शिक्षण संस्थाओं में पैर पसारता लव जिहाद

शिक्षण संस्थाओं में पैर पसारता लव जिहाद

शिक्षण संस्थाओं में पैर पसारता लव जिहाद

मेरठ। उत्तर प्रदेश सरकार ने भले ही लव जिहाद, जबरन, लोभ, लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून बना दिया हो, लेकिन हिन्दू युवतियों को बहकाने और छलने के जिहादी मिशन को अंजाम देने वाले असामाजिक तत्व नए-नए तरीके खोज रहे हैं। कभी विद्यालय शिक्षक बनकर किशोरियों को प्रेम जाल में फंसाते हैं तो कभी विश्वविद्यालय परिसरों में अपने आप को मीडियाकर्मी बताकर छात्राओं को अपने जाल में फंसा लेते हैं।

नया प्रकरण चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ का है। जहां दो जिहादी खुद को दो बड़े चैनलों का रिपोर्टर बताकर छात्राओं को अपने जाल में फंसा रहे थे। मामले का खुलासा उस समय हुआ जब एक जिहादी विश्वविद्यालय परिसर के अंदर मौजूद स्वामी विवेकानंद पार्क के पास एक छात्रा से उसका मोबाइल नंबर मांग रहा था, छात्रा के मना करने पर यूनिवर्सिटी कैम्पस में घुसे जिहादी ने जबरन उसका हाथ पकड़कर खींचने की कोशिश की। छात्रा के विरोध और शोर मचाने पर वहां छात्र और कर्मचारी एकत्रित हो गए।

इसके बाद घटना की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय लोग और विहिप, बजरंग दल के कार्यकर्ता भी पहुंचे और उन्होंने जिहादी से पूछताछ शुरू की। आरोपी ने अपने आप को ज़ी न्यूज का रिपोर्टर बताते हुए छात्रों पर रौब जमाने की कोशिश की। जब छात्रों और उपस्थित स्थानीय लोगों ने उससे मेरठ के  किसी मीडियाकर्मी को फोन लगाकर बुलाने को कहा तो उसके मोबाइल में किसी भी मीडियाकर्मी का नंबर नहीं मिला, जिससे लोगों का संदेह बढ़ गया।

देखने पर पता लगा कि उसके मोबाइल में गर्लफ्रेंड नाम से एक फोल्डर बना था, जिसमें 59 हिंदू लड़कियों के नाम और इसी प्रकार लगभग 350 फोटो सेव थे। शातिर जिहादी से जब उसका नाम पूछा गया तो उसने श्याम बताया। लेकिन उसके गले में मौजूद ज़ी न्यूज़ का आई कार्ड दिखा तो उसमें उसका नाम श्यान सिद्दिकी था। आरोपी को पुलिस को सौंपा गया तो वहां उसने अपना नाम पहले साहिल और बाद में सालिक बताया।

पुलिस की सख्त पूछताछ में आरोपी ने बताया कि आज तक का संवाददाता अनस भी उसके इस मिशन में शामिल है। जिहादी सालिक के पास से ज़ी न्यूज़ चैनल की माइक आईडी, ज़ी न्यूज़ का लोगो लगा हुआ बैग, ज़ी न्यूज़ का आई कार्ड, जिंदा कारतूस, रिवाल्वर का कवर और एक वायरलेस सेट बरामद हुआ है।

वायरलेस सेट पर तो मोदी गिफ्ट लिखा था, जिससे वो सबको ये बताता था कि ये वायरलेस उसको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिफ्ट किया है, अर्थात् इन सब छल प्रपंच के जरिए वह योजना बनाकर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में था।

जब जिहादी सालिक की पुरानी अपराध हिस्ट्री खंगाली गई तो मालूम हुआ कि वह पहले भी धोखाधड़ी के मामले में थाना सदर बाजार से जेल जा चुका है। पुलिस ने जिहादी सालिक को तो गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन उसके साथी अनस और इस नापाक मिशन से जुड़े अन्य जिहादी अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं जो बड़े स्तर पर लव जिहाद के इस खेल में कुचक्र रच रहे थे। देखना होगा कि पुलिस लव जिहाद के खेल में शामिल अपराधियों तक कब और कैसे पहुंच पाती है।

सालिक से मिला सामान, दस्तावेज और हथियार ही नहीं लव जिहाद के इस खतरनाक मोड्यूल की गहन जांच होनी चाहिए ताकि कथित मजहबी शान्तिदूतों की करतूतें और उनके बचाव में सदा खड़े रहने वाले देशविरोधी अर्बन नक्सल गठजोड़ की पोल भी समाज के सामने खुल सके।

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