शिक्षक बनना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य
शिक्षक बनना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य
छबड़ा, 11 जून। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के तत्वावधान में सप्त दिवसीय पूर्ण आवासीय नवीन आचार्य विकास वर्ग का शुभारंभ गुरुवार रात्रि को आदर्श विद्या मन्दिर के सभागार में हुआ। प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन सत्र में सत्र के मुख्य वक्ता विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत के सचिव किशन गोपाल कुमावत तथा मुख्य अतिथि एडवोकेट एवं कवि टीकम चंद डोढरिया का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। समारोह की अध्यक्षता अशोक कुमार भार्गव ने की।
वर्ग में इस अवसर पर मुख्य वक्ता कुमावत ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विद्या भारती का कार्य 1952 में गोरखपुर में प्रारंभ हुआ था। आज संपूर्ण देश में विद्या भारती के हजारों विद्यालयों में लाखों विद्यार्थी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। विद्या भारती वर्तमान में विश्व में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा शिक्षा संस्थान है। जिसका मुख्य उद्देश्य समर्पण व निष्ठा पूर्वक भारत माता की सेवा करने वाले नागरिक निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि आचार्य बनना जीवन में सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। जिला सचिव राजेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि चयनित नवीन आचार्यों के प्रशिक्षण वर्ग में भाग लेने के उपरांत विद्या भारती द्वारा संचालित जिले के विद्यालयों में नियुक्ति दी जाएगी।