राजस्थान सरकार का विशेष अभियान, पकड़े जा रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए
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राजस्थान सरकार का विशेष अभियान, पकड़े जा रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए
राजस्थान पुलिस का बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान और निष्कासन के लिए चलाया जा रहा विशेष अभियान असर दिखा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत अजमेर में पिछले दस दिनों में 7 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई शहर के दरगाह क्षेत्र में पुलिस और सीआईडी ने संयुक्त रूप से की है। पुलिस ने कई संदिग्धों को भी चिन्हित किया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) हिमांशु जांगिड़ के अनुसार, अवैध घुसपैठियों के विरुद्ध कार्रवाई जारी रहेगी। चिन्हित किए गए संदिग्धों की भी पहचान की जा रही है, उनके पास से देश के विभिन्न स्थानों पश्चिम बंगाल, दिल्ली आदि में बने आधार कार्ड बरामद हुए हैं, जबकि वे हुलिया, वेशभूषा और भाषा से बांग्लादेशी प्रतीत होते हैं। आधार कार्डों की सत्यता की जांच की जा रही है।
गिरफ्तार किए गए बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान निम्नलिखित है
1. मोहम्मद आलमगीर हुसैन पुत्र आमीन हुसैन: बांग्लादेश के चांदपुर जिले के फरीदगंज थाना क्षेत्र के शाहपुर गांव का निवासी, आयु 42 वर्ष।
2. मोहम्मद आलमगीर पुत्र मोहम्मद हाशिम शेख : ग्राम अम्बागन थाना ईसुदी जिला पाबना का निवासी, आयु 31 वर्ष।
3. अबू अली पुत्र अफसर अली : बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले के बालूरघाट थाना क्षेत्र के कमलपाड़ा गांव का निवासी, आयु 24 वर्ष।
4. सैफुल इस्लाम: बांग्लादेश के छगलनैया थाना क्षेत्र के महाराजगंज जिला फैनी का निवासी, आयु 27 वर्ष।
5. नूर मोहम्मद पुत्र अब्दुल रज्जाक : बांग्लादेश के अमान बाजार लाल्यान, पुलिस थाना हत्थाजारी फतियाबाद का निवासी।
6. शाहीन खान पुत्र अब्दुल मुजीद खान: बांग्लादेश के ढाका जिले के सुतरापुर गांव का निवासी, आयु 55 वर्ष।
7. मोहम्मद अब्दुल बशीर : बांग्लादेश के जिला जैसोंर के ग्राम गाजीपुर बेनापोल का निवासी। आयु 45 वर्ष।
पिछले दिनों जयपुर में भी ऐसे ही कई चौंकाने वाले मामलों का खुलासा हुआ था। सभी घुसपैठियों के पास फर्जी आधार कार्ड और दूसरे डॉक्यूमेंट थे। हिना बानो का नाम तो जयपुर के सांगानेर थाने में बांग्लादेश नागरिकों वाली सूची में भी दर्ज था, फिर भी वह बक्शावाला स्थित जेडीए कॉलोनी में जेडीए का मकान आवंटित करवाने में सफल हो गई और मिशन बसेरा के अंतर्गत मिले इस मकान के पते का वोटर कार्ड भी बनवा लिया। विधानसभा चुनाव में उसने वोट भी डाला। हिना के पड़ोस के मकान में रहने वाली बांग्लादेशी नागरिक हसीना ने भी वोटर कार्ड बनवा लिया, उसे भी जेडीए का मकान आवंटित हो गया। डॉक्यूमेंट्स के आधार पर वह हर माह 1100 रुपए सरकारी पेंशन भी पाने लगी।
समाजसेवी ब्रजेंद्र कहते हैं, ये घुसपैठिए भारत की एकता और अखंडता को तो खतरा हैं ही, देश के नागरिकों का भी हक खा रहे हैं।
इनकी घुसपैठ कई स्थानों पर जनसांख्यिकीय असंतुलन भी पैदा कर रही है। संख्या बल में अधिक होते ही इनका राजनीतिक दखल भी बढ़ जाता है। 2003-04 की एक रिपोर्ट भी उनकी बात का समर्थन करती है। रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी घुसपैठिए देश में 25 लोकसभा सीटों और 120 विधानसभा सीटों पर प्रभावी भूमिका में हैं। 2003 तक दिल्ली में 6 लाख बांग्लादेशी घुसपैठिए भारतीय पहचान पत्र हासिल कर चुके थे। लगभग यही स्थिति देश के कई अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में हो सकती है। अनुमान है कि अभी 3-5 करोड़ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत में रह रहे हैं।
वर्ष 2000 में भारत के गृह सचिव माधव गोडबोले ने भारत सरकार को एक बेहद महत्वपूर्ण रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें कहा गया था कि वार्षिक 3 लाख से अधिक बांग्लादेशी अवैध तरीकों से भारत में घुसते हैं। दूसरी ओर, बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक वीजा लेकर भी भारत आते हैं, लेकिन उनमें से कई वापस नहीं लौटते। वर्ष 2023 में लगभग 16 लाख बांग्लादेशी वीजा लेकर भारत आए थे। इनमें से कितने वापस गए और कितने यहीं रह गए, इसके लिए एक ड्राइव चलाने की आवश्यकता है।