हिन्दू मान्यताओं व परम्पराओं की सात्विकता व पवित्रता सुनिश्चित हो- विहिप

हिन्दू मान्यताओं व परम्पराओं की सात्विकता व पवित्रता सुनिश्चित हो- विहिप

हिन्दू मान्यताओं व परम्पराओं की सात्विकता व पवित्रता सुनिश्चित हो- विहिपहिन्दू मान्यताओं व परम्पराओं की सात्विकता व पवित्रता सुनिश्चित हो- विहिप

जोधपुर, 28 जुलाई। प्रत्येक विस्थापित हिन्दू को नागरिकता मिले, हिन्दू मान्यताओं व परम्पराओं की सात्विकता व पवित्रता सुनिश्चित हो, मन्दिर जागरण, धर्म प्रचार, सेवा व समरसता के केन्द्र बनें, इस संकल्प के साथ विश्व हिन्दू परिषद की दो दिवसीय बैठक आज जोधपुर में सम्पन्न हुई।


बैठक के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने उपर्युक्त संकल्पों को दोहराते हुए कहा कि इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को विहिप के 60 वर्ष पूर्ण होंगे। इस अवसर पर देशभर में हजारों स्थानों पर व्यापक जनजागरण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 
24 अगस्त से 1 सितंबर को आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों के अन्तर्गत विहिप की 60 वर्षों की उपलब्धियां, वर्तमान में राष्ट्र, धर्म व हिन्दू समाज के समक्ष चुनौतियाँ तथा उनके निराकरण के सम्बन्ध में चर्चाएं, संगोष्ठियाँ व सार्वजनिक कार्यक्रम होंगे। हम विहिप के कार्यों व हिन्दू जीवन मूल्यों को जन जन तक लेकर जाएंगे। 

राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात व उत्तर प्रदेश सहित सम्पूर्ण देश के अनेक राज्यों में विहिप एवं बजरंग दल कार्यकर्ता हर गाँव, गली, मोहल्ले में पाकिस्तान से आये पीड़ित विस्थापित हिन्दुओं को नागरिकता दिलाने में सहयोग कर रहे हैं। हजारों ऐसे हिन्दुओं का नागरिकता हेतु पंजीयन हो चुका है तथा सैकड़ों को नागरिकता मिल चुकी है।  इस प्रक्रिया में और तेजी लाई जाएगी। 

उन्होंने कहा कि आज मुसलमानों को यह अधिकार है कि वे खाने से पहले देखें कि वह हलाल है या नहीं, तो हिन्दुओं को यह जानने का अधिकार क्यों नहीं है कि उनका भोजन उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बना है या नहीं? इस बारे में कानून 2006 में बना था। 2011 में नियम बने थे। इन नियमों में यह निर्देश था कि खाने का सामान बेचने वालों को अपना लाइसेंस और नाम दुकान पर प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। उस समय केन्द्र में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार थी। उन्होंने कहा कि आज कई ऐसे कानून हैं, जिनके अंतर्गत हर दुकानदार को अपनी दुकान के सामने अपना रजिस्ट्रेशन नं लगाना पड़ता है। इसके अलावा अन्य जानकारियां जैसे, जीएसटी नंबर, टिन नंबर, शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट आदि भी देनी होती हैं। फिर कांवड़ रास्ते में इसका पालन करने में आपत्ति क्यों?


यह सर्वविदित है कि हिन्दू धर्म स्थलों, तीर्थों तथा धर्मिक यात्राओं के मार्ग में  बहुत सारे मुसलमान दुकानदार अपने दुकान का नाम हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर रखते हैं तथा कई जगह तो वे हिन्दू देवी देवताओं के चित्र भी लगाते हैं। यह सीधे-सीधे अपना मजहब छुपाकर धोखा देने की बात है। क्या हिन्दू तीर्थ यात्रियों को यात्रा में अपने धर्म के अनुसार धार्मिक सात्विक खाना खाने का अधिकार भी नहीं है? 
आलोक कुमार ने यह भी कहा कि, लोकतंत्र में दो आदेश नहीं हो सकते। किसी एक मजहब के मानने वालों के लिए अलग और हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए अलग।


उन्होंने कहा हमें यह मालूम है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस आदेश पर रोक लगाई है। इस आज्ञा का सम्मान होना चाहिए। किंतु, हम यह आशा करते हैं कि गुण दोष के आधार पर पूरी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट अपना यह आदेश वापस लेकर याचिका को शीघ्र रद्द करेगी। विभिन्न जाति मत-पंथ-सम्प्रदायों के मठ मन्दिर देश में सामाजिक जागरण, धर्मप्रचार, सेवा व समरसता के केन्द्र बनें तथा शुद्ध मंत्रोच्चार के साथ धार्मिक रीति-रिवाज से पूजा, अर्चना व पौरोहित्य के कार्य सम्पन हों, इस हेतु विहिप ने देशभर में अर्चक पुरोहितों के प्रशिक्षण की एक व्यापक कार्य योजना बनाई है। इससे न सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप अपितु,  पश्चिम के देशों में भी मन्दिरों व घरों में विधि विधान से संस्कार व धार्मिक शिक्षा का प्रसार हो सकेगा। विदेशों में स्थित हिन्दू मन्दिरों में ऐसे पुजारियों की बड़ी मांग है। इसकी पूर्ति हेतु इन प्रशिक्षण कार्यक्रम में अंग्रेजी व अन्य भाषाओं के साथ तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग के जाति-मत-पंथ-सम्प्रदाय को सहभागी बनाया जाएगा। बैठक में देश और विदेश में कार्यरत विहिप के लगभग 300 पदाधिकारियों ने भाग लिया।

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