आखिर राहुल गांधी को उनकी पार्टी के लोग ही गम्भीरता से क्यों नहीं लेते?

आखिर राहुल गांधी को उनकी पार्टी के लोग ही गम्भीरता से क्यों नहीं लेते?

आखिर राहुल गांधी को उनकी पार्टी के लोग ही गम्भीरता से क्यों नहीं लेते?
राहुल गांधी 16 वर्षों से सक्रिय राजनीति में हैं, 2004 से सांसद हैं। लेकिन इतने लम्बे राजनीतिक जीवन के बाद भी लोग या तो उन्हें कांग्रेस के शहजादे के रूप में जानते हैं या फिर आलू से सोना बनाने और मेड इन इंडिया आम जैसे बयानों से। राहुल गांधी ने हाल ही में आरएसएस के स्‍कूलों की तुलना पाकिस्‍तान में जिहादी पाठ पढ़ाने वाले मदरसों से करके एक बार फिर अपनी सोच, मानसिकता व मनोदशा का परिचय दिया है। मेरी पार्टी मुसलमानों की पार्टी है कहने वाले राहुल गांधी को मदरसों में क्या पढ़ाया जाता है – की जानकारी तो होगी, लेकिन संघ की प्रेरणा से चलने वाले स्कूलों में क्या पढ़ाया जाता है इस पर कोई बयान देने से पहले उन्हें एक बार संघ व विद्याभारती विद्यालयों को निकट से अवश्य जानना चाहिए। ऐसा करने पर वे संघ की वास्तविकता बेहतर तरीके से सामने ला पाएंगे। राहुल गांधी को शायद नहीं मालूम कि विद्या भारती के विद्यालयों में 80,000 से ज्यादा मुस्लिम व ईसाई छात्र शिक्षा ले रहे हैं जिनमें से अनेक ने मेरिट में स्थान बनाया है। विद्या भारती की एलुमनाई एसोसिएशन की सदस्य संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा 3.56 लाख है। दूसरे नं पर पेन विश्वविद्यालय (3.54 लाख) और तीसरे नं पर यूनीवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया (3.11 लाख) है। पूरे देश के स्टेट बोर्ड्स के परीक्षा परिणामों में विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालयों के बच्चों का दबदबा रहता है। राजस्थान में हर साल मेरिट में आने वालों में 50 में से 15-20 बच्चे विद्या भारती से सम्बद्ध विद्यालयों के होते हैं। यहॉं से पढ़ कर निकलने के बाद डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वैज्ञानिक, शोधकर्ता व सैनिक आदि के रूप में ये बच्चे देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। विद्या भारती से संबद्ध स्कूलाें में प्राप्त राष्ट्रभक्ति और सेवा के संस्काराें का ही परिणाम था कि लॉकडाउन के दौरान जब कोरोना से डरकर लोग अपने घरों में बैठे थे तब विद्या भारती के पूर्व छात्र भोजन पैकेट, राशन, काढ़ा वितरण, समाज जागरण, पीएम और मुख्यमंत्री राहत कोष में आर्थिक सहयोग जैसे समाज सेवा के अनेक कार्य कर रहे थे। स्कूल कैम्पस आपदा राहत केंद्र बने हुए थे और शिक्षक राहत सामग्री बांटने के साथ ही बच्चे पढ़ाई में पिछड़ें नहीं इसके लिए उन्हें ऑनलाइन पढ़ा रहे थे, जिसका कोई शुल्क नहीं था।

राहुल गांधी का यह बयान आमजन को आक्रोशित करने वाला था। इस पर सोशल मीडिया पर खासी प्रतिक्रिया देखने को मिली। भुवी ने RSS को टैग करते हुए लिखा, “झूठे बयान देने और RSS के स्‍कूलों को पाकिस्‍तानी मदरसों जैसा बताने के लिए राहुल गांधी पर एफआईआर दर्ज कराइए। पाकिस्‍तानी मदरसों में केवल नफरत और आतंकी पैदा होते हैं।” एक अन्‍य यूजर ने लिखा, “राहुल गांधी की कांग्रेस केरल में मुस्लिम लीग और पश्चिम बंगाल में मुस्लिम चरमपंथियों के साथ चुनाव लड़ रही है और वो आरएसएस पर सवाल उठा रहे हैं? उन्‍हें आरएसएस ऐंटीडोट की जरूरत है! वकील गौरव ठाकुर कहते हैं कि राहुल गांधी के ये बयान ही हैं जिनके कारण उनकी पार्टी के लोग भी उन्हें गम्भीरता से नहीं लेते।

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