राजस्थान : खुले में पड़े सड़ रहे लम्पी वायरस से संक्रमित गोवंश के हजारों शव

राजस्थान : खुले में पड़े सड़ रहे लम्पी वायरस से संक्रमित गोवंश के हजारों शव

राजस्थान : खुले में पड़े सड़ रहे लम्पी वायरस से संक्रमित गोवंश के हजारों शवराजस्थान : खुले में पड़े सड़ रहे लम्पी वायरस से संक्रमित गोवंश के हजारों शव

  • राजस्थान में लम्पी वायरस का कहर
  • एक लाख से अधिक गोवंश की मौत

राजस्थान सरकार भले ही कुछ भी दावा करे। लेकिन मंजर भयावह है। लम्पी वायरस से संक्रमित सैकड़ों गायें प्रतिदिन दम तोड़ रही हैं। राजस्थान के 16 जिलोंजोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, पाली, सिरोही, बीकानेर, चूरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, अजमेर, नागौर, जयपुर, सीकर, झुंझुनू और उदयपुर में बड़ी संख्या में पशु संक्रमित हैं। इनमें बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर और जालौर सर्वाधिक प्रभावित जिले हैं। ड्रोन से बनाए गए एक वायरल वीडियो में अकेले बीकानेर में ही गोवंश के अनगिनत शव खुले में पड़े दिखाई दे रहे हैं। अनाधिकृत सूत्र यह संख्या 50 हजार तक बता रहे हैं। ऐसा ही एक और वीडियो वायरल हो रहा है, जो जोधपुर का बताया जा रहा है। इस वीडियो में भी मृत गोवंश के ढेर के ढेर साफ देखे जा सकते हैं। लेकिन सरकार आंकड़े छिपाकर आंख मिचौली खेलने में लगी है। लम्पी वायरस गोशालाओं और उनके आस पास साफ सफाई की कमी के चलते पैदा होने वाले मच्छरों, मक्खियों, रक्त चूसने वाले कीड़ों, दूषित भोजन पानी के माध्यम से फैलता है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए साफ सफाई का ध्यान रखने के साथ ही संक्रमित गोवंश / पशु को बाकी पशुओं से अलग रखने की सलाह दी जाती है। पशु की मृत्यु होने पर उसे गड्ढा खोदकर गाड़ना आवश्यक होता है। खुले में फेंकने पर वह संक्रमण का एक बड़ा कारक बन जाता है। ऐसे में खुले में पड़े संक्रमित गोवंशों के शव कितने बड़े क्षेत्र को संक्रमित कर बीमारी को बढ़ा रहे हैं, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

सरकार आमजन से गो सेस के नाम पर रजिस्ट्री, शराब, मैरिज गार्डन की बुकिंग, बड़े सौदों, वाहन खरीदी आदि पर करोड़ों का टैक्स वसूलती है। राजस्थान में पिछले तीन वर्षों में शराब पर गो सेस से 1205 करोड़ रुपए का राजस्व आया है। लेकिन इस महामारी के दौर में भी सरकार गोवंश को दफनाने तक के प्रबंध नहीं कर पा रही। पशु चिकित्सक बार बार कह रहे हैं कि पशु की मौत हो जाने पर उसके शरीर को सही तरीके से डिस्पोज किया जाना चाहिए ताकि यह बीमारी और अधिक फैले।

इस बीमारी का मूल जाम्बिया बताया जा रहा है। लेकिन अब यह अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत में भी प्रवेश कर चुकी है। लम्पी वायरस से सर्वाधिक प्रभावित गोवंश है। गोवंश में भी संकर नस्लें। संक्रमित होने पर जानवरों को बुखार आता है, नाक एवं आंखों से पानी तथा मुंह से लार बहने लगती है।जानवर के पूरे शरीर में गांठें बनने लगती हैं, जो छालों जैसी दिखती हैं, दूध उत्पादन में कमी आने लगती है। पशु को चारा खाने में परेशानी होने लगती है। मादा जानवर में बांझपन, गर्भपात, निमोनिया जैसी समस्याएं देखी गई हैं। पोस्टमॉर्टम में वायरस का संक्रमण आंतों और फेफड़ों तक में देखने को मिला है। लम्पी वायरस कैप्रिपॉक्स फैमिली का वायरस है। यह गोट पॉक्स और शीप पॉक्स की तरह ही कैटल में लम्पी स्किन डिज़ीज़ फैला रहा है।

अच्छी बात यह है, आईसीएआरनेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वाइन (ICARNRCE), हिसार (हरियाणा) ने आईसीएआरभारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), इज्जतनगर, उत्तर प्रदेश के सहयोग से एक वैक्सीनलंपीप्रोवैकइंड विकसित कर ली है। बड़ी मात्रा में यह वैक्सीन उपलब्ध होने में हो सकता है अभी कुछ और समय लगे, लेकिन तब तक सरकार को पशुओं को संक्रमण से कैसे बचाएं- की जानकारी देते हुए पशुपालकों के लिए एक एडवाइजरी जारी करनी चाहिए और सभी सरकारी पशु चिकित्सालयों में पशुओं की उचित चिकित्सा व मृत पशुओं को दफनाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी ईमानदारी से स्वयं निभानी चाहिए।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *