शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए- महेंद्र कपूर
शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए– महेंद्र कपूर
- राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय का प्रदेश सम्मेलन संपन्न
राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) का दो दिवसीय प्रदेश शैक्षिक सम्मेलन (19-20 जनवरी, 2024) एसएलबीएस इंजीनियरिंग कॉलेज डांगियावास, जोधपुर में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन के पहले दिन प्रथम सत्र में श्रद्धेय जयदेव जी पाठक व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता नारायण लाल गुप्ता (अतिरिक्त महामंत्री अखिल भारतीयराष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ) ने कहा कि शिक्षकों का दायित्व है बालकों को सही दिशा देना। शिक्षक बालकों के व्यक्तित्व निर्माण में बड़ी भूमिका निभाते हैं। व्यक्ति केवल पद, प्रतिष्ठा, धन या वैभव से नहीं बल्कि चरित्र से बड़ा बनता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक चाहे तो समाज को बिगाड़ दे, चाहे तो संवार दे।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री महेंद्र कपूर ने कहा कि राजस्थान के शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से राज्य सरकार को तुरंत प्रभाव से मुक्त कर देना चाहिए। इससे वे विद्यालयों में बच्चों के सर्वांगीण विकास पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। उन्होंने संगठन के ध्येय वाक्यों राष्ट्रीय हित में शिक्षा, शिक्षा हित में शिक्षक, शिक्षक हित में समाज की अवधारणा को विस्तार से शिक्षकों के समक्ष रखा। उन्होंने कहा हमारा मूल्यांकन विद्यार्थी करते हैं। विद्यालय का यश/ अपयश दूर दूर तक जाता है। राष्ट्रीय विचार को लेकर चलने वाले इस संगठन में अखिल भारत में 12 लाख शिक्षक काम कर रहे हैं।
सम्मेलन में प्रदेश महामंत्री महेंद्र लखारा ने राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें संगठन द्वारा किए गए आंदोलनों तथा गतिविधियों की जानकारी दी गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेशाध्यक्ष रमेश पुष्करणा ने कहा कि पिछली सरकार ने शिक्षकों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। वर्तमान सरकार से अपेक्षा है कि वह शिक्षकों की समस्याओं पर ध्यान देगी और वेतन विसंगतियों के निस्तारण, पुरानी पेंशन स्कीम के लिए विधानसभा में कानून पारित करने, प्रत्येक संवर्ग की डीपीसी नियमित करने, संविदा शिक्षकों के नियमितीकरण, शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किए जाने जैसे कदम उठाएगी।
सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को समापन समारोह में शिक्षा एवं पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा इतिहास महान गुरु–शिष्य परंपरा से परिपूर्ण है। उन्होंने समर्थ गुरु रामदास, चाणक्य एवं रामकृष्ण परमहंस के जीवन मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में शिक्षक की भूमिका राष्ट्र निर्माता की है। दिलावर ने कहा कि संस्कारहीन शिक्षा पशुत्व की ओर तो, संस्कारयुक्त शिक्षा देवत्व को ओर ले जाती है। शिक्षा मंत्री के रूप में छात्रहित मेरे लिए सर्वोपरि है। व्यसनमुक्त विद्यालय मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता रहेंगे। नई शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा। शिक्षक संवर्ग की डीपीसी भी शीघ्र की जाएगी। स्वच्छ भारत के ध्येय को साकार करने के लिए विद्यालय परिसर एवं गांवों में स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा। 15 फरवरी, सूर्य सप्तमी को प्रदेश के सभी विद्यालयों में सूर्य नमस्कार एवं व्यायाम कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
समापन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक योगेंद्र, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री घनश्याम भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ। अतिथियों का साफा पहनाकर कर पारम्परिक तरीके से स्वागत एवं अभिनंदन किया गया।