संजीव प्रकाशन के कार्यालय पर मुसलमानों का हमला
जयपुर, 17 मार्च। कोतवाली थाना क्षेत्र धामानी मार्केट स्थित संजीव प्रकाशन के कार्यालय पर मुसलमानों ने 2017 में प्रकाशित एक पुस्तक में इस्लामिक आतंकवाद के प्रश्न पर दिए उत्तर से नाराज होकर हमला किया। इस दौरान हमलावरों ने कार्यालय में रखे फर्नीचर, कांच तोड़ते हुए वहां रखी पुस्तकों को फाड़ डाला। लोगों ने पुलिस को सूचित किया, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही हमलावर वहां से भाग गए।
पब्लिकेशन के मैनेजर विजयशंकर शुक्ला ने बताया कि 12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की एक पुस्तक में उनके प्रकाशन ने इस्लामिक आतंकवाद पर एक प्रश्न का उत्तर छापा था। जिस पर यह तोड़ फोड़ हुई। यह प्रश्न माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पुस्तक में भी पूछा गया है। इस प्रश्न का उत्तर न केवल उनकी पब्लिश पुस्तक में बल्कि अन्य प्रकाशकों की पुस्तकों में भी दिया गया है। कुछ समय पहले जब इस प्रश्न के उत्तर पर आपत्ति आई थी तो उन्होंने अपने द्वारा प्रकाशित बाजार में दी गई लगभग सभी पुस्तकें वापस उठा ली थीं और नई पुस्तकों में उक्त कंटेंट को हटा भी दिया था। शुक्ला ने बताया कि उनके द्वारा जो कंटेंट प्रकाशित किया गया था उस पर उन्होंने लिखित में माफी भी मांग ली थी। लेकिन उसके बावजूद पिछले तीन से चार दिन पहले कुछ लोगों के फोन आए और उन्होंने इस मामले पर इन्हें धमकाया। इसकी शिकायत कोतवाली थाने में भी की गई, जहां से उनकी सुरक्षा के लिए दो-तीन जवान भी उपलब्ध करवाए गए। लेकिन बुधवार की शाम को आधा दर्जन लोग ऑफिस आए और बिना बताए यहां तोड़फोड़ करनी शुरू कर दी। विरोध करने आए लोगों ने फर्नीचर नीचे गिरा दिया और यहां पड़ी पुस्तकें फाड़ दीं। इस दौरान इनके साथ आए 20-30 लोग कार्यालय के बाहर भी खड़े थे।
कोतवाली थानाधिकारी विक्रम सिंह ने बताया कि संजीव पब्लिकेशन के कार्यालय पर मुसलमानों द्वारा किए हमले की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस जाब्ता भेजा गया। लेकिन इससे पहले ही सभी हमलावर फरार हो गए। पब्लिकेशन कम्पनी के कार्यालय मैनेजर विजय शंकर शुक्ला के बयानों के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और आरोपितों को चिन्हित करने के लिए आस- पास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, जल्द ही आरोपितों को पकड़ लिया जाएगा।
क्या था प्रश्न और उसका उत्तर?
प्रश्न: इस्लामी आतंकवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: इस्लामी आतंकवाद इस्लाम का ही एक रूप है, जो विगत 20-30 वर्षों में अत्यधिक शक्तिशाली बन गया है। आतंकवादियों में किसी एक गुट विशेष के प्रति समर्पण का भाव नहीं होकर एक समुदाय विशेष के प्रति समर्पण भाव होता है। समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता इस्लामिक आतंकवाद की मुख्य प्रवृत्ति है। पंथ या अल्लाह के नाम पर आत्मबलिदान और असीमित बर्बरता, ब्लैकमेल, जबरन धन वसूली, और निर्मम नृशंस हत्याएं करना ऐसे आतंकवाद की विशेषता बन गई है। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पूर्णतया धार्मिक व पृथकतावादी श्रेणी में आता है।
यह मामला 2017 का है, यानि प्रकाशक ने 2017 में जो पुस्तक प्रकाशित की थी, उसमें यह उत्तर छापा था। 3 साल से भी अधिक समय बाद प्रकाशक के कार्यालय पर हमला हुआ है। प्रकाशक की शिकायत पर प्रशासन द्वारा पुलिस सुरक्षा भी उपलब्ध कराई गई थी। आज जब हमला हुआ, तब भी 3 पुलिसकर्मी कार्यालय में मौजूद थे। इसके बावजूद लोग वहां आए और हमला कर दिया।