मेडिकल एंट्रेस टेस्ट की नीट परीक्षा आयोजित की गई थी। इसका पेपर भी राजस्थान में लीक हो गया। पुलिस ने 4 जगह छापेमारी कर छह मेडिकल छात्रों सहित कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया। ये लोग 35 लाख रुपए में परीक्षा पास कराने की गारंटी देते थे।

भर्ती परीक्षाओं की यह स्थिति बताती है कि प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं को आयोजित करने का सिस्टम पूरी तरह चरमरा चुका है। बेरोजागर अभ्यर्थी बड़ी आशा से परीक्षा की तैयारी करते हैं और बार बार ठगे जाते हैं।

जयपुर में रह कर परीक्षाओं की तैयारी कर रहे धौलपुर के श्रीराम मीणा कहते हैं कि कई बार तो ऐसा लगता है कि सरकार भर्ती करना ही नहीं चाहती। भर्तियां निकाल तो देती है, लेकिन इसी से जुड़े लोग किसी ना किसी बहाने इसे रुकवा देते हैं। कोई पेपर लीक करवा देता है तो कोई कोर्ट में चला जाता है।

वहीं जयपुर के ही रहने वाले एक बेरोजगार महेश शर्मा कहते हैं कि बेरोजगार इस आशा में वर्षों तैयारी करते हैं कि सरकारी नौकरी से अच्छा कोई विकल्प नहीं है, लेकिन जिस तरह की स्थितियां बन रही हैं, उन्हें देखते हुए अब अधिक उम्मीद नहीं बची है। तैयारी में सालों खराब करने के बजाए तो बेहतर है कोई छोटा-मोटा काम कर लिया जाए।

सरकारी नौकरी की आस छोड़ हाईटेक खेती में हाथ आजमा रहे अलवर के कपिल कहते हैं, दो साल कोरोना निगल गया, बाद में परीक्षाएं हुईं भी तो पेपर लीक हो गए, नहीं भी होते तो कौन सा परिणाम समय पर आ जाता। वेकेंसी निकलने से लेकर परीक्षा परिणाम आने तक 2-3 वर्ष का समय लग जाना तो मामूली बात है, फिर जिनका चयन नहीं हुआ उनके फिर 2-3 वर्ष गए। सरकारी नौकरी तो मुंह के आगे लटकी गाजर सरीखी हो गई है।

इन युवाओं की बातें यह बताती हैं कि वे सिस्टम से किस सीमा तक निराश हो चुके हैं। ऐसे एक-दो नहीं सैकड़ों केस हैं और सरकार शायद इनके दर्द को समझ ही नहीं पा रही।परीक्षाएं कराने के लिए सरकार इंटरनेट बंद कराती है, लेकिन पेपर लीक होने से नहीं रोक पाती है। सरकार लम्बा-चौड़ा सरकारी अमला तैनात करती है, लेकिन नकल नहीं रुकवा पाती है। सरकार सुरक्षा के कड़े इंतजाम करती है, लेकिन लोगों के पास फोन पर पेपर पहुंच जाता है और सरकार के सुरक्षा इंतजाम धरे रह जाते हैं। यहां तक कि पुलिस विभाग  अपने विभाग से जुड़ी परीक्षाओं को सही ढंग से नहीं करवा पाता है।

समाधान ढूंढना आवश्यक है
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस समस्या का बहुत साधारण ढंग से राजनीतिकरण कर जाते हैं और कहते हैं कि केन्द्र सरकार लोगों के लिए नौकरियों की व्यवस्था नहीं कर पा रही है, इसलिए बेरोजगारी बढ़ रही है और नकल गिरोह पनप रहे हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इस तरह के राजनीतिक बयानों मात्र से समस्या का समाधान हो सकता है। निश्चित रूप से नहीं। इसके लिए गम्भीरता से विचार करना पड़ेगा। नकल से जुड़ा कड़ा कानून राज्य सरकार लेकर आई है, लेकिन जब तक इसे उसी कड़ाई से लागू नहीं किया जाएगा, तब स्थिति सुधरेगी नहीं। सबसे अहम बात है सरकारी भर्तियां कराने वाली संस्थाओं को राजनीतिक नियुक्तियों का केन्द्र बनाने के बजाए इसे प्रोफेशनल्स को सौंपा जाए और पूरी स्क्रीनिंग के बाद इसमें लोगों की नियुक्तियां की जाएं। आशा है सरकार सिस्टम को फूलप्रूफ बनाने का कोई ना कोई तरीका अवश्य निकालेगी अन्यथा बेरोजगार यूं ही ठगा जाता रहेगा।

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