समाज परिवर्तन के लिए व्यक्ति में परिवर्तन आवश्यक- डॉ. भागवत

समाज परिवर्तन के लिए व्यक्ति में परिवर्तन आवश्यक- डॉ. भागवत
भोपाल, 6 मार्च, 2025। विद्या भारती द्वारा आयोजित पांच दिवसीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग 2025 का मंगलवार (4 मार्च) को शुभारंभ हुआ, जिसमें विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव ने प्रस्तावना रखते हुए कहा कि विद्या भारती के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हमारा मुख्य लक्ष्य है, ताकि वे शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी बिंदुओं को समाहित करते हुए, संगठन के लक्ष्यों में कुछ नई बातों को जोड़ने का भी प्रावधान किया गया है।
कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने का कार्य नहीं करती, बल्कि समाज को सही दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विश्व भारत की ओर देख रहा है, उसे मानवता की दिशा देनी होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे व्यापक दृष्टिकोण से देखना होगा। मानवता को सही दिशा देने के लिए आवश्यक है कि हम अपने कार्य को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाएं। परिवर्तन आवश्यक है, क्योंकि संसार स्वयं परिवर्तनशील है, लेकिन यह अधिक महत्वपूर्ण है कि परिवर्तन की दिशा क्या हो।
डॉ. भागवत ने कहा कि विद्या भारती अपने विचारों के अनुरूप शिक्षा कार्य कर रही है। यह शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के जीवन मूल्यों और संस्कारों का निर्माण भी करती है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा का कार्य व्यापक है, जो केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि इसका उद्देश्य समाज को नैतिक रूप से समृद्ध बनाना भी है।
उन्होंने कहा कि समय के अनुसार परिवर्तन आवश्यक है, लेकिन इसमें निष्क्रिय होकर बैठना उचित नहीं होगा। मानव अपने मस्तिष्क के बल पर समाज में परिवर्तन लाता है और उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह परिवर्तन सकारात्मक हो।
उन्होंने कहा कि आज के समय में तकनीक समाज के हर क्षेत्र में अपना प्रभाव डाल रही है। हमें टेक्नोलॉजी के लिए एक मानवीय नीति बनानी होगी। आधुनिक विज्ञान और तकनीक में जो कुछ गलत है, उसे छोड़ना पड़ेगा और जो अच्छा है, उसे स्वीकार कर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा, भारत की संस्कृति ने हमेशा सभी को जोड़ने का कार्य किया है, इसे बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। सब में मैं हूँ, मुझ में सब हैं, भारतीय दर्शन के इस मूल विचार को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना होगा कि वह समाज का अभिन्न अंग है और समाज भी उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज पूरा विश्व भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा है। भारत ने सदैव सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपने मूल्यों को बनाए रखा है। यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है। यदि समाज में परिवर्तन लाना है, तो सबसे पहले व्यक्ति में परिवर्तन लाना होगा। हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी, जो व्यक्ति के चरित्र निर्माण में सहायक हो।
उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास केवल एक वर्ग या समूह के कल्याण तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि हमें संपूर्ण समाज के कल्याण का लक्ष्य रखना होगा। हमारी शक्ति और संसाधन केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समस्त समाज की उन्नति के लिए समर्पित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में कई विचारधाराएँ हैं और हमें उन लोगों को भी साथ लेकर चलना है जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं।
डॉ. भागवत ने कहा कि हमें सकारात्मक सोच और रचनात्मक विचारों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम करना चाहिए।
अभ्यास वर्ग में देश भर से अखिल भारतीय पदाधिकारी, क्षेत्रीय अधिकारी के साथ 700 से अधिक कार्यकर्ता, पदाधिकारी उपस्थित हैं।
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