हर घर तिरंगा अभियान के दौरान तिरंगे से छेड़छाड़
हर घर तिरंगा अभियान के दौरान तिरंगे से छेड़छाड़ एक बड़ा षड्यंत्र
जयपुर। देश और प्रदेश में जहां एक तरफ हर घर तिरंगा अभियान की धूम है और हर देशवासी इस अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहा है, वहीं कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं जो ना सिर्फ इस अभियान की भावना के विरुद्ध हैं, बल्कि देश में अराजकता फैलाने को सदैव आतुर रहने वाली अलगाववादी शक्तियों की मंशा की ओर भी इशारा कर रही हैं। सबसे अहम बात यह है कि इन शक्तियों के विरुद्ध जैसी कार्रवाई होनी चाहिए….वो होती नहीं है….और इनका साहस बढ़ता ही जाता है।
स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत देश भर में हर घर तिरंगा अभियान की धूम है। राजनीतिक दल ही नहीं इस बार यह जन-जन का अभियान बना है और गली-मोहल्लों तक में तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं। ये यात्राएं हर देशभक्त नागरिक की भावनाओं को सामने ला रही हैं और बता रही हैं कि देश स्वतंत्रता के मतवालों के बलिदान को एक सुर में नमन करता है।
लेकिन स्वाधीनता के इस अमृत महोत्सव में ही कुछ ऐसी घटनाएं भी देखने को मिल रही हैं जो बता रही हैं कि देश में अलगाववादी शक्तियां किस हद तक सक्रिय हैं और गली-मोहल्लों तक में षड्यंत्र रच रही हैं। इन शक्तियों का उद्देश्य इस अमृत महोत्सव की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है और कहीं ना कहीं यह साबित करना भी है कि सरकारों की तुष्टीकरण की नीति के कारण अब वे बेलगाम हो चली हैं। वे कुछ भी कर लें, उनका कुछ बिगड़ने वाला नहीं है।
ऐसी एक घटना बिहार के मुजफ्फरपुर के ओराई में सामने आई हैं, जहां तिरंगे के साथ छेड़छाड़ की गई। यहां एक घर पर लगे तिरंगे पर अशोक चक्र के स्थान पर चांद तारे बने नजर आए। वहीं इसके पास ही पाकिस्तान का झंडा भी लहराता दिखा। इस बारे में स्थानीय लोगों ने प्रशासन से शिकायत की, तो वहां के एसडीओ बस यही कहते नजर आए कि मामले को दिखवाएंगे और सही पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी, जबकि वीडियो में साफ दिख रहा है कि राष्ट्रीय ध्वज से छेड़छाड़ की गई है, जो दंडनीय अपराध है।
बताया जा रहा है कि इसी तरह की घटना उत्तर प्रदेश के कानपुर में भी सामने आ चुकी है। यहां मोहर्रम की पूर्व संध्या पर निकाले गए जुलूस में राष्ट्रीय ध्वज के साथ छेड़छाड़ करते हुए ना सिर्फ इसका आकार बदल दिया गया, बल्कि अशोक चक्र के स्थान पर मस्जिद, चांद और सितारे बना दिए गए। यही नहीं तिरंगे को ताजिए के आकार में प्रयोग किया गया। इसे लेकर बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद ने शिकायत भी दर्ज कराई। कानपुर के पुलिस कमिश्नर ने मामले की जांच का भरोसा दिया है।
राष्ट्रीय ध्वज ही नहीं मोहर्रम के जुलूस के लिए राजस्थान में कुछ स्थानों पर भगवा झंडे और धार्मिक कार्यक्रमों के पोस्टर हटाने के मामले भी सामने आए हैं। राजस्थान का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिसकर्मी भगवा झंडे हटाती दिख रही है, हालांकि इस वीडियो की हम पुष्टि नहीं करते, लेकिन इसमें बताया यही गया है कि यह काम राजस्थान की पुलिस कर रही है। वहीं जयपुर में धार्मिक कार्यक्रमों के पोस्टर हटाने की घटना भी सामने आई थी, जिसे लेकर विरोध प्रदर्शन भी हुआ था। उल्लेखनीय है कि ईद के अवसर पर इसी तरह के मामले में जोधपुर में साम्प्रदायिक तनाव की घटना हो चुकी है। फिर भी यहां की सरकार तुष्टीकरण की नीति छोड़ने को तैयार नहीं है।
ये तीनों घटनाएं मात्र घटनाएं नहीं हैं बल्कि इस बात का संकेत हैं कि आज तक देश में तुष्टीकरण के नाम पर जो कुछ हुआ, उसने इन लोगों की हिम्मत इतनी बढ़ा दी है कि वे राष्ट्रीय प्रतीकों से भी छेड़छाड़ करने में हिचकिचाते नहीं हैं।
हाल में नए संसद भवन पर लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ को लेकर तथाकथित बुद्धिजीवियों ने आसमान सिर पर उठा लिया था और सोशल मीडिया पर कैम्पेन चला दिया कि राष्ट्रीय प्रतीक के साथ भद्दा मजाक किया गया है, छेड़छाड़ की गई है…..जबकि ऐसा कुछ था नहीं। लेकिन एक ऐसा वातावरण बनाने के प्रयास किए गए कि पता नहीं क्या हो गया…आज वही जमात देश के अलग-अलग हिस्सों में राष्ट्रीय ध्वज के साथ हो रही छेड़छाड़ पर ऐसे मौन धारण किए बैठी है, जैसे उसे कुछ पता ही नहीं।
ऐसा ही नूपुर शर्मा के समय देखा गया। नूपुर का बयान क्रिया की प्रतिक्रिया था। उन्होंने जो भी कहा वह प्रत्युत्तर था। आज नूपुर का गला काटने की बात हो रही है, उनके समर्थकों के गले काटे जा रहे हैं, लेकिन जिस व्यक्ति ने इस बहस को शुरू किया और नूपुर को उकसाया, उसका अधिकांश लोग नाम तक नहीं जानते। इस देश में एमएफ हुसैन जैसे “कलाकार” मां सरस्वती की नग्न तस्वीरें बनाएं, तो वह तस्वीर “कलाकृति” कहलाती है और “कलाकार” को पुरस्कृत किया जाता है जबकि विरोध करने वालों की आवाज को कुचल दिया जाता है। इसी देश में कोई कश्मीरी हिन्दुओं के साथ कश्मीर में हुई बर्बरता पर फिल्म बनाए तो उसे प्रोपेगंडा कहा जाता है और फिल्म को देश का वातावरण खराब करने वाली फिल्म बता कर रोकने के भरसक प्रयास किए जाते हैं। लेकिन जिन फिल्मों में हिन्दू प्रतीकों के साथ छेड़छाड़ की जाती है, उन पर कोई कुछ नहीं बोलता, उल्टे ऐसा करने वालों के कृत्य को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बता कर संरक्षण प्रदान करने के ही प्रयास किए जाते हैं।
ये अब तक की तुष्टीकरण नीति के ही परिणाम हैं, कि आज देश में स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के इस मांगलिक अवसर पर भी ऐसे तत्व सक्रिय हैं, जो देश में अलगाव पैदा करना चाहते हैं। वे बेखौफ अपने षड्यंत्रों को अंजाम दे रहे हैं और वह लिबरल गैंग मुंह पर पट्टी बांधे बैठी है जो दक्षिणपंथियों की जरा सी बात पर पूरे देश में अलग ही तरह का वातावरण खड़ा कर देती है।