राष्ट्रीय सेवा संगम में समय की धाराओं का संगम
राष्ट्रीय सेवा संगम में समय की धाराओं का संगम
जयपुर। सेवा भारती का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम इन दिनों समय का त्रिवेणी संगम दर्शा रहा है। इसमें एक ओर गौरवशाली अतीत की जलधारा, दूसरी ओर वर्तमान की चुनौतियाँ और तीसरी ओर उज्ज्वल भविष्य का संकल्प प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया जा रहा है।
प्रदर्शनी स्थल पर धनुर्धारी भगवान राम की स्वर्णिम आभा वाली सौम्य प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जयपुर के आराध्य श्री गोविंद देव जी की विशाल प्रतिकृति प्रदर्शनी स्थल पर आध्यात्मिक आभा दे रही है। महाराणा प्रताप, शिवाजी, पन्ना धाय, रानी पद्मिनी की प्रतिमाएं लोगों को हमारे गौरवशाली अतीत का स्मरण करवा रही हैं।
जनजातियों के जिस योगदान को इतिहास की पुस्तकों ने भुला दिया, उसे प्रदर्शनी ने प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत किया है। इनमें रानी गाइदिनल्यू, गोविंद गुरु, भगोजी नायक, रणमत सिंह, वीरांगना लीपा, कोमराम भीम, मर्री कामय्या, वीर बुधु भगत, महुआ कोल व अन्य भी शामिल हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिन कार्यकर्ताओं ने समाज निर्माण के यज्ञ में अपने संपूर्ण जीवन के क्षण-क्षण की आहुति दी है, उन्हें भी प्रतिमाओं के माध्यम से याद किया गया है।
दूसरी ओर वर्तमान भारत की समस्याओं को वृतचित्रों और पोस्टर के माध्यम से समझाया गया है। इन वृतचित्रों में पल्लवी जोशी समेत अनेक नामचीन कलाकारों ने भी प्रस्तुति दी। इसके अलावा कठपुतली और लघु नाटकों के माध्यम से वर्तमान समस्याओं को प्रदर्शित किया जा रहा है।
तीसरी धारा के अन्तर्गत भविष्य की सेवा योजनाओं पर अनेक कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं। गाय आधारित अर्थ व्यवस्था किस प्रकार भविष्य के उन्नत गाँवों का निर्माण कर सकती है, प्रदर्शनी में इसकी सुंदर झलक भी प्राप्त होती है।
(साक्षी माथुर, राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय)