सामाजिक समरसता : बावरी परिवार ने मंदिर पर रखा शिखर तो वाल्मीकि परिवार ने चढ़ाई अमर ध्वजा
सामाजिक समरसता : बावरी परिवार ने मंदिर पर रखा शिखर तो वाल्मीकि परिवार ने चढ़ाई अमर ध्वजा
पाली। पाली जिले की मारवाड़ तहसील में 7 हजार की जनसंख्या वाला एक छोटा सा गांव है निम्बली। यह गांव आजकल अपने सामाजिक सद्भाव के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। गांव में राजपूत, गुर्जर, जैन, देवासी, कुम्हार, कारीगर, वैष्णव, लोहार, बावरी, मीणा, वाल्मीकि, दमानी, वैष्णव, नाथ, कालबेलिया, स्वामी आदि 30 से अधिक समाजों के लोग रहते हैं। इतनी विविधता में एकता और सामाजिक समरसता का माध्यम बना है एक मंदिर। शीतला माता का यह मंदिर हाल ही में बन कर तैयार हुआ है, जिस पर अमर ध्वजा एक वाल्मीकि परिवार, तो मंदिर का शिखर बावरी परिवार द्वारा चढ़ाया गया है।
गांव के लोग 21 नवम्बर, मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा उत्सव का दिन बड़े गर्व से याद करते हैं और बाहर से आने वाले को बड़े उत्साह से पूरे आयोजन के बारे में बताते हैं। हमारा प्रतिनिधि गांव पहुंचा तो वहां कानाराम प्रजापत मिले। आयोजन और प्रकरण के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया, मंदिर तैयार हो गया था। जब इसके शिखर पर अमर ध्वजा का चढ़ावा चढ़ाने की बात आयी, तो इसकी बोली दक्षिण अफ्रीका में व्यवसायी कुंवर तेज सिंह पुत्र ठा. भंवर सिंह की ओर से लगाई गई। तेज सिंह ऑनलाइन उपस्थित थे। 5 लाख 51 हजार में यह बोली लेने के बाद उन्होंने स्वयं या अपने किसी परिवारजन द्वारा शिखर पर ध्वजा चढ़ाने की बजाय यह सम्मान निम्बली गांव निवासी कालूराम वाल्मीकि परिवार को दिया। तेज सिंह की इस पहल का सभी गांव वालों ने हृदय से स्वागत किया, वहीं वाल्मीकि परिवार की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं है।
वहीं जब कालूराम वाल्मीकि से हमारे प्रतिनिधि ने बात की तो वे भरे कंठ से बोले, यह मेरा सौभाग्य है। मेरा परिवार कुंवर तेज सिंह का आभारी है। उन्होंने पैसा अपना खर्च किया और सम्मान वाल्मीकि समाज को दिया। पूरे वाल्मीकि समाज की ओर से मेरा उन्हें कोटि कोटि नमन है।
कुंवर तेज सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। उन्होंने ऐसा कर पाने के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपनी प्रेरणा बताया।
गांव की सरपंच सम्पत कंवर ने शीतला माता मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को अविस्मरणीय बताते हुए कहा कि इस दिन कालूराम वाल्मीकि ने शिखर पर ध्वजा चढ़ाई, वहीं महेंद्र कुमार बावरी ने मंदिर के शिखर पर कलश रखा, जिसकी चढ़ावा बोली तीन लाख 81 हजार रुपए थी। महेंद्र कुमार बावरी, जो अनुसूचित जाति समाज से आते हैं, यह राशि अपनी जेब से खर्च की। हमारे गांव ने सामाजिक समरसता की मिसाल प्रस्तुत की है। कुंवर तेज सिंह इससे पूर्व भी मानव और गौ एम्बुलेंस, पक्षियों के लिए पक्षी टॉवर भेंट कर चुके हैं। वे ऐसे भामाशाह हैं, जो किसी भी जरूरत के समय गांव वालों के काम आते हैं। एक बार गांव के एक मीणा परिवार में एक नौजवान की मौत हो गई, उस समय भी उन्होंने 51 हजार रुपयों से उस परिवार की सहायता की।
वहीं उपस्थित कानाराम प्रजापत से आगे बात हुई तो वे बोले, कृषि प्रधान गांव है हमारा निम्बली। 3 हजार मतदाता हैं यहॉं। आसपास के गांव के लोग भी कृषि और मजदूरी कर अपना जीवनयापन करते हैं। निम्बली में 30 से अधिक जातियों के लोग रहते हैं। 10 घर मुसलमानों के भी हैं। पास के गांव में 100 घर मुसलमानों के हैं, चिरपटिया गांव में कुछ वर्ष पहले 10 घर मुसलमानों के थे, लेकिन आज उस गांव में लगभग ढाई सौ घर मुसलमानों के बन गए हैं। अब यहॉं असामाजिक गतिविधियां बढ़ने लगी हैं। पिछले 6 वर्षों में भीम आर्मी के लोगों की सक्रियता काफी बढ़ी है। ये लोग अनुसूचित जाति के लोगों में अन्य जातियों के विरुद्ध जहर घोल रहे हैं। उनको समाज से तोड़ने का षड्यंत्र रच रहे हैं। ये लोग हिन्दू देवी देवताओं के बारे में सोशल मीडिया पर गलत टिप्पणियां करते रहते हैं। ऐसे में कुंवर तेज सिंह की इस पहल के बड़े मायने हैं। शीतला माता से प्रार्थना है, हमारे गांव को किसी की नजर न लगे। जब तक हम एक हैं, तभी तक सेफ हैं।