हाँ! तुम नारी हो

अनिल टाक
हाँ! तुम नारी हो
हाँ! तुम नारी हो
जीवन की धुरी हो
परिवार की नींव हो
समाज की पूंजी हो
हाँ! तुम नारी हो।
मां का आंचल हो
बहन की आस हो
पत्नी का विश्वास हो
मासी, चाची, ताई, बुआ
ननद, भाभी की शुभाशीष हो
हाँ! तुम नारी हो।
बेटी की अभिलाषा हो
मित्रता की परिभाषा हो
हर रिश्ते की पराकाष्ठा हो
हाँ! तुम नारी हो।
चक्षु में भले अश्रु हो
पर स्वर में मीठी गूंज हो
हर राह की आस हो
रिश्तों के पथिक की छांव हो
हाँ! तुम नारी हो।
पलों में सिमटती अग्नि हो
वक्त पर धधकती ज्वाला हो
पर भावुकता की पर्याय हो
हाँ! तुम नारी हो।
मां हो, बहन हो, या हो बेटी
या फिर मासी, चाची, ताई , बुआ
और ननद, भाभी, जेठानी देवरानी
या फिर सखी, सहेली
हर रिश्तों की पर्याय हो
हर रिश्तों की गहराई हो
हाँ! तुम नारी हो।
जीवन पथ की धावक हो
छालों पर मरहम हो
निराशा के गर्त में आस हो
हर सफलता की परछाईं हो
हाँ! तुम नारी हो।
Truly masterpiece of writing with a depth
नारी चरित्र का आदर्श चित्रण प्रस्तुत करती आपकी कविता। धन्य है आपकी लेखनी जिसने नारी चरित्र का इतना सुंदर प्रस्तुतिकरण कर नारी के प्रति अपनी सम्मान की भावनाओं को प्रदर्शित किया।
Excellent thought on Woman’s day. National human rights organisation
नारी की महत्ता प्रतिपादित करती श्रेष्ठतम रचना , महिला दिवस पर महिला सम्मान को समर्पित यह रचना, महिलाओं को शिर्ष पर विराजित करने में सहायक बनेगी। शुभकामनाएं।आप बधाई के वास्तविक पात्र हैं। पाथेय कण पहली बार देखी व पढ़ी। अच्छी लगी। शत शत मंगल कामनाएं।