झारखंड: राष्ट्रीय महिला हॉकी चैंपियनशिप मुकाबला देरी से शुरू हुआ, मंत्री जी को पढ़नी थी जुम्मे की नमाज
29 अक्टूबर को झारखंड के सिमडेगा के एस्ट्रोटर्फ मैदान में राष्ट्रीय महिला हॉकी चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला था। हरियाणा और झारखंड की टीमें आमने सामने थीं। खिलाड़ी वॉर्मअप कर चुकी थीं। सारी तैयारियां पूरी थीं। सभी फाइनल मैच के मुख्य अतिथि खेल मंत्री हफीजुल हसन अंसारी के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। लेकिन मंत्री जी राष्ट्रीय खेलों को समय पर शुरू कराने की गरिमा से बेपरवाह 22 मिनट देरी से पहुंचे। एक पत्रकार द्वारा कारण पूछने पर मंत्री जी ने बड़ी सहजता से कहा कि आज शुक्रवार है, नमाज का टाइम था, नमाज पढ़ने के कारण लेट हो गया। इस पर पत्रकार ने पूछा कि क्या नमाज के कारण राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के फाइनल को देर से प्रारंभ करना सही है? तो मंत्री जी भड़क गए और पत्रकार को वहॉं से चले जाने के लिए कहने लगे।
इसके बाद खेल मंत्री लोगों के निशाने पर आ गए। लोगों का कहना था कि खेल मंत्री का समय पर ना पहुंचना और नमाज के कारण अपने देर से आने का इस तरह आक्रामक बचाव करना ना केवल हैरान करने वाला है, बल्कि शर्मनाक भी है। उनके लिए जुम्मे की नमाज राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता से ज्यादा महत्व रखती है। नमाज ही पढ़नी थी तो घर से जल्दी निकलते।
हफीजुल हसन अंसारी पहले भी कई बार चर्चा में रहे हैं। वे झारखंड के पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हैं। हुसैन अंसारी के निधन के बाद हफीजुल को उपचुनाव लड़ने से पहले ही हेमंत कैबिनेट में मंत्री बना दिया गया था। उपचुनाव जीतने के बाद 22 अगस्त को देवघर में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में नाराज मंत्री हफीजुल हसन अंसारी ने माइक फेंक दिया था और सरकारी कर्मचारियों को कड़े लहजे में चेतावनी भी दी थी। वहीं, 15 अक्टूबर को देवघर में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे कलाम की जयंती के अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए एक मिनट का मौन भी रखवा दिया था।
दूसरी ओर झारखंड सरकार की तुष्टिकरण की राजनीति भी किसी से छिपी नहीं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों झारखंड विधानसभा में अलग नमाज कक्ष की जगह आवंटित की गई थी। जिस पर विपक्ष ने अलग से हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए कमरा आवंटित करने की मांग की थी।
अब खेल मंत्री हफीजुल हसन अंसारी के बयान से यही प्रतीत होता है कि किसी भी सरकारी कार्यक्रम की योजना बनाते समय शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के समय को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।