देश व समाज के लिए समर्पित, सरल व्यक्तित्व के धनी स्व. सुंदर सिंह भण्डारी
किसी भी संगठन का आधार उसके कार्यकर्ता होते हैं। कार्यकर्ताओं की सरलता, सहजता एवं समर्पण के बल पर ही संगठन का काम आगे बढ़ता है। स्व. सुंदर सिंह भण्डारी पूरी उम्र संगठन, समाज व देश के लिए समर्पित रहे। आज के समय में कार्यकर्ता एवं आमजन स्व. सुंदर सिंह भण्डारी से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उच्च पद पर रहने के बाद भी सामान्य जीवन जीना स्व. भण्डारी जी के जीवन से सीखा जा सकता है। ये विचार राजस्थान के राज्यपाल माननीय कलराज मिश्र ने जन चेतना मंच, राजस्थान द्वारा आयोजित स्व. सुन्दर सिंह भण्डारी जनशताब्दी वर्ष के उद्घाटन समारोह एवं स्मृति व्याख्यानमाला में व्यक्त किये। वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे। उन्होंने कहा कि स्व. सुन्दर सिंह भण्डारी जितने कठोर थे उतने ही सरल व्यक्तित्व के धनी थे। उनके अनेक स्तुत्य कार्यों में से एक कार्य संघ के प्रचारक रहते हुए विभाजन के दौैरान,राजस्थान बॉर्डर से आ रहे सिंध – पाकिस्तान से प्रताड़ित हिन्दुओं को व्यवस्थित रूप से बसाने का था ..,भोजन से लेकर उन्हें उपयुक्त जगह तक भिजवाने का प्रबंध करने में भंडारी जी और उनके साथ संघ के अनेकों स्वयंसेवकों का कार्य अविस्मरणीय है ..।
उन्होंने व्याख्यान के विषय ‘‘विकास की भारतीय संकल्पना’’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब तक गांव का उत्पाद नहीं बढ़ेगा तब तक स्वावलम्बी होना संभव नहीं है। हम उद्यमिता विकास, स्थानीय उत्पाद एवं स्वदेशीकरण को जितना महत्व देंगे, उतना ही हम भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम होंगे।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रखर आर्थिक चिन्तक बजरंग लाल गुप्ता ने कहा कि समर्थ एवं समरस भारत का निर्माण पाश्चत्य दर्शन के बजाय भारतीय जीवन दर्शन से ही संभव है। कोरोना महामारी ने पाश्चात्य संस्कृति की कमजोरी को उजागर कर दिया है एवं समाधान के लिये हमें भारतीय जीवन मूल्यों के अनुसार ही नीतियों का निर्माण करना होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि जब राह दिखाने वाला कोई नहीं था तब आत्म विश्वास के साथ वैचारिक आधार पर चलकर स्वयं अपनी राह बनाने वाले स्व. भण्डारी ने सदैव भारत माता की सेवा को ही अपने जीवन का ध्येय मानते हुए जीवन को देश के लिए समर्पित किया।
कार्यक्रम के अतिविशिष्ट अतिथि गुलाब चन्द कटारिया ने कहा कि स्व. भण्डारी ने राष्ट्रीय विचारधारा से प्रेरित होकर एक चित्रकार एवं शिल्पी की तरह संगठन का काम किया। आज भण्डारी जी के विचारों को अंगीकार करने व अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाने की जरूरत है।
कार्यक्रम के प्रारभ में मंच के संरक्षक डाॅ. आई.एम. सेठिया ने स्वागत उद्बोधन के साथ ही कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्ष 1997 से मंच व्याख्यानमालाओं के माध्यम से तथा 2005 से स्व. सुन्दर सिंह भण्डारी स्मृति व्याख्यानमालाओं के माध्यम से विचार प्रबोधन के कार्य को सम्पादित कर रहा है।
कार्यक्रम का आरम्भ संविधान के प्रति निष्ठा वाचन से हुआ। मुख्य वक्ता बजरंग लाल गुप्ता ने ध्येय वाक्य के माध्यम से भण्डारी जी को भावांजलि दी, वहीं कार्यक्रम के अध्यक्ष निम्बाराम ने ‘‘जीवन पुष्प चढ़ा चरणों पर, मांगे मातृभूमि से यह वर, तैरा वैभव अमर रहे मॉं, हम दिन चार रहें ना रहें, ध्येय साधना अमर रहे’’ पक्तियों के माध्यम से आमजन को समर्पण का संदेश दिया।