सेना में चालक बनकर भर्ती हुए और कमांडो बन बलिदान हो गए 23 साल के छत्रपाल सिंह

देश सेवा के जज्बे के साथ 18 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए, तीन साल चालक रहते हुए आतंकियों के खात्मे के लिए कड़ी मेहनत कर 2018 में सेना की कमांडो सर्विस में चयनित होकर एलओसी पर दुश्मन की हर नापाक चाल का मुंहतोड़ जवाब देते हुए महज 23 साल की उम्र में छत्रपाल सिंह शहीद हो गए। ऐसे बहादुर जवान, मॉं भारती के वीर सपूत की शहादत पर छावसरी गांव के लोगों में गुस्से के साथ गर्व का माहौल देखा जा रहा है। जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में रंगडोरी सेक्टर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए भारतीय सेना के पांच जवानों में वीरभूमि राजस्थान के झुंझुनू जिले के छावसरी गांव निवासी 23 वर्षीय छत्रपाल सिंह भी हैं।

5 साल पहले सेना में भर्ती हुए छत्रपाल सिंह के शहीद होने की सूचना सोमवार की सुबह दी गई। इसके बाद से ही माता-पिता दुःख में बेसुध हो गए। शहीद के पिता ने बेटे की शहादत पर गर्व होने की बात कहते हुए दूसरे बेटे को भी सेना में भेजने की बात कही। सोमवार को ही उनके पैतृक गॉंव छावसरी बस स्टैंड पर उनका अंतिम संस्कार हुआ, भाई सूर्यप्रकाश ने मुखाग्नि दी। जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

9 मार्च को ही ड्यूटी पर गये थे छत्रपाल

मिली जानकारी के अनुसार, शहीद छत्रपाल सिंह करीब 5 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। वे 18 साल की उम्र में ही देश सेवा के लिए चले गए थे। अभी छत्रपाल सिंह का विवाह भी नहीं हुआ था। शहीद छत्रपाल पैरा ट्रूपर के पद पर सेवारत थे। वह 29 दिन की छुट्टी काटकर 9 मार्च को ही ड्यूटी पर गये थे।

जीवन परिचय

छत्रपाल सिंह का जन्म झुंझुनूं जिले के गांव छावसरी में सुरेश कुमार पाल और शशिकला देवी के घर 12 अगस्त 1997 को हुआ था। 2015 में छत्रपाल ने भारतीय सेना ज्वाइन की थी। इनके एक भाई सूर्यप्रताप सिंह है। छत्रपाल सिंह के पिता सुरेश कुमार पाल ने बताया कि उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है। वर्ष 2015 में बेटा भारतीय सेना में चालक के पद पर भर्ती हुआ था। छत्रपाल सिंह भारतीय सेना की 4 पैरा (एसएफ) यूनिट में इन दिनों उत्तरी कश्मीर के रंगडोरी सेक्टर में एलओसी पर तैनात थे।

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