सेवा के लिए संवेदना की आवश्यकता होती है- सुरेश भैय्याजी जोशी
सेवा के लिए संवेदना की आवश्यकता होती है- सुरेश भैय्याजी जोशी
संभाजीनगर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भैय्याजी जोशी ने कहा कि सेवा करने के लिए किसी योजना की आवश्यकता नहीं होती। आंखों से देखा दर्द जब हृदय में उतरता है, तब सेवा की जा सकती है। वह संभाजीनगर में सावित्रीबाई फुले महिला एकात्म समाज मंडल अंतर्गत रेडियो देवगिरी 91.2 के उद्घाटन समारोह में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग के बावजूद लोगों ने रेडियो जैसे माध्यम को छोड़ा नहीं है। यात्रा के दौरान, घर में काम करते समय लोग आनंद उठाते हैं। शांत, संयमित और सत्य की कसौटी पर आधारित रेडियो आज भी लोगों के जीवन का हिस्सा है। रेडियो देवगिरी एक सामुदायिक रेडियो प्रकार है। इससे कला, संस्कृति, लोक परंपराएं, लोगों की जरूरतें, उनके अंतर्निहित कौशल सभी को अपना एक मंच मिल रहा है।
बहुत से लोग माध्यमों के जरिए लोगों पर विचार थोपते हैं। लेकिन हमें यह सोचना होगा कि लोगों को पसंद करने और आनंद लेने के लिए सबसे अच्छा क्या है। सावित्रीबाई महिला एकात्म समाज मंडल के बारे में कहा कि इस संस्था का काम बहुत पुराना है। जब भी आता हूं तो कुछ नया देखता हूं। समाज की संवेदना अनुभव करने वाले लोग इस समूह में काम करते हैं। उन्होंने संगठन के काम की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे समाज को क्रियाशील बनाते हैं।
‘सेवा’ के बारे में भैय्याजी ने कहा कि ‘सेवा केवल योजना बनाकर नहीं की जा सकती। इसके लिए संवेदना की आवश्यकता होती है। सेवा तभी की जा सकती है, जब आंखों देखा दर्द हृदय में उतरता है। माँ अपने बच्चे की सेवा करने की योजना नहीं बनाती है या बच्चा अपने माता-पिता की सेवा करने की योजना नहीं बनाता है। सेवा सहज भाव है। इसके पीछे एक भावना है। साथ ही सेवा के लिए ‘धन’ नहीं, बल्कि ‘मन’ की आवश्यकता होती है। जिनके पास संवेदना है, वे निश्चित रूप से सेवा कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे भारतीय समाज में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। लेकिन प्रतिभाशाली लोगों को ढूंढना और उन्हें काम पर रखना महत्वपूर्ण कार्य है। प्रेम, स्नेह, अपनापन से लोगों के जीवन में प्रकाश लाया जा सकता है। हमें इस प्रकाश को अधिक से अधिक लोगों के जीवन में लाने का प्रयास करना चाहते हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड, वरिष्ठ उद्यमी संजीवजी तंबोलकर उपस्थित थे।