समाज कार्य में योगदान का संकल्प लेकर लौटीं सेविकाएं
समाज कार्य में योगदान का संकल्प लेकर लौटीं सेविकाएं
जयपुर। वायव्य क्षेत्र (राजस्थान) के जयपुर, जोधपुर और चित्तौड़ प्रान्त में राष्ट्र सेविका समिति के तीन वर्गों का समापन जून के प्रथम सप्ताह में हुआ। तीनों प्रान्तों में आयोजित इन 15 दिवसीय वर्ग शिविरों में कुल 409 सेविकाओं ने प्रशिक्षण लिया। जयपुर, जोधपुर व चित्तौड़ में प्रवेश वर्ग (प्रथम वर्ष) व प्रबोध वर्ग (द्वितीय वर्ष) का आयोजन किया गया। तीनों स्थान पर आयोजित वर्गों में 125 शिक्षक, प्रबंधक व अधिकारियों ने भाग लिया जबकि प्रतिभागियों की कुल संख्या 534 रही। तीनों प्रान्त के तीनों वर्गों में साधनारत सेविकाएं अब समाज में पुनः अपने-अपने कार्य क्षेत्र में समिति की अपेक्षा के अनुरूप पूर्ण क्षमता से समाज कार्य में योगदान करने का संकल्प लेकर लौटी हैं।
दैनिक दिनचर्या में अनुशासन को प्राथमिकता देने वाले इन 15 दिवसीय प्रशिक्षण वर्गों में राष्ट्र सेविका समिति की सदस्यों ने मोबाइल फोन का मोह त्याग कर दृढ़ संकल्प के साथ शिक्षा वर्ग की साधना पूरी की।
राष्ट्र सेविका समिति वायव्य क्षेत्र के प्रबोध शिक्षा वर्ग का समापन समारोह सरस्वती बालिका आदर्श विद्या मन्दिर, जवाहर नगर सेक्टर-02, जयपुर में सम्पन्न हुआ। इसी प्रकार जोधपुर प्रान्त के प्रवेश वर्ग का समापन शारदा बालिका निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय, शारदापुरम, नागौर में एवम चित्तौड़ प्रान्त के प्रवेश वर्ग का समापन आदर्श विद्या मन्दिर, भीलवाड़ा में हुआ।
17 मई से प्रारम्भ होकर 2 जून तक चले इन वर्गों में सेविकाओं ने निरन्तर दण्ड, नियुद्ध, यष्टि, गण समता, योगासन, दंड, यष्टि, योगचाप, घोषवादन, व्यायाम योग आदि का अभ्यास किया। समापन के अवसर पर इनका प्रदर्शन किया गया। तीनों वर्गों में सेविकाओं के इन प्रदर्शनों ने प्रत्यक्षदर्शियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
महिलाएं स्वस्थ तभी समाज रहेगा स्वस्थ- डॉ. चेतना
जयपुर में आयोजित वर्ग के समापन कार्यक्रम की मुख्य अथिति डॉ. चेतना ने कहा कि महिलाएं स्वस्थ रहेंगी तभी समाज स्वस्थ रहेगा। मुख्य वक़्ता डॉ. वन्दना ने राष्ट्र सेविका समिति की पृष्ठभूमि के बारे में बताया। लक्ष्मीबाई केलकर के जीवन चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि समाज को सशक्त बनाने में प्रत्येक नारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। हम यह वर्ष अहिल्या बाई होलकर की 300 वीं जयंती वर्ष के रूप में मनाएंगे और 2025 में संघ शताब्दी वर्ष मनाया जाएगा। मुख्य वक़्ता वंदना वजीरानी रहीं। क्षेत्र कार्यवाहिका प्रमिला शर्मा ने वर्ग का प्रस्ताविक और नर्बदा इंदौरिया ने वर्ग वृत्त प्रस्तुत किया। समाज से आगन्तुकों की कुल संख्या 150 रही।
हमें जागृत रहकर राष्ट्र संरक्षण करना है- शर्मा
नागौर में वर्ग के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए सुरमयी शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को जीवन में श्रेष्ठ विचारों के साथ सामर्थ्यवान बनकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। सुरमयी शर्मा ने कहा, हम सभी सेविका बहनें हनुमान की तरह हैं जो अपनी शक्ति भूल गई हैं और राष्ट्र सेविका समिति एक जामवंत की तरह है जो भूली हुई शक्ति को याद दिला कर हमें जागृत कर रही है। हमें जागृत रहकर अपने परिवार, समाज और राष्ट्र का रक्षण और संरक्षण करना है। अपनी संस्कृति को बचाकर रखना है। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता समिति की (अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख) पूनम शर्मा ने समिति की स्थापना, कार्य व उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत भूमि, देव भूमि पुण्य भूमि है। इसकी सीमाएं अफगानिस्तान तक फैली हुई थीं। बप्पा रावल, चंद्रगुप्त मौर्य, कृष्णदेव राय, महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी व पृथ्वीराज चौहान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इनके शौर्य, पराक्रम और त्याग से ही हिन्दुत्व का अस्तित्व है। राम मंदिर की स्थापना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अपने राष्ट्र के प्रेरणा पुरुष श्री राम के जन्म स्थान को बचाने के लिए हिन्दुओं ने लंबा संघर्ष और बलिदान दिया है। राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा हमारे लिए गौरव का क्षण था। मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में कविता भाटी सहायक आचार्य (वनस्पति शास्त्र) भी उपस्थित रहीं। वर्गाधिकारी कल्पना शेखावत ने वर्ग का संख्यात्मक वृत्त निवेदन किया। प्रान्त कार्यवाहिका डॉ. सुमन रावलोत ने क्षेत्र में समिति द्वारा की जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
राष्ट्र सेविका समिति देती है राष्ट्रकार्य में योगदान- शरद रेणु
भीलवाड़ा में सम्पन्न हुए वर्ग में अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख डॉ. शरद रेणु शर्मा, वंदना वजीरानी, वर्गाधिकारी सुशीला पारीक एवं अध्यक्ष कृष्णा चित्तौड़ा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। सुशीला पारीक ने वर्ग का वृत्त निवेदन किया। इस अवसर पर शरद रेणु ने कहा कि स्त्री पुरुष दोनों का अर्धांग गरुड़ के दोनों पंख हैं। जब इन दोनों पंखों के साथ गरुड़ गगन में ऊंची उड़ान भरेगा तो निश्चित ही भारत विश्व में अपनी एक अलग पहचान लेकर उभरेगा। राष्ट्र सेविका समिति शाखा पद्धति के माध्यम से कार्य करते हुए और कार्यकर्ताओं को प्रेरणा देते हुए प्रत्येक राष्ट्रकार्य में अपना योगदान देती है। आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। हमारी वसुधैव कुटुंबकम् की भावना दुनिया तक पहुंच रही है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद और वीर शिवाजी के अनेक प्रसंगों के माध्यम से राष्ट्र के प्रति समर्पण को आज के युग की आवश्यकता बताते हुए कहा कि भारत को विश्वगुरु के सिंहासन पर विराजमान करने के लिए प्रत्येक को राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव के साथ राष्ट्रकार्य में रत रहना होगा। अंत में वर्ग कार्यवाहिका मनीषा जाजू ने आभार व्यक्त किया। कार्य्रकम में समाज के गणमान्य बंधु और प्रबुद्धजन उपस्थिति रहे।
क्या है राष्ट्र सेविका समिति
राष्ट्र सेविका समिति, भारत की महिलाओं की एक संस्था है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही दर्शन के अनुरूप कार्य करती है। राष्ट्र सेविका समिति का ध्येयसूत्र है – ‘स्त्री राष्ट्र की आधारशिला है।’ लक्ष्मीबाई केलकर (मौसीजी) द्वारा वर्ष 1936 की विजयादशमी पर स्थापित यह संगठन देश विदेश में शाखाओं के माध्यम से महिलाओं को शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक व आत्मिक स्तर पर सशक्त व सक्षम बनाता है। प्रशिक्षण वर्गों के माध्यम से सेविकाओं में अदम्य शौर्य, साहस और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता का विकास होता है। राष्ट्र सेविका समिति द्वारा चार प्रकार के वर्गों का आयोजन किया जाता है। पहला प्रारंभिक, दूसरा प्रवेश, तीसरा प्रबोध व चौथा प्रवीण वर्ग कहलाता है। प्रारंभिक वर्ग में 12 वर्ष तक की बालिकाएं, प्रवेश वर्ग में 13 से 15 वर्ष तक और प्रबोध में 15 वर्ष से ऊपर की बालिकाओं को प्रशिक्षित किया जाता है। यही आयु वर्ग प्रवीण वर्ग में प्रशिक्षण के लिए योग्य होता है।