साहित्य का उद्देश्य भारत के विमर्श को विश्व तक पहुंचाना है- मनोज कुमार

साहित्य का उद्देश्य भारत के विमर्श को विश्व तक पहुंचाना है- मनोज कुमार
जोधपुर, 10 मार्च। अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान क्षेत्र के जोधपुर प्रांत में रविवार को प्रान्त स्तरीय कहानी प्रतियोगिता पुरस्कार सम्मान समारोह आयोजित किया गया। यूथ हॉस्टल रातानाडा में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अ.भा. सा. परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने कहा कि साहित्य का उद्देश्य भारत के विमर्श को विश्व तक पहुंचाना है। अपने उद्बोधन में उन्होंने भारतीय चिन्तन, जीवन-मूल्यों, भावनाओं और संवेदनाओं की वाहक कहानी विधा को भारत का पर्याय बताया और स्वदेशी, सामाजिक समरसता, नागरिक-कर्तव्य, कुटुम्ब -प्रबोधन एवं पर्यावरण संरक्षण इन पंच परिवर्तन द्वारा राष्ट्रीय पुनरुत्थान की संकल्पना को प्रस्तुत किया।
क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं राजकीय डूंगर महाविद्यालय बीकानेर के हिंदी के आचार्य प्रो. डॉ. अन्नाराम शर्मा ने स्वामी विवेकानन्द की एकात्म दृष्टि को भारतीय चिन्तन परम्परा का मूल सूत्र बताते हुए लेखकों को एकात्म भाव की अभिव्यक्ति का संदेश दिया। उन्होंने कहा, लेखन पाश्चात्य प्रवृत्ति, भौतिकतावाद, स्वप्रधान अर्थात व्यक्ति प्रधान न होते हुए समष्टिगत, मूल्यगत, परम्परा, मूल्य एवं शाश्वत चिन्तन से जुड़ा होना चाहिए। उन्होंने कुटुम्ब बोध की प्रासंगिकता बताते हुए ‘श्री’ से युक्त स्त्री को गुरु पद की अधिकारिणी बताया।
महात्मा गाँधी अस्पताल के अधीक्षक एवं हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. डॉ. फतेह सिंह भाटी ने उद्देश्यहीन और केवल मनोरंजन-परक साहित्य लेखन को नकारते हुए उद्देश्यपूर्ण सार्थक रचना को सटीक बताया। उन्होंने कहा कि पूर्ण रचना वही मानी जाती है जो समाज के वास्तविक पक्ष को उजागर करे और समाज को सही दिशा दिखाए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत ने कहा कि भारतीय पुरातन सनातन परम्परा ने समाज को दिशा दी है। जहां वामपंथी साहित्य ने भारत को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास किया, भारत को अपने मूल व स्व से अलग किया। वहीं आज का साहित्य देश को अपने मूल भाव, विचार एवं परम्परा से जोड़ने वाला है।
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में राजस्थानी विभाग के पूर्व विभागाध्याय प्रो. कल्याण सिंह शेखावत ने आज के साहित्यकारों को साधुवाद देते हुए कहा कि आज का साहित्य सार्थक विषयों पर लिखा जाने वाला युग सापेक्ष और बदलते परिवेश में भारतीय संस्कृति को जीवित रखते हुए घर-घर पहुंचाने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस सम्मान समारोह में नारी प्रतिभा का भी सम्मान हमारी शाश्वत परम्परा की अक्षुण्णता को दर्शाता है। उन्होंने साहित्यकार को दुनिया से घृणा मिटाकर प्रेम की दुनिया बसाने का पुरोधा माना।
प्रांत अध्यक्ष डॉ. अखिलानंद पाठक ने स्वागत उद्बोधन सहित कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा चंद्रवीर सिंह ने परिषद गीत प्रस्तुत किया।
महानगर की मीडिया प्रमुख डॉ. दिव्या सिंह राजपुरोहित ने बताया कि जोधपुर प्रान्त के सात विभागों एवं 21 जिलों में से 10 राजकीय ज़िलों में ‘कुटुम्ब प्रबोधन’ विषय पर 947 विद्यालयों, 348 महाविद्यालयों एवं साहित्यकार वर्ग में कहानी प्रतियोगताएं आयोजित की गईं। जिनमें 139 साहित्यकारों तथा 1437 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम में साहित्य परिषद के क्षेत्र संगठन मंत्री विपिन कुमार पाठक, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रामवीर सिंह शर्मा समेत जोधपुर प्रान्त के विभिन्न जिलों से पधारे गणमान्य जन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के सहायक आचार्य एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद की विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव एवं जोधपुर विभाग संयोजक विक्रम सिंह शेखावत ने किया।