लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन सबके लिए प्रेरणादायी- डॉ. कोठेकर

लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन सबके लिए प्रेरणादायी- डॉ. कोठेकर
- पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह का भव्य आयोजन
जयपुर, 28 मार्च। भारतीय स्त्री शक्ति की अखिल भारतीय संगठन मंत्री एवं राष्ट्रीय महिला आयोग की सलाहकार समिति की पूर्व सदस्य डॉ. मनीषा कोठेकर ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर का शासन न्यायप्रियता और लोककल्याणकारी नीतियों के लिए प्रसिद्ध था। उन्होंने अपने राज्य की सीमाओं से परे भी अनेक तीर्थस्थलों, मंदिरों, घाटों, कुओं और बावड़ियों का निर्माण कराया तथा अन्न क्षेत्र का संचालन किया। उनके महिला सशक्तिकरण के प्रयास आज भी प्रासंगिक हैं। वे गुरुवार को यूनिवर्सिटी महारानी कॉलेज में मरुधर नारी सशक्तिकरण संगठन और भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को मुख्यवक्ता के रूप में संबोधित कर रही थीं। यह संगोष्ठी देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी।
डॉ. कोठेकर ने बताया कि अहिल्याबाई होलकर ने 1567 में होलकर राज्य की बागडोर संभाली। श्वसुर मल्हारराव व सास गौतमाबाई से मिले संस्कारों व मार्गदर्शन का प्रभाव यह रहा कि रानी अहिल्याबाई में एक कुशल शासक के सभी गुण विद्यमान थे। प्रजा के हित में उठाए गए कदमों ने उन्हें लोकमाता की उपाधि दी। प्रजा की भलाई, सुरक्षा, बाहरी आक्रमण, विद्रोहियों से राज्य की रक्षा करने के हर संभव प्रयास अहिल्याबाई ने किए। उन्होंने अपनी दूरदर्शिता से एक ओर जहां राज्य को चोर डाकुओं से सुरक्षित किया, वहीं दूसरी ओर राज्य के शत्रुओं से भी। उन्होंने भीलों की आजीविका के लिए जमीनें प्रदान कीं। उन्हें राहगीरों की रक्षा का काम सौंपा और पथकर वसूलने की छूट दी। यही पथकर भील कौड़ी कहलाया। उन्होंने संपूर्ण राज्य को शिव को समर्पित कर कुशल प्रशासिका के रूप में कार्य किया। संघर्षपूर्ण जीवन के बावजूद उन्होंने सुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया और पूरे भारत में एक न्यायप्रिय, दानशील और कुशल प्रशासिका के रूप में सम्मान प्राप्त किया। डॉ. कोठेकर ने अपने उद्बोधन में रानी दुर्गावती का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि रानी दुर्गावती ने अपने पूरे जीवन में 52 युद्ध लड़े, जिनमें से 51 जीते।
कार्यक्रम में राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को नमन करते हुए कहा कि इतिहास के पन्नों पर उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है, क्योंकि उन्होंने लोकहित, राष्ट्रहित और समाजहित के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। वे विद्वत्ता, साहस और प्रशासनिक कौशल की प्रतीक थीं। उनके द्वारा धार्मिक, सामाजिक और प्रशासनिक क्षेत्र में किए गए कार्य हमेशा प्रेरणादायी रहेंगे।
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, अहमदाबाद की कुलपति डॉ. अमी उपाध्याय ने शिक्षा और नेतृत्व में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई न केवल एक उत्कृष्ट प्रशासक थीं, बल्कि उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और कल्याण के लिए भी अनुकरणीय कार्य किए।
इस अवसर पर राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलगुरु डॉ. अल्पना कटेजा और महारानी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. पायल लोढ़ा ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने छात्राओं से देवी अहिल्याबाई के मूल्यों को आत्मसात करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में मरुधर नारी सशक्तिकरण संगठन की प्रदेश सचिव पुष्पा जांगिड़ ने संगठन के कार्यों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर आधारित नाटक का भी मंचन हुआ।