मुस्लिमों को शरण देने के कारण स्वीडन में अगले कुछ वर्षों में वहां के मूल निवासी अल्पसंख्यक हो जाएंगे
यूरोप के कई देश मुस्लिम शरणार्थियों की भारी भीड़ को नागरिकता देने के कारण मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं। स्वीडन में तो अगले कुछ वर्षों में वहां के मूल निवासी अल्पसंख्यक हो जाएंगे और मुस्लिम शरणार्थी बहुसंख्यक। वर्तमान में स्वीडन में निवास करने वाली एक तिहाई जनसंख्या विदेशों से सम्बंध रखती है। समय के साथ इस देश में विदेशियों की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। इसके प्रमुख कारणों में अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और मूल निवासियों के प्रजनन दर में आई कमी है।
फिनलैंड की रिसर्चर क्योस्ति तरवीनैन ने अपने शोध में दावा किया है कि यदि स्वीडन में विदेशी मूल के लोगों के बसने की दर यही बनी रही तो अगले 45 साल में स्वीडिश लोग अपने ही देश में अल्पसंख्यक हो जाएंगे। क्योस्ति तरवीनैन हेलसिंकी के अल्टो विश्वविद्यालय में सिस्टम एनलॉटिक्स डिपॉर्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम करती हैं। उन्होंने मानक जनसांख्यिकी विधि, कोहोर्ट कंपोनेंट मैथड और कोहोर्ट कंपोनेंट मैथड का उपयोग करते हुए क्योति तरवीनैन ने दावा किया है कि स्वीडन के मूल निवासी 2065 तक अल्पसंख्यक हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यदि स्वीडन में विदेशियों के बसने की गति बढ़ती है तो यह दिन तय समय से पहले ही देखने को मिल सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि 2100 तक स्वीडन में सबसे अधिक जनसंख्या मुस्लिमों की होगी।
तरवीनैन ने फोक्सब्लैड न्यूजपेपर में लिखा है कि स्वीडिश संसद ने 1975 में कहा था कि स्वीडन एक बहुसांस्कृतिक देश है। उस समय 40 प्रतिशत से अधिक अप्रवासी मेरे देश (फिनलैंड) के रहने वाले थे। लेकिन, अब स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। साल 2019 में 88 प्रतिशत अप्रवासी गैर पश्चिमी देशों से संबंधित थे। इनमें 52 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिमों की थी। इस प्रकार अप्रवासी जनसंख्या में एक बड़ा सांस्कृतिक परिवर्तन हुआ है। क्योंकि स्वीडन में फिनलैंड के लोगों की जनसंख्या को मुस्लिमों ने अपने कब्जे में कर लिया है।
फिनलैंड की इस रिसर्चर ने बड़ी बात यह लिखी कि उनके देश के जितने शरणार्थी थे, उन लोगों ने स्वीडन के समाज में स्वयं को समाहित कर लिया। लेकिन इस समय जो शरणार्थी आ रहे हैं, वे आसानी से स्वीडन के समाज का हिस्सा नहीं बन पा रहे हैं। इसके बजाय, वे अपने स्वयं के क्षेत्रों का निर्माण करते हैं, जिन्हें आमतौर पर बाहरी या नहीं जाने लायक क्षेत्र कहा जाता है।