अर्पण, तर्पण और संघर्ष का संकल्प है राम मंदिर
सदियों के संघर्ष और बलिदानों के बाद आज वह समय आया है, जब हम प्रभु श्रीराम के मंदिर को बनता हुआ देखेंगे। बरसों तक रामलला टेंट में रहे थे, लेकिन अब जल्दी ही भव्य मंदिर बन जाएगा। अभी पूरा देश राममय है। जिस तरह से रामदूतों एवं रामभक्तों की श्रद्धापूर्ण भावनाएं सामने आ रही हैं वे भावुक कर देने वाली हैं। प्रतिदिन ऐसे प्रसंग सामने आ रहे हैं जो प्रेरक तो हैं ही अविस्मरणीय भी हैं। आज से एक सप्ताह तक एक ऐसा ही प्रसंग प्रतिदिन हम यहां साझा करेंगे।
प्रसंग – 1
रामभक्तों के समर्पण को देख बैंककर्मी हुए अभिभूत, कहा – संघ कौन सी घुट्टी पिलाता है?
भीलवाड़ा में कार्यकर्ता बैंक में चेक व नक़दी जमा कराने पहुँचे। काफी सारे चेक देखकर बैंककर्मी के माथे पर शिकन आ गई। बैंककर्मी की स्थिति को भांपते हुए एक कार्यकर्ता ने आग्रह किया कि आपकी सीट ख़ाली है, मैं स्वयं कम्प्यूटर का जानकार हूँ, यदि अनुमति दें तो यहाँ बैठकर सारी फीडिंग मैं कर देता हूँ। कार्यकर्ता के इस सहयोग और समर्पण भाव को देख बैंककर्मी ने भाव विह%Aवल हो कर कहा – आपको संघ कैसी घुट्टी पिलाता है? गत एक महीने से लगातार गांव गांव और घर घ%A जाकर दिनभर धन एकत्रित करते हो, प्रतिदिन बैंक में हिसाब भी देने आते हो, इतने समय समर्पण के बाद भी आप में इतनी शक्ति है कि आप हमारे सहयोगी बनने के लिए तत्पर हो। कहॉं से आती है आपके अंदर समर्पण की यह भावना? सचमुच धन्य है यह संगठन। कार्यकर्ता मुस्कुरा दिया। उसके मन में तो वह गीत गूंज रहा था – तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित, चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ ओर भी दूँ।