तथाकथित सेक्युलर और लिबरल ताकतों की सच्चाई फिर आई सामने
इशरत जहां एनकाउंटर केस में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के तीन अधिकारी गिरिश सिंघल, तरुण बारोट और अंजु चौधरी को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। इससे पहले साल 2008 के बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली की कोर्ट ने आरिज खान को दोषी करार दिया।
देश की सुरक्षा और आतंकवाद की लड़ाई के मामले में कथित सेक्युलर पार्टियां आतंकियों के पक्ष में खड़ी रहीं। दिल्ली में हुए भीषण आतंकी हमले में पुलिस के साहस को तोड़ने के प्रयास किए गए। साल 2008 को दिल्ली में क्रमवार धमाके हुए थे, जिसमें 39 लोग मारे गए और 159 लोग घायल हुए थे। बाटला हाउस में पुलिस कार्रवाई में दो आतंकी मारे गए थे और एक पुलिस इंस्पेक्टर की जान गई थी।
देश की सीमाओं पर लड़ने के लिए हमारे जवान मौजूद हैं, लेकिन देश के अंदर देश को खोखला करने वाली ताकतों से निपटने की आवश्यकता है। एक ओर जहां देश की तथाकथित सेक्युलर पार्टियां जो अब अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं, के नेताओं के तार कहीं ना कहीं इन घटनाओं से जुड़े दिखाई दे रहे हैं। मुंबई में हुए हमले में कसाब नहीं पकड़ा जाता तो पाकिस्तान के साथ मिलकर ये विरोधी हिंदू आतंकवाद की कहानी को आगे बढ़ा चुके होते। लेकिन हमारे देश के जवानों ने अपनी जान पर खेलकर घटना का सामना किया।
पूर्व खुफिया अधिकारी आरएसएन सिंह ने अपनी पुस्तक ‘नो अबाउट एंटी नेशनल’ में मुंबई हमले के बारे में विस्तार से लिखा है। किस तरह हमले के दिन भारत के खुफिया विभाग के बड़े अधिकारी पाकिस्तान में बैठे थे। पाकिस्तान का विदेश मंत्री दिल्ली में पार्टी कर रहा था। पूरी पटकथा भारत में रची गई। हिंदू आतंकवाद की थ्योरी आगे बढ़ाने की कोशिश असफल हुई। आज देश के अंदर बैठे विरोधियों को पहचानने की आवश्यकता है।