सपनों को लगे पंख
सपनों को लगे पंख
औरों की तो छोड़िए उसे स्वयं ही विश्वास नहीं हो रहा था। आईटी की बेस्ट कंपनियों में से एक इंफोसिस का अपॉइंटमेंट लेटर रूपा के हाथ में था। तेलंगाना के वारंगल जिले के एक छोटे से गांव की यह बेटी आज अपने गांव की कितनी ही लड़कियों की आदर्श है। पास के ही इलैंदा गांव की वूल्लमा भी इंजीनियरिंग करने के बाद एक अच्छी नौकरी कर रही है। तेलंगाना के वारंगल व मेहबूबनगर जिले के गांवों में जहां बेटी को पढ़ाना तक आवश्यक नहीं समझा जाता था, वहां उनकी आंखों ने जो सपने देखे थे, वो पूरे किए वंदेमातरम फाउंडेशन ने। फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं के लिए सबसे अधिक कठिन था परिजनों को लड़कियों को गांव से बाहर पढ़ने भेजने के लिए मनाना। माता पिता बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए गॉंव से बाहर भेजने के लिए कतई तैयार न थे। पर किसी तरह वे कुछ लोगों को मनाने मे सफल हुए फिर तो एक परिपाटी सी चल पड़ी।
कभी शिक्षा के लिहाज़ से बेहद पिछड़े इस क्षेत्र में वंदेमातरम् फाउंडेशन के प्रयासों से आज 398 युवा इंजीनियरिंग कर चुके हैं। जहाँ कभी मात्र 12 प्रतिशत लड़कियां ही महाविद्यालयों तक पहुंच पाती थीं, आज यह संख्या काफी बढ़ गई है। 1600 से अधिक लड़कियां फाउंडेशन के माध्यम से ग्रेजुएशन कर चुकी हैं। वंदेमातरम फाउंडेशन (VMF) की स्थापना 2005 में की गई थी, जिसका उद्देश्य कम संसाधन वाले ग्रामीण स्कूलों में नैतिक मूल्यों को विकसित करना और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
संस्था के स्वंयसेवक ग्रामीण क्षेत्रों में जा कर लड़कियों के माता-पिता को संकल्प दिलाते हैं कि शिक्षा पूर्ण होने तक वह बेटी की शादी नहीं करेंगे। इसके पश्चात फाउंडेशन द्वारा इन लड़कियों की महाविद्यालय की फीस से लेकर उनके आने-जाने में होने वाले व्यय तक की व्यवस्था की जाती है। प्रत्येक तिमाही एक विशेष वर्कशॉप का आयोजन किया जाता है, जिसमें छात्राओं को रोजगार के विकल्पों के बारे में सटीक व अद्यतन जानकारी दी जाती है।
गांवों के छात्र भी शहरी बालकों से प्रतिस्पर्धा कर सकें; यह सुनिश्चित करने के लिए फाउंडेशन द्वारा वर्ष में एक बार हाईस्कूल के छात्रों के लिए 45 दिवसीय शिविर का आयोजन किया जाता है। प्रातः 4.30 बजे से आरंभ होने वाले इस शिविर में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी कराते हैं।
कन्या शिक्षा के क्षेत्र में वंदेमातरम् फाउंडेशन की यह पहल समूचे तेलंगाना में तेजी से एक आंदोलन का रूप ले रही है। संस्था के माध्यम से शिक्षित लड़कियां अपने-अपने गांवों में संचालित शारदा संस्कार केन्द्रों के माध्यम से अन्यों को जागरूक बना रही है।