सड़क (लघुकथा)

सड़क

शुभम वैष्णव

सड़क

अरे असलम! आपके मोहल्ले में तो चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ है। अब तक यहॉं सड़क क्यों नहीं बनी? सुरेश जी ने टोकते हुए कहा। क्या बताएं सुरेश बाबू नगर परिषद ने तो हमारे मोहल्ले में सड़क बनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया था और नगर परिषद ने सड़क निर्माण हेतु ठेकेदार को टेंडर भी दे दिया था। एक दिन ठेकेदार ने कॉलोनी का निरीक्षण किया और बजरी, गिट्टी व सीमेंट आदि सामग्री यहॉं रखवा दी। लेकिन सुबह जब मजदूर काम करने के लिए आए तो देखा गिट्टी, बजरी व सीमेंट सब गायब हैं। रातों रात सारा सामान चोरी हो गया था। यह सब देख कर ठेकेदार का माथा ठनक गया। फिर क्या था इसके बाद कोई भी ठेकेदार हमारे मोहल्ले में सड़क बनाने को तैयार ही नहीं हुआ क्योंकि सब ठेकेदार हमारे मोहल्ले के सभ्य लोगों की सभ्यताओं से परिचित हो चुके थे, असलम ने कटाक्ष करते हुए कहा।

 

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