शब्द-संधान : अनुभूति की अभिव्यक्ति 

शब्द-संधान : अनुभूति की अभिव्यक्ति 

डॉ. देवी प्रसाद तिवारी

शब्द-संधान : अनुभूति की अभिव्यक्ति शब्द-संधान : अनुभूति की अभिव्यक्ति 

पुस्तक – शब्द संधान

लेखक – कमलेश ‘कमल’

प्रकाशक – प्रभात प्रकाशन

मूल्य – 310/-

भाषा वैज्ञानिकों को पढ़ते समझते हुए एक बात तो तय हो जाती है कि वे शब्द यात्रा करते हैं। प्रत्येक शब्द का अपना इतिहास होता है, जनमानस इन्हीं शब्दों का व्यवहार कर अपनी अनुभूति को एक दूसरे से साझा करता है। शब्दों का निर्माण एक कठिन प्रक्रिया है। उस कठिन प्रक्रिया को अनुभव करना और उसके अर्थ को उसके उद्देश्यों के अनुरूप बनाए रखने में भाषा वैज्ञानिकों की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण होती है। अनेक बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि किस शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है– इससे जनमानस अनभिज्ञ होता है। हम जानते हैं कि किसी शब्द का उपयोग किस प्रकार से करना है, इसकी व्यवस्था भाषा वैज्ञानिकों के द्वारा दी जाती रही है; क्योंकि उन्हें शब्दों की उत्पत्ति से लेकर उनकी यात्रा तक का बोध होता है। कमलेश कमल की पुस्तक ‘शब्द संधान’ भाषा के इसी इतिहास बोध के साथ लिखी गई है।

भाषा पर लिखना लेखक की रुचि का विषय है। समाज जीवन में आम जनमानस के द्वारा व्यवहार में लाए जाने वाले शब्द मनुष्य की अनुभूति से किस प्रकार से जुड़ रहे हैं, मनुष्य के अंतर्मन में उस शब्द की अवधारणा क्या है, उस शब्द के उच्चारण से मन-मस्तिष्क में किस प्रकार का बिंब बना रहा है, भाषा वैज्ञानिकों के लिए यह महत्व का विषय होता है। पत्राचार की भाषा, आम बोलचाल की भाषा, अकादमिक जगत् की भाषा, साहित्यकारों की भाषा सभी का अपना अलग-अलग ताना-बाना होता है और इस ताने बाने को बुनते हैं– शब्द। शब्दों का धागा जितना बारीक जुड़ा होगा, वाक्य-विन्यास उतना ही सुंदर अभिव्यक्ति देने वाला होगा। अनेक बार पत्र-व्यवहार करते हुए वरिष्ठ जनों द्वारा यह मार्गदर्शन किया जाता है कि पत्र व्यवहार करते समय एक एक शब्द का उपयोग सोच समझ कर करना चाहिए, जिससे कि जो बात आप कहना चाह रहे हैं, वह कम-से-कम शब्दों में सामने वाले तक संप्रेषित हो जाए। किस शब्द में अधिकार भाव है, किस शब्द में आग्रह का भाव है अथवा कौन सा शब्द आदेशात्मक है– इस विषय को समझे बिना शब्दों का उपयोग करना व्यक्ति को उपहास का पात्र भी बना सकता है। ऐसे में, शब्दों की उत्पत्ति और उसके प्रयोग को समझने के लिए यह पुस्तक पाठकों के लिए अत्यंत ही उपयोगी है। ऐसी पुस्तकों के निर्माण से निश्चित ही भाषा भी समृद्ध होती है और परिनिष्ठित भाषा का प्रयोग आम जनमानस में अपने पूरे अनुशासन के साथ बना रहता है। 

पुस्तक शब्द संधान अपनी सरल भाषा के कारण आम जनमानस से लेकर विद्त समाज तक अपनी पहुंच रखती है। यह पुस्तक प्रतियोगी छात्रों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।

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