राष्ट्रदेव पत्रिका के ‘सब के राम’ विशेषांक का हुआ विमोचन

राष्ट्रदेव पत्रिका के ‘सब के राम’ विशेषांक का हुआ विमोचन

राष्ट्रदेव पत्रिका के ‘सब के राम’ विशेषांक का हुआ विमोचन

मेरठ। ‘राम के नाम में ही मंत्र शक्ति है। आज समूची दुनिया में अनेक प्रकार की समस्याएं देखने एवं सुनने को मिल रही हैं, यह स्थापित सत्य है कि सभी समस्याओं का समाधान रामायण में है।’

राष्ट्रदेव पत्रिका के ‘सब के राम’ विशेषांक के विमोचन के अवसर पर शंकर आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय सह-मंत्री एवं प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने कहा कि भगवान राम ने विश्व के सामने चिरंजीवी का सिद्धान्त रखा। शब्द कभी मरता नहीं है, वह ब्रह्माण्ड में विचरण करता रहता है। उसी तरह अभिलेख भी सदियों तक याद किया जाता है। प्रभु राम को समर्पित राष्ट्रदेव पत्रिका का यह विषेशांक सदियों तक जीवित रहेगा। उन्होंने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय का राम मंदिर के सम्बन्ध में निर्णय का आधार ऐसे अनेक अभिलेख भी बने जो देश के अलग-अलग राज्यों में तथा दुनिया के अलग-अलग देशों उपलब्ध ग्रंथों में हैं।

राष्ट्रदेव पत्रिका के ‘सब के राम’ विशेषांक का हुआ विमोचन

राष्ट्रदेव पत्रिका के सम्पादक अजय मित्तल ने कहा कि विशेषांक का नाम ‘सब के राम’ रखने का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है क्योंकि राम सब के हैं, वह किसी भी जाति, पंथ या मजहब का व्यक्ति हो। ऐसे अनेक उदाहरण हैं। उन्होंने थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया, मलेशिया, रोम, जापान, चीन, अमेरिका आदि देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि भगवान राम पर रचित ऐसे अनेक ग्रंथ इन देशों में उपलब्ध हैं जो अनेक वर्षों से वहां की संस्कृति का हिस्सा बने हुए हैं। रोम का नाम भी भगवान राम के नाम से ही प्रेरित होकर रखा गया है।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं राज्यसभा सांसद कान्ता कर्दम ने कहा कि आज भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुंचाने का दुश्चक्र रचा जा रहा है। लेकिन रामायण जैसे ग्रंथ ऐसे दुश्चक्रों का प्रभाव हमारी सभ्यता और संस्कृति पर नहीं पड़ने देते। राम सबके हैं और हम सब राम के हैं। हमारा विचार भगवान राम को समर्पित है। उसी का प्रकटीकरण यह है कि आज भगवान राम का बहुत सुन्दर और भव्य मन्दिर भगवान राम की जन्मभूमि पर अयोध्या में बन रहा है।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रदीप जैन ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को भगवान राम के आदर्शों का पालन करना चाहिये। हमारी संस्कृति भगवान राम की प्रेरणा से ही अभिसिंचित है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीरज सिंघल ने किया।

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