आखिरकार सेंट्रल विस्टा और चार धाम प्रोजेक्ट से क्या समस्या है कांग्रेस और वामपंथी गुटों को?
ऋषभ तिवारी
कोविड-19 महामारी ने ऐसा तहलका मचा दिया है कि सब कुछ थम सा गया है। मौत का कोहराम कुछ ऐसा है कि देश के चहुँमुखी विकास में कोरोना महामारी को लेकर कई बाधाएं आ रही हैं, बावजूद इसके केंद्र सरकार सभी विकास कार्यों को कैसे इस कोरोना संकट में भी रुकने न दे इस पर रणनीति बना रही है दूसरी तरफ काँग्रेस को विपक्ष में रहकर सिर्फ कमियां निकालना ही रास आ रहा है।
कोविड महामारी के बीच अब तक सेंट्रल विस्टा के चल रहे कार्य को सुचारू रूप से चालू रखा गया है। उसी प्रकार से उत्तराखंड में चल रहे चार धाम हाइवे का भी काम महामारी के कारण बाधित नहीं हुआ है। यह कार्य भी निरंतर चल रहा है।
क्या है सेंट्रल विस्टा और चार-धाम यात्रा प्रोजेक्ट जिससे कांग्रेस समेत वामपंथी गुट में खलबलाहट है?
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में एक नए संसद भवन और नवीन आवासीय परिसर का निर्माण होना है। इन भवनों में प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास बनेंगे इन्हीं के साथ कई नए प्रकार के कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यों के लिए केंद्रीय सचिवालय का भी निर्माण होना है।
10 दिसंबर 2020 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की आधार शिला रखी थी।
केंद्र सरकार ने चार धाम की यात्रा करने वालों का विशेष ख्याल रखते हुए चार धाम हाईवे प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस परियोजना के अंतर्गत ऋषिकेश-यमुनोत्री-गंगोत्री-बद्रीनाथ को एक हाईवे के माध्यम से आपस में जोड़ा जा रहा है।
लगभग 900 किलोमीटर के इस हाईवे प्रोजेक्ट में पूरे उत्तराखंड में सड़कों का जाल विकसित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को पर रोक लगाने के लिए अब NGO का सहारा लिया जा रहा है।
एक वामपंथी विचारधारा से ओत-प्रोत NGO की तरफ से न्यायालय में याचिका डलवाई गयी है।
यह चारधाम परियोजना ना सिर्फ़ स्थानीय निवासियों के लिए सुगम स्थितियाँ निर्मित करेगी बल्कि यह सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस रोड के बड़े हिस्से का निर्माण आइटीबीपी के द्वारा किया जा रहा है जो चीन से लगती हुई सीमा के निकट है। यही कारण है कि चीन से वैचारिक मेल खाते वामपंथी समूह इसका विरोध कर रहे हैं।
इस प्रकार से चल रही सामरिक महत्व की योजनाओं को रोकने का प्रयास ये वामपंथी विचारधारा को संजोये रखने वाले NGO कर रहे हैं। इन दोनों प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग आम जनता की तरफ से कभी नहीं हुई है।
आखिरकार ये कौन सी शक्तियां हैं जिन्हें रास नहीं आ रहा ये प्रोजेक्ट और इनका बनकर तैयार होना
आजकल अक्सर देखा जा रहा है कि जब भी देश की प्रगति के लिए कोई प्रोजेक्ट लाया जाता है, एक विशेष वर्ग उस पर किंतु परंतु की बौछार करने लगता है। जबकि किसी भी प्रोजेक्ट को तैयार करने से पहले उस पर विशेषज्ञों की राय ली जाती है। देश के कई बड़े अधिकारी और हर क्षेत्र के लोगों से प्रोजेक्ट पर चर्चा होती है। बार बार के विवाद से कई बार तो ऐसा लगता है जैसे यह वर्ग चाहता है कि देश विकासशील ही रहे विकसित कभी न हो।
मनगढ़ंत लागत और कोरोना का दबाव बनाने से प्रोजेक्ट में नहीं आएगी कोई बाधा, 2022 तक होने हैं दोनों प्रोजेक्ट पूरे
केंद्र सरकार ने ये इशारे कर दिए हैं कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का काम कोरोना वायरस की चपेट में नहीं आएगा और इसे 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा।ताकि 26 जनवरी की परेड हो सके।
ऐसा लक्ष्य लेकर चला जा रहा है कि नए संसद भवन का निर्माण कार्य 2022 तक पूर्ण हो जाए ताकि अगले वर्ष का मानसून सत्र नए संसद भवन में हो सके।
दूसरी ओर सरकार के रवैए से भी साफ है कि कुछ भी कह कर, बेवजह के मनगढ़ंत आरोप लगाकर या कोरोना के नाम पर दबाव बनाकर काँग्रेसी / वामपंथी इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में भले रुकावट बन रहे हैं लेकिन वे इस प्रोजेक्ट को 1 दिन के लिए भी रोक नही पाएंगे।